भरत झुनझुनवाला
तमाम अर्थशास्त्रियों का मानना है कि देश के आर्थिक विकास के लिए हमें बुनियादी संरचना को सही करना होगा, जैसे हाईवे, विद्युत, इंटरनेट इत्यादि को। सड़क सही नहीं होती है तो व्यापार नहीं पनपता है। अध्ययनों में पाया गया है कि ग्राम विकास के लिए सबसे अधिक प्रभावी निवेश पक्की सड़क में होता है। सड़क उपलब्ध हो जाने से गांव के लोग अपने माल को आसानी से शहर तक ले जाकर बेच सकते हैं और गांव का विकास होने लगता है। वर्तमान एनडीए सरकार ने बुनियादी संरचना में निवेश में भारी प्रगति की है, विशेषकर हाईवे और जलमार्ग में। सरकार के पूंजी निवेश में बुनियादी संरचना प्रमुख हिस्सा होता है। पिछले वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार ने 4.39 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया था जो वर्तमान वर्ष 2021-22 में 5.54 लाख करोड़ होने का अनुमान है। इसमें 29 प्रतिशत की भारी वृद्धि की गई है।
फिर प्रश्न उठता है कि बुनियादी संरचना में इतने निवेश के बावजूद एनडीए सरकार के ही पिछले 6 वर्षों में हमारी आर्थिक विकास दर लगातार गिर क्यों रही है? इसका कारण संभवतः यह है कि हम गलत बुनियादी संरचना में निवेश कर रहे हैं, जैसे मरीज को दवा देना जरूरी होता है लेकिन गलत दवा देने से नुकसान हो जाता है। यह बात कुछ उदाहरणों से समझी जा सकती है।
फुट ओवर ब्रिज काे लें। चौराहे पर पैदल यात्रियों के लिए फुट ओवर ब्रिज बना दिया जाता है। इससे आम आदमी को सड़क पार करने में समय अधिक लगता है। ऊपर चढ़ने और उतरने में उसकी ऊर्जा व्यय होती है जबकि नीचे कार के सरपट भागने और लाल बत्ती के हटाए जाने से उच्च वर्ग को आसानी होती है। वह अपने गंतव्य स्थान पर शीघ्र पहुंच सकते हैं। हां आम आदमी के जीवन की रक्षा होती है और उच्च वर्ग को दुर्घटना से बचने में मदद भी मिलती है। लेकिन अंत में आम आदमी पर फुट ओवर ब्रिज का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जबकि उच्च वर्ग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसका उपाय यह है कि फुट ओवर ब्रिज के साथ स्वचालित एस्केलेटर लगाया जाए, जिससे कि आम आदमी के समय की बर्बादी न हो और एस्केलेटर चलाने का खर्च नीचे दौड़ने वाली कार से वसूल किया जाए।
दूसरा उदाहरण हाईवे का लें। हाईवे पर गाड़ी बिना व्यवधान के दौड़ सके, इसलिए दोनों तरफ तार लगा दिए जाते हैं। हाईवे के एक तरफ रहने वाले को हाईवे के दूसरी तरफ अपनी जमीन तक पहुंचने के लिए अब 5 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है क्योंकि ट्रैक्टर को हाईवे पार कराना अब संभव नहीं रह गया है। इसलिए हाईवे से किसान की लागत बढ़ जाती है। इसके विपरीत हाईवे पर चलने वाले ट्रक को सुविधा होती है। ट्रक पर ढोए जाने वाले माल का ढुलाई खर्च कम हो जाता है। लेकिन ट्रक पर ढुलाई किये जाने वाले माल की खपत अनुमान से 80 प्रतिशत उच्च वर्ग द्वारा ही की जाती है। साथ-साथ हाईवे बनाने में जो सीमेंट, स्टील और मशीन का उपयोग किया जाता है, वह भी बड़ी कंपनियां ही सप्लाई करती हैं।
हाईवे का अंतिम परिणाम आम आदमी पर नकारात्मक पड़ता है। इतना अवश्य है कि उसके द्वारा भी बाजार से खरीदी जाने वाली वस्तुओं के दाम में गिरावट आती है। लेकिन बाजार से आम आदमी माल कम खरीदता है और उच्च वर्ग ज्यादा। इसलिए उच्च वर्ग को विशेष लाभ होता है। इसका उपाय यह है कि हाईवे बनाने के साथ-साथ ग्रामीण सड़कों पर भी भारी निवेश किया जाए, जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों एवं कस्बों में आम आदमी के लिए भी कार्य करना लाभप्रद हो जाए। हाईवे बनाने से उसका जो उसे नुकसान होता है, उसकी भरपाई कस्बे की अच्छी सड़क से हो जाए।
तीसरा उदाहरण जलमार्ग का लीजिए। जलमार्ग बनाने से नदी पर बड़े जहाज चलने लगते हैं और मछुआरों का धंधा समाप्तप्राय हो जाता है। छोटे नाविकों का धंधा भी कमजोर पड़ जाता है। इसके विपरीत जल मार्ग से कोयले आदि माल की ढुलाई की लागत कम हो जाती है। कोयले से उत्पादित बिजली की भी लागत कम हो जाती है। लेकिन उस बिजली