एक हकीकत है कि 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के विरुद्ध जो वैश्विक युद्ध छेड़ा था, वह 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की हड़बड़ी में वापसी के बाद शिथिल पड़ने लगा है। आतंकवाद को लेकर अमेरिका की प्राथमिकताएं अपने हितों को केंद्र में रखकर बनाई जाती रही हैं, जिसके चलते पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैय्यबा के सरगना हाफिज सईद और भगोड़े डॉन दाऊद इब्राहिम जैसों को लेकर उसका रवैया विरोधाभासी रहा है। मुम्बई आतंकी हमले के लगभग 15 साल बाद, हाल ही में एक अमेरिकी अदालत ने अमेरिकी सरकार की मार्फत भारत की अर्जी पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें कनाडाई व्यापारी तहव्वुर राणा को भारत को सौंपने की अपील की गई थी, जो कि 26/11 के मुम्बई हमले में हाफिज़ सईद और अन्यों का सह-आरोपी है। वर्ष 2019 में भारत ने हाफिज़ सईद, दाऊद इब्राहिम और जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अज़हर को संशोधित गैरकानूनी गतिविधि (प्रतिरोध) कानून के अंतर्गत आतंकी घोषित किया था।
सीरिया में हुई हालिया घटनाओं ने भारत जैसे आतंक-पीड़ित राष्ट्रों को उपायों वाली कार्रवाई करने की जरूरत को सुदृढ़ किया है। अप्रैल महीने के आखिर में, तुर्की के खुफिया बलों ने आईएसआईएस नेता अबू अल-हुसैनी अल कुरैशी को मार गिराने का दावा किया था। इससे पहले, अमेरिकी बलों ने भी एक मामले में सीरिया की डेमोक्रेटिक आर्मी के साथ मिलकर तो अन्य में केंद्रीय कमान द्वारा आईएसआईएस के दो बड़े आतंकियों हमज़ा अल होमज़ी और अय्यद अहमद अल जाबौरी को उत्तरी सीरिया में मार गिराया था। साफ है यह तीनों हवाई हमलों के जरिए मारे गए।
तीन दशक से ज्यादा समय से सीमापारीय आतंकवाद झेल रहे भारत को प्राथमिकता के आधार पर एक आतंकी-सफाया सूची बनानी चाहिए थी। आतंक से मुक्ति किसी राष्ट्र को अपनी आर्थिक और सामरिक आकांक्षाएं पूरी के लिए एक आवश्यक पूर्व-शर्त है। सटीक खुफिया सूचना और एकदम सटीक निशाना लगाने की क्षमता किसी भी प्रभावशाली आतंकरोधी हवाई अभियान का मुख्य अवयव होती है। यह समय ‘ग्रे-ज़ोन’ अभियान चलाने का है, जैसे कि विशेष बल और खुफिया सूचना आधारित मारक हमला। नवीनतम मिलिटरी जैट पैक और पैराशूट- सैनिकों के लिए बॉडी सूट नामक तकनीक की उपलब्धि विशेष बलों की औचक कार्रवाई क्षमता में रोचक संभावनाएं पैदा करती हैं। शक्ति गुणात्मकता बनाने की प्राप्ति के लिए, वायुसेना के गरुड़ कमांडो बल और नौसेना के जल कमांडो दस्ते मारकोस द्वारा मिलकर कार्रवाइयां करने की सलाह व्यावहारिक है।
20 अप्रैल को पुंछ में सैनिक दस्ते पर घात लगाकर हुए हमले से स्पष्ट है ऐसे आतंकी हमले आगे भी रुकने वाले नहीं। अब जबकि पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने एक साक्षात्कार में यह कबूल किया है कि भारत के विरुद्ध रिवायती किस्म का युद्ध लड़ने के लिए पाकिस्तान पूरी तरह सुसज्जित नहीं है, ऐसे में व्यग्र पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के पास भारत को नश्तर चुभाने की खातिर वास्तविक सीमा रेखा के पार आतंकी हमले बढ़ाने का विकल्प बचता है।
किसी राष्ट्र के लिए, उसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय और सीमा पार से चलाए जा रहे आतंक को नेस्तनाबूद करने के लिए हवाई हमले करना एक प्राथमिक विकल्प हैndash;एक तरह से रामबाण जैसा। आतंकवादी तत्वों के विरुद्ध मारकशक्ति लैस इस महत्वपूर्ण राह को चुनने में भारत की हिचक शायद इस सोच के कारण रही कि कहीं इससे मौजूदा संघर्ष और न भड़क जाए। लेकिन यही दुविधा आतंकरोधी आधुनिक हवाई हमले अभियानों के लिए भारत में विशेष बल और मानवरहित लक्ष्यभेदन हवाई क्षमता बनाने की तगड़ी पैरवी भी करती है। ऐसा करना एक समांतर रणनीतिक एवं राजनीतिक सैन्य संकेत होगा। वर्ष 2019 में पुलवामा हमले के चंद दिनों बाद बालाकोट के आतंकी शिविर पर किया गया प्रभावशाली हमला कड़ा संदेश देने का एक उदाहरण है।
