ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 28 मई
मौसम वैज्ञानिकों ने पंजाब के लिये जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न विशिष्ट चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये सरकारी और सामुदायिक स्तर पर पहल की जरूरत पर बल दिया है। साथ ही प्रतिकूल प्रभावों के शमन के अनुकूल रणनीति बनाने पर बल दिया। प्रेस क्लब चंडीगढ़ में पत्रकारों के लिए ग्लोबल वार्मिंग प्रभावों से जुड़ी जानकारी देने के लिये एक कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें पंजाब में गर्मी का प्रकोप, जलवायु परिवर्तन और किसानों के हित में एग्रो-मेटोरिलोजिकल डेटा की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया। दरअसल, यह कार्यशाला क्लीन एयर पंजाब, चंडीगढ़ प्रेस क्लब, ‘असर’ और भारतीय मौसम विभाग के सहयोग से आयोजित की गई। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। जिसके केंद्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पंजाब के लिए उत्पन्न विशिष्ट चुनौतियां शामिल थीं। सत्र की शुरुआत में पंजाब में प्रचंड गर्मी की वर्तमान स्थिति और प्रभाव पर मंथन हुआ। आईएमडी के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में गर्मी की लहरों की आवृत्ति और तीव्रता में चिंताजनक वृद्धि पर प्रकाश डाला। सार्वजनिक जागरूकता और तैयारियों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया। वैज्ञानिकों ने गर्मी की लहरों के पीछे के विज्ञान, ग्लोबल वार्मिंग के साथ उनके संबंध और वर्तमान रुझान जारी रहने पर प्रत्याशित भविष्य के परिदृश्यों के बारे में विस्तार से बताया। कार्यशाला में किसानों की सहायता के लिये कृषि-मौसम संबंधी डेटा की भूमिका पर विस्तृत चर्चा हुई। वैज्ञानिक अजय कुमार सिंह और शिविंदर सिंह ने डेटा को एकत्र करने के तौर-तरीकों पर प्रकाश डाला।