चंडीगढ़, 26 जून (ट्रिन्यू)
स्थानीय गांधी स्मारक भवन सेक्टर 16 में ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया, जिसका विषय था ‘इमरजेंसी के दो पहलू’। शुभारम्भ गांधी स्मारक भवन के कार्यकर्ता आनंद राव, पापिया चक्रवर्ती एवं गुरप्रीत द्वारा गाई गई सर्व-धर्म प्रार्थना से हुआ। अध्यक्षता निर्मल दत्त उपाध्यक्षा गांधी स्मारक निधि, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल तथा चंडीगढ़ ने की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि संत विनोबा भावे ने आपातकाल को अनुशासन पर्व कहा था। उन्होंने एक तरह से सरकार और सत्ता का विरोध किया था। कार्यक्रम का संचालन करते हुए देवराज त्यागी निदेशक गांधी स्मारक भवन ने कहा कि 25 जून 1975 को देश में जब आपातकाल की घोषणा हुई, उस समय विनोबा जी का मौन चल रहा था। जब 6 महीने बाद उनका मौन समाप्त हुआ तो उन्होंने बताया कि आचार्य का अनुशासन होता है तथा सत्ता करने वालों का शासन होता है। तत्कालीन सरकार ने उनके अनुशासन पर्व का गलत अर्थ लगाया। मुख्य वक्ता अरुण जौहर एडवोकेट पंजाब एवं हरियाणा, हाईकोर्ट ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से अघोषित आपातकाल ही चल रहा है। प्रो. विजय दत्त शर्मा पूर्व निदेशक हरियाणा ग्रन्थ एकेडमी एवं अमनदीप सिंह ने भी विचार साझा किये।