शमीम शर्मा
हर शब्द का भी अपना एक भाग्य होता है। किसे मालूम था कि बुलडोजर शब्द रातोंरात जन-जन की जुबान पर डेरा डाल लेगा। सिर्फ एक-दो राज्यों में नहीं, बुलडोजर की गर्जना तो पूरे देश में होनी चाहिए। जहां भी निर्माण के नाम पर धोखाधड़ी हुई है, वहां पर चुन-चुन कर नहीं, पूरी ईमानदारी से बुलडोजर को बेधड़क चलना चाहिए। पर बेचारा बुलडोजर भी कहां-कहां जाये? कहीं नाजायज निर्माण हैं, कहीं ऐसे ही सरोकार हैं, कहीं नाजायज राज सिंहासन हैं, कहीं नाजायज कहा-सुनी है, कहीं नाजायज धन-दौलत है। हिस्ट्री शीटर, गैंगस्टर, माफिया तथा बड़े-बड़े मगरमच्छों के घर तो जब चाहे बुलडोजर भेज दो। इनके नाजायज कब्जों और जबरन निर्माण के प्रमाण सबको पता हैं। पर इनके खिलाफ कोई बुलडोजर शायद ही चुसकता हो।
एक चरम सत्य यह भी है कि ऐसा कोई बुलडोजर बना ही नहीं जो किसी का घमंड चूर कर सके। ताकतवरों के अहंकार के सामने सारे हथौड़े, जेसीबी और बुलडोजर तक फेल हैं। समर्थ को भैंस पर कब्जा करने के लिये किसी बुलडोजर की जरूरत ही नहीं है, वह तो लाठी के बल पर ही यह कृत्य करने की ताकत रखता है।
विज्ञान के चमत्कारों में से बुलडोजर का जलवा आज सबसे ज्यादा चमक छोड़ रहा है। सड़कें चौड़ी करने, नवनिर्माण और पुल बनाने में जेसीबी व बुलडोजर की अहम भूमिका है। स्वयं बुलडोजर बनाने वालों ने भी नहीं सोचा होगा कि कभी नाजायज कब्जे छुड़ाने और अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का जिम्मा उनका होगा।
गलतफहमी की दीवार को कोई बुलडोजर का बाप भी नहीं ढहा सकता। कोई भी काम करके देख लो, गलतफहमियां तो कुकुरमुत्तों की तरह पनपने लगती हैं। हर अच्छे से अच्छे से काम को रुकवाने की कोशिश वे ही लोग करते हैं तो दूसरे सिरे पर खड़े होकर भोंपू जैसी ऊंची आवाज में चिल्लाते हैं कि इस देश में कुछ भी ठीक नहीं हो रहा। बुलडोजरों के ताबड़-तोड़ एक्शन और अवैध कॉलोनियों में नाजायज निर्माणों पर पंजे की मार की तो सराहना होनी चाहिये। हां, बुलडोजर को जाति, धर्म, वर्ण आदि से ऊपर उठना होगा वरना इसके पंजे इसे ही नोच लेंगे।
बात नवयुवतियों की करें तो उनका कहना है कि मनचलों के हौंसले कुचलने के लिये भी बुलडोजर होने चाहिए। दूसरी तरफ एक प्रेमी की वेदनापूर्ण गाथा है कि— उनकी यादों को भुलाने के लिये दिल पे जो रखे थे हमने पत्थर, कमबख्त सरक कर किडनी में आज वे पथरी बन गये। है कोई बुलडोजर जो इन पथरियों को पीस-पीस कर बाहर कर दे।
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एक संदेश आजकल ट्वीटर पर खूब धूम मचाये हुए है :-
तू बाबा की बुलडोजर है, मैं हूं अवैध निर्माण प्रिय
जब-जब तुझको देखूं, तो डर से कांपे प्राण प्रिय।