पिंजौर, 10 नवंबर (निस)
ब्रिटिश शासनकाल में 1903 में स्थापित कालका-शिमला टॉय ट्रेन के डिब्बों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध रेल कोच कारखाना अब पूरी तरह से बंद हो चुका है। पहले यहां कालका-शिमला रेल सैक्शन की टॉय ट्रेन के नए डिब्बे बनते थे, लेकिन अब इन डिब्बों का निर्माण कपूरथला रेल कोच फैक्टरी में एक निजी कंपनी से कराया जा रहा है।
इतना ही नहीं, शिमला और कांगड़ा वैली की सुंदरनगर-कांगड़ा टॉय ट्रेन के डिब्बों की मरम्मत भी इसी कारखाने में होती थी, लेकिन अब यहां केवल छोटी लाइन पर माल ढुलाई वाले वैगन और अन्य डिब्बों की मरम्मत का काम बचा है।
करीब 15 वर्ष पहले वर्कशॉप में 750 कर्मी कार्यरत थे, लेकिन अब कर्मियों की संख्या घटकर केवल 400 रह गई है। नए कर्मियों की भर्ती पिछले कई वर्षों से नहीं हुई है। वर्कशॉप में कुल 7 शेड्स हैं, लेकिन अब कर्मियों की संख्या 3000 से घटकर लगभग 1200 हो गई है। इस कमी के कारण कार्यभार बढ़ गया है और कर्मचारियों को काम करने में परेशानियां हो रही हैं।
एनआरएमयू वर्कशॉप ब्रांच सचिव कालका, प्रदीप शर्मा ने बताया कि कर्मियों की कमी के कारण वर्कशॉप में काम करना बेहद कठिन हो गया है। हेल्पर के नाम पर केवल 3-4 कर्मी ही हैं। 7 शेड्स की स्थिति इतनी खराब है कि छत से बारिश का पानी सीधा मशीनों पर टपकता है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्कशॉप गेट और रेलवे स्टेशन पर स्थित एटीएम मशीनें लगभग 4 महीने से खराब पड़ी हैं, और उनकी मरम्मत में और समय लगने की सूचना मिली है। इस कारण यात्रियों को छोटी-मोटी खरीदारी के लिए नकद राशि के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।