सीधे युद्ध से इतर सैन्य अभियानों वाली योजना, जैसे कि मनोवैज्ञानिक अभियान और साइबर युद्ध जैसे युक्तिपूर्ण विकल्पों से आतंकरोधी अभियानों में परिणाम पाया जा सकता है। आयुध की बढ़ी भेदन क्षमता और विरोधियों की तरंगों से जाम न होने या राह भटकाऊ रोधी तकनीकों से लैस मानव रहित वायुयानों के जरिए निश्चित मारक क्षमता में सुधार हो सकता है। साथ ही, नवीन इलेक्ट्रॉनिक्स खुफिया-टोही तकनीकों से लक्ष्य भेदन में वांछित परिणाम मिलने की संभावना अधिक हो जाती है। यह हालात पर निर्भर करता कि निशाने पर रखे आतंकी को मार गिराने में हवाई हमला लड़ाकू हवाई जहाज के जरिए हो या आक्रमण हेलिकॉप्टर या फिर ड्रोन से। इसके अलावा इन तरीकों में लक्ष्य के आसपास के इलाके में तबाही सीमित रखने का फायदा है, खासकर एकदम अड़ोस-पड़ोस में जानमाल को नुकसान न पहुंचने देना जरूरी हो।
अंधेरे में देखने वाले उपकरणों की कार्यक्षमता में सुधार और दागे गए बम से स्व-क्षति बचाऊ तकनीक आने से लक्षित आतंकी को मार गिराने में आगे मदद मिली है। आक्रामक और निरंतर अभ्यास करना महत्वपूर्ण है ताकि इस भूमिका के लिए विशेष तौर पर चुने गए लड़ाकू पायलट और सहयोगियों से सज्जित एक सुयोग्य टीम हरदम तैयार रहे। कहने की जरूरत नहीं कि वक्त रहते निर्णय लेना एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति से वांछित परिणाम मिलते हैं। आतंक के पैरोकार पड़ोसी को सही संदेश देने में दंडात्मक हवाई कार्रवाई सबसे बेहतर विकल्प और तरीका है।
इस धारणा को दरकिनार करते हुए कि भारत जी-20 के अपने मौजूदा अध्यक्षता कार्यकाल और शंघाई सहयोग संगठन के विविध आयोजनों के दौरान पाकिस्तान में बैठकर आतंक मचाने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज़ रखे, हमें अपने सुरक्षा बलों को किसी भी अप्रत्याशित घटना के लिए पहले से तैयार रखना होगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर हुआ हालिया ड्रोन हमलाndash; इस बहस में पड़ते हुए कि वास्तव में किसने कियाndash; महत्वपूर्ण लक्ष्यों (व्यक्तियों) को निशाना बनाने में इनकी व्यवहार्यता को सुदृढ़ करता है। उड़ान दूरी ज्यादा न होने और विध्वंसक आयुध ज्यादा न ले जा सकने की कमी के बावजूद यूक्रेनी सेना ने ड्रोंस के प्रभावशाली इस्तेमाल से रूसी नेतृत्व को कड़ा संदेश दिया है। सटीक खुफिया जानकारी और अधिक सक्षम ड्रोन गाइडिंग तकनीक की उपलब्धता से पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में आतंक रोधी हवाई हमलों में बढ़ोतरी होती जाएगी।
भारत के घरेलू ड्रोन कार्यक्रम को इस क्षेत्र में परिणाम शीघ्र देने की जरूरत है, खासकर जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में परिष्कृत लक्ष्य भेदी तकनीक पहले से उपलब्ध हो। हम स्वदेशी उपग्रह आधारित सुविधा के जरिए अपने मानव रहित लक्ष्य भेदन यानों को दूर से नियंत्रित करने की स्थिति में हैं। कोई हैरानी नहीं कि अमेरिकी फौज ने भी अपनी छठी पीढ़ी की हवाई श्रेष्ठता योजना में ड्रोंस को एकीकृत रणनीति का अभिन्न हिस्सा बनाया है। यह योजनाकारों का मानवरहित हवाई लक्ष्य भेदी युद्ध की ओर बढ़ने का संकेत देता है।
लेखक रक्षा संबंधी मामलों के विशेषज्ञ हैं।