विवेक शर्मा
चंडीगढ़ , 3 नवंबर
एक 23 वर्षीय युवक की असामयिक मृत्यु के बाद उसकी कहानी आज एक नई उम्मीद बनकर सामने आई है। एम्स जोधपुर में इलाज के दौरान गंभीर चोटों के चलते युवक को बचाया नहीं जा सका, लेकिन उसके परिवार ने उसकी मृत्यु के बाद भी कई जिंदगी बचाने का साहसिक निर्णय लिया। इस युवक के अंगदान से न केवल पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में सिमलटेनियस पैनक्रियाज-किडनी प्रत्यारोपण किया जा सका, बल्कि दिल्ली और जोधपुर में भी अंगों का सफल प्रत्यारोपण कर कई लोगों की जिंदगियों को नई उम्मीद दी गई।
जोधपुर aims से प्रत्यारोपण के लिए अंग लाती पीजीआई की टीम pic.twitter.com/HYs8W9wUk2
— Vivek Sharma (@VivekSh45714443) November 3, 2024
एम्स जोधपुर में इस 23 वर्षीय युवक का इलाज चल रहा था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। ऐसे कठिन समय में उसके परिवार ने जिस प्रकार अंगदान का निर्णय लिया, वह न केवल साहसिक है, बल्कि कई लोगों के लिए प्रेरणादायक भी है। युवक के अंगों में उसकी किडनी और पैनक्रियाज ROTTO North के माध्यम से पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ को भेजी गई, जहाँ डॉक्टरों की टीम ने सिमलटेनियस पैनक्रियाज-किडनी प्रत्यारोपण की तैयारी की। एक किडनी आईएलबीएस, दिल्ली को दी गई और लिवर का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण एम्स जोधपुर में ही किया गया।
दृढ़ संकल्प और मिशन की यात्रा:
डॉ. आशीष शर्मा के नेतृत्व में पीजीआई की टीम ने इस चुनौतीपूर्ण मिशन को पूरा करने के लिए दिल्ली तक का सफर सड़क मार्ग से तय किया और फिर 3 नवंबर की सुबह 6:45 बजे जोधपुर के लिए फ्लाइट पकड़ी। इस यात्रा के दौरान, टीम के सामने कई तरह की चुनौतियाँ आईं, लेकिन हर कठिनाई को पार कर उन्होंने ऑर्गन रिट्रीवल की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
ग्रीन कॉरिडोर की महत्ता:
दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरने के बाद, टीम ने आईएलबीएस के लिए एक किडनी सौंप दी। चंडीगढ़ लौटते समय, पंजाब और हरियाणा की पुलिस ने टीम के लिए हवाई अड्डे से पीजीआईएमईआर तक एक ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया। इस ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से टीम को सुगमता से पीजीआईएमईआर पहुँचने का मार्ग मिला, जिससे अंग समय पर प्रत्यारोपण के लिए सुरक्षित रूप से पहुँचाए जा सके। इस तत्परता ने कई जिंदगियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंगदान की शक्ति को प्रदर्शित किया।
अंगदान का महत्व और टीम की प्रतिबद्धता:
इस सफल मिशन के लिए एम्स जोधपुर, SOTTO राजस्थान, ROTTO North, और पीजीआईएमईआर की टीम ने सामूहिक रूप से काम किया। यह मिशन इस बात का प्रतीक है कि मानवता के प्रति डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा का संकल्प अटूट है। एक अज्ञात युवक और उसके परिवार की इस आत्मिक उदारता से कई जीवन अब एक नई शुरुआत कर सकते हैं।
इस घटना ने न केवल अंगदान के महत्व को और भी उजागर किया है, बल्कि यह प्रेरणा दी है कि यदि एक परिवार दुःख की घड़ी में इस प्रकार का निर्णय ले सकता है, तो हम सभी के पास समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता है। इस साहसी कदम और पीजीआईएमईआर की टीम के समर्पण ने एक बार फिर मानवता को नई ऊँचाई दी है।