हेमंत पाल
एक नियोजित शहर की संरचना के साथ उसे लेकर कुछ सोच भी विकसित होती है। शहर में रहने वाले उसके स्वच्छ होने, शुद्ध होने, स्मार्ट होने और व्यवस्थित होने की भी कल्पना करते हैं। इस नजरिये से देखा जाए, तो इंदौर ऐसी सारी उम्मीदों पर खरा उतरता है। लगातार छह साल तक देश में सबसे स्वच्छ शहर का ख़िताब हासिल करना आसान नहीं होता, लेकिन इंदौर ने यह कमाल किया। अब ये शहर उससे भी आगे निकल गया। हाल ही में इसे देश का सबसे शुद्ध शहर चुना गया, जिसका आशय है कि यहां की हवा में शुद्धता है। बात यहीं ख़त्म नहीं होती। इंदौर को देश के सबसे स्मार्ट शहर के रूप में भी चुना गया। केंद्र सरकार ने जो ‘इंडिया स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2022’ की घोषणा की, उसमें इस शहर ने ‘बेस्ट नेशनल स्मार्ट सिटी’ का अवॉर्ड जीता। ये तो वे अवॉर्ड हैं, जो इंदौर ने मुकाबले में जीते। वास्तव में तो यह शहर अपनी तरह का अनोखा शहर तो पहले से ही है। यहां की सांस्कृतिक विरासत, स्वादिष्ट व्यंजन, लता मंगेशकर जैसी स्वर साम्राज्ञी की जन्मस्थली और जाने-माने फिल्म कलाकार सलमान खान के शहर का किसी से कोई मुकाबला नहीं।
केंद्र सरकार ने जब बीते बरस इंदौर को लगातार छठी बार देश के सबसे स्वच्छ शहर के ख़िताब के लिए चुना, तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि, इंदौर जितनी सफाई देश के किसी भी हिस्से में नहीं है। इस शहर की स्वच्छता का अपना अलग मॉडल है, जिसे अपनाकर ये शहर इस शिखर पर बना हुआ है। नगर निगम ने यहां सफाई का जो मॉडल विकसित किया, वो है कचरे का सही तरीके से निपटारे का सिस्टम। यह शहर सफाई के दौरान निकले कचरे को बेचकर भी करोड़ों रुपए कमा रहा है। इसे कचरा पेटी मुक्त शहर का तमगा भी हासिल है। यहां रहने वाली 40 लाख से ज्यादा की आबादी रोजाना करीब 1,200 टन सूखा और 700 टन गीला कचरा डिस्चार्ज करती है। इससे सीएनजी गैस बनाई जाती है, जिससे नगर निगम की सिटी बसें दौड़ती हैं।
छह बार स्वच्छता में अव्वल आने वाले इंदौर को शुद्ध आबोहवा वाला शहर भी चुना गया। ये स्वच्छता के क्षेत्र में इसकी एक और उपलब्धि है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2023’ में इंदौर को पहले स्थान पर रखा। बता दें 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इंदौर ने 200 में से 187 अंक हासिल कर पहला स्थान पाया। इस शहर की वायु को शुद्ध करने के लिए 3 साल में करीब 200 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इतनी बड़ी राशि खर्च करके ही इंदौर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को 100 अंक से नीचे रख सका है।
वास्तव में तो यह चुनौती सबसे बड़ी थी। शहर को स्वच्छ-स्मार्ट बनाया जा सकता है, पर आबोहवा की शुद्धता लंबी मेहनत के अलावा रणनीति से ही संभव है। इंदौर ने आबोहवा सुधारने के लिए शहर में रोज मशीनों से सड़कों की सफाई की। नगर निगम ने ई-व्हीकल को बढ़ावा देना शुरू किया। ई-चार्जिंग स्टेशन बनाए गए। इसके अलावा साईकल सुविधा भी शहर में उपलब्ध कराई गई। सिटी बसें सीएनजी और इलेक्ट्रिसिटी से चलाई जा रही हैं। वायु की शुद्धता के लिए शहर के मार्गों पर 100 से ज्यादा मॉनिटरिंग मशीनें लगाई गई। दो मॉनिटरिंग स्टेशन भी बनाए गए हैं, जो प्रदूषण पर नजर रखते हैं। शहर के अलग-अलग चौराहों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए। ढाबों में लकड़ी से जलने वाले तंदूर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया। चौराहों पर लाल बत्ती पर खड़े वाहनों के इंजन बंद कराने के लिए भी अभियान चलाया।
इसके अलावा इंदौर को अभी एक और उपलब्धि हासिल हुई, वो है ‘बेस्ट नेशनल स्मार्ट सिटी’ का अवॉर्ड। केंद्र सरकार ने ‘इंडिया स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2022’ की घोषणा की, जिसका अवॉर्ड भी इंदौर को मिला। सूरत और आगरा क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। देश के 100 स्मार्ट शहरों में भी इंदौर के अव्वल रहने के पीछे यहां की स्वच्छता और शुद्धता का बड़ा योगदान है। देश में स्मार्ट शहर के चुनाव के लिए लिए कुछ पैरामीटर प्रदर्शित करने होते हैं। ये हैं बढ़िया इंटरनेट कनेक्टिविटी, अच्छा बुनियादी ढांचा, सुगम परिवहन और बेहतर कानून-व्यवस्था। स्मार्ट शहर को साइबर दक्षता और डेटा सुरक्षा के बारे में भी जागरूक होना जरूरी है। इंदौर ने पिछले साल सूरत के साथ मिलकर विजेता के रूप में स्मार्ट सिटी का साझा पुरस्कार जीता था।
अब इंदौर को सोलर सिटी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए घरों और दफ्तरों का सर्वे करके बताया जाएगा कि उनकी छत पर सोलर पैनल लगाने से कितनी बिजली बचेगी और क्या फायदे होंगे। बैंक से मिलने वाली सब्सिडी और कर्ज की जानकारी भी जाएगी, ताकि लोग प्रेरित हों। इसके अलावा फ्लाईओवर के नीचे की खाली जगह को विकसित कर वहां के लिए उपयोगी प्रोजेक्ट भी तैयार किए जा रहे हैं। शहर के कुछ स्मारक और पार्क भी विकसित किए जा रहे हैं। अगले साल तक स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) लागू करने की तैयारी भी कर रहा है। जिस तरह से इंदौर को अपने प्रयासों में सफलता मिल रही है, उसमें शहर प्रशासन के साथ ही यहां के निवासियों के योगदान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।