मनीमाजरा (चंडीगढ़), 26 जून (हप्र)
यूटी प्रशासन के बिजली विभाग द्वारा ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जेईआरसी) में दायर बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ बुधवार को समस्या समाधान टीम (एसएसटी) ने अपने सुझाव व आपत्तियां भेजीं। एसएसटी की तरफ से कहा गया है कि बिजली विभाग ने कई सालों से एनर्जी ऑडिट नहीं कराया है। ऐसे में कैसे पता चलेगा कि क्या वाकई विभाग नुकसान में है या जनता को आंकड़ों का खेल दिखाकर बेवकूफ बनाया जा रहा है। इसलिए जब तक एनर्जी ऑडिट न हो, दाम न बढ़ाए जाएं। साथ ही कहा है कि बिजली विभाग का यह प्रस्ताव बिजली टैरिफ पॉलिसी 2016 के नियमों के भी खिलाफ है।
सुझाव और आपत्तियां दर्ज करवाने के आखिरी दिन शहर की समाज सेवी संस्था समस्या समाधान टीम ने जेईआरसी को सभी आपत्तियां व सुझाव ईमेल किए हैं। टीम के महासचिव मनोज शुक्ला ने बताया कि टैरिफ पॉलिसी 2016 के नियमों के तहत बिजली विभाग एक साथ 20 प्रतिशत से ज्यादा बिजली के दाम नहीं बढ़ा सकता लेकिन बिजली विभाग ने खेतीबाड़ी की बिजली दर में 34.62 प्रतिशत, घरेलू बिजली दर में 23.35 प्रतिशत, स्मॉल पावर की दर में 27.43 प्रतिशत और दूसरे टेंपरेरी कनेक्शन के दामों में 21.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की सिफारिश की है और बड़ी चतुराई से कुल बढ़ोतरी 19.44 प्रतिशत दिखाया है। जो की अमान्य है और टैरिफ पॉलिसी 2016 के नियमों के खिलाफ है। इसलिए उन्होंने यह याचिका खारिज करने की मांग की है। रवि ज्योति ने बताया कि टीएंडडी लॉस और गैर राजस्व बिजली हानि लगभग 35 प्रतिशत के करीब है, परंतु पिछले काफी समय से बिजली विभाग चंडीगढ़ ने अपना एनर्जी ऑडिट नहीं करवाया है इसलिए चंडीगढ़ बिजली विभाग के घाटे और फायदे का उचित आकलन कर बताना बहुत मुश्किल है। विभाग बिना एनर्जी ऑडिट करवाए अपने आप को घाटे में दिखा कर आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहा है। दिनेश दलेरे ने कहा कि बिजली विभाग ने लगभग 1500 सरकारी इमारतों पर 20 करोड़ की लागत से सोलर पैनल लगाए हैं और साथ में 10 मरले से ऊपर के मकानों पर भी सोलर पैनल लगवाना अनिवार्य किया है, जिससे बड़ी तादाद में बिजली पैदा हो रही है। सोलर से इतनी बिजली मिलने के बाद भी दाम बढ़ाने का प्रस्ताव जनता पर जानबूझ कर बोझ डालने की साजिश है।