चंडीगढ़, 31 जनवरी (ट्रिन्यू)
पंजाब विश्वविद्यालय के गणित विभाग के प्रो. सुशील कुमार तोमर अगले डीन यूनिवर्सिटी इंस्ट्रक्शन्स होंगे जबकि बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. जगतार सिंह नये डीएसडब्ल्यू होंगे। प्रो. तोमर के पास अब तक डीन रिसर्च और डीएसडब्ल्यू दोनों का जिम्मा था था। अगली डीन रिसर्च के पद पर यूआईईटी की प्रो. रेणु विग आसीन होंगी। प्रो. तोमर का डीयूआई बनना कोई आश्चर्य की बात नहीं है लेकिन जगतार सिंह का डीएसडब्ल्यू बन जाना हैरत में डालने वाला है क्योंकि इसके लिये प्रो. देविंदर सिंह को सबसे आगे माना जा रहा था। पहले भी एक-दो बार प्रयास हुआ कि किसी तरह से प्रो. देविंदर सिंह को डीएसडब्ल्यू बना दिया जाये मगर सीनेट-सिंडिकेट की राजनीति के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया। इस बार भी उनका डीएसडब्ल्यू न बन पाने के पीछे की वजह सीनेट-सिंडिकेट को ही बताया जा रहा है हालांकि इस बार सीनेट में मैंबरों के गणित की वजह से नहीं बनाये गये। इसी तरह से एसोसिएट डीएसडब्ल्यू प्रो. अशोक कुमार भी सीनेटर होने की वजह से ही इस दौड़ से बाहर हो गये हालांकि वे अपने वर्तमान पद पर बने रहेंगे। पीयू द्वारा जारी आदेशों में डीयूआई, डीन रिसर्च का कार्यकाल एक साल लिखा गया है जबकि जगतार सिंह के आदेशों में पहली फरवरी से लेकर अगले आदेशों तक लिखा गया है।
उल्लेखनीय है कि देविंदर सिंह पहले से ही सीनेट मैंबर हैं, प्रो. तोमर भी मनोनीत सीनेटर हैं और वे डीयूआई के ओहदे पर होने की वजह से पदेन भी इसके सदस्य हैं। यहीं वह पेंच है, जिसके कारण प्रो. देविंदर सिंह की बजाय प्रो. जगतार सिंह पर दांव खेला गया क्योंकि सुनने में आ रहा है कि सीट में एक वोट बढ़ाने की खातिर प्रो. तोमर की पदेन वाली सीट डीएसडब्ल्यू के खाते में डाल दी जाये। विशेषज्ञों का कहना है कि पूटा प्रधान होते हुए प्रो. राजेश गिल दो बार ऐसा कर चुकी हैं। क्योंकि वे पहले से चुनी हुई सीनेटर थीं लिहाजा उन्होंने पूटा के खाते में सचिव प्रो. जेके गोस्वामी के सीनेट में बैठने के प्रस्ताव को चांसलर को भेजा था, जिस पर चांसलर ने अनुमति दी थी। कुलपति खेमा भी अब ये ही दांव खेलने जा रहा है।
डीएसडब्ल्यू बन सकते हैं पदेन सीनेट मैंबर
डीएसडब्ल्यू को पदेन सीनेट मैंबर बनाये जाने के सवाल पर वरिष्ठ सीनेटर और कानूनविद सत्यपाल जैन ने कहा कि पीयू की ओर से अगर ऐसा कोई रेजूलेशन चांसलर को भेजा जाता है तो बहुत संभव है इस तरह की व्यवस्था हो जाये कि डीएसडब्ल्यू को पदेन सीनेट मैंबर बना दिया जाये। पूटा के मामले में भी ऐसा किया जा चुका है।