चंडीगढ़, 31 मार्च (ट्रिन्यू)
विश्वेश्वरानन्द विश्वबन्धु संस्कृत एवं भारत-भारती अनुशीलन संस्थान, पंजाब विश्वविद्यालय, साधु आश्रम में महर्षि विश्वामित्र वेद वेदाङ्ग कार्यशाला तथा राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापनोत्सव के मुख्यातिथि- प्रो. राजाराम शुक्ल, कुलपति, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, विशिष्ट अतिथि- प्रो. गोपबन्धु मिश्र, कुलपति, श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, गुजरात, अध्यक्ष- प्रो. वेदप्रकाश उपाध्याय, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ थे।
डाॅ. सुधांशु कुमार (विभागाध्यक्ष) ने आॅनलाइन जुड़े सभी महानुभावों का स्वागत कर अतिथियों का परिचय दिया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो. गोपबन्धु मिश्र ने वेद राशि रूप ज्ञान को पूर्ण विश्व की अमूल्य धरोहर स्वीकार करते हुए इसके अध्ययन और अध्यापन पर विशेष रूप से बल देने की बात कही। मुख्यातिथि प्रो. राजाराम शुक्ल ने अपने सम्बोधन में कहा कि रसभावरूप अर्थतत्व को प्रवाहित करने वाली महाकवियों, ऋषियों की वाणी अलौकिक प्रतिभासमान प्रतिभा के वैशिष्ट्य को प्रकट करती है।
इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विषय का अध्ययन करने से पहले प्रत्येक छात्र तथा अध्यापक का यह परम धर्म बनता है कि वे उच्चारण की शुद्धता पर विशेष रूप से ध्यान दें क्योंकि यदि आपकों वेदों का अध्ययन करना है तो उसके लिए उच्चारण शुद्धता अनिवार्य हो जाती है, नहीं तो शब्दों का अनुचित अर्थ प्रतीत होना शुरू हो जाता है। इसके अतिरिक्त दो पत्रवाचन सत्रों में कुल 40 के आसपास शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। 309 के आसपास छात्रों ने अपना पंजीकरण करवाया।