जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 28 अप्रैल
पंजाब विश्वविद्यालय के चांसलर एम वैंकेया नायडू द्वारा गठित की गयी 11 सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी ने पंजाब विश्वविद्यालय की गवर्निंग रिफार्म्स के लिये अपनी सिफारिशें वाली रपट तैयार कर दी है। समझा जा रहा है कि जल्द ही इसे चांसलर को भेज दिया जायेगा। पता चला है कि कमेटी एक हफ्ते से पंजाब की ओर से कोई जवाब आने का इंतजार कर रही है, मगर अभी लगता नहीं कि जल्द पंजाब की ओर से कोई रिस्पांस आयेगा, इसलिए चांसलर को रिपोर्ट भेजने की तैयारी लगभग कर ली गयी है और सभी सदस्यों ने कमेटी के चेयरमैन सेंट्रल यूनिवर्सिटी बठिंडा के कुलपति प्रो. आरपी तिवारी को इसे चांसलर को भेजने के लिये अधिकृत कर दिया है। वैसे कमेटी के पास 2 मई तक का समय है, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि जसपाल सिंह संधू की ओर से बताया गया कि कोरोना केस बढ़ जाने से पंजाब सरकार अभी कुछ और वक्त चाहती है।
बताया जाता है कि कमेटी ने अपनी अनुशंसाओं में सीनेट का आकार 91 से घटाकर 45 करने की सिफारिश की है और साथ ही रजिस्टर्ड ग्रेजुएट कांस्टीचुएंसी की सभी 15 सीटों को खत्म करने का भी सुझाव दिया है। कमेटी ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि ग्रेजुएट कांस्टीचुएंसी के स्थान पर चांसलर 4 एलूमनाई (पूर्व छात्रों) को मनोनीत कर दें। इसके अलावा प्रोफेसर, कालेज टीचर्स और प्रिंसिपलों की 4-4 सीटें रखने का सुझाव दिया है। फैकल्टी की सीटों को भी समाप्त करने की बात कही गयी है।
कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि उच्च स्तरीय कमेटी ने काफी मंथन के बाद सुझाव दिया है कि हर साल चुनी जाने वाली सिंडिकेट के सदस्यों को सीनेटर न चुनें बल्कि इन सभी को चांसलर मनोनीत करें। साथ ही सिंडिकेट का कार्यकाल एक की बजाय दो साल करने की भी बात कही गयी है। सभी फैकल्टी व विभागों में डीन के चुनाव न कराये जाने की भी सिफारिश की गयी और सुझाया गया कि विभाग के सीनियर मोस्ट प्रोफेसर को ही डीन नियुक्त कर दिया जाये। इससे एक तो गैर-अकादमिक बैकग्राउंड वाला कोई व्यक्ति डीन नहीं बन पायेगा और दूसरा विभागों में शोध व शिक्षण की समझ रखने वाले लोग खुद ही फैसला लेने में सक्षम होंगे।
चेयरमैन कर सकते हैं एक और मीटिंग
कमेटी के एक मैंबर एवं पूर्व कुलपति ने कहा कि अभी रपट फाइनल नहीं हुई थी, वैसे भी कोरोनाकाल में थोड़ा अधिक समय लग रहा, इसलिये शायद अभी रिपोर्ट अंतिम रूप नहीं ले पायी है। चेयरमैन प्रो. आरपी तिवारी शायद एक बार और मीटिंग करें। उन्होंने कहा कि पंजाब के डीपीआई और मुख्यमंत्री के नॉमिनी ने 26 तक का समय मांगा था ताकि पंजाब सरकार का आधिकारिक ओपिनियन भी लिया जा सके, लेकिन एकाएक कोराेना केस बढ़ने से सरकार इस पर अभी तक कोई विचार नहीं कर पायी है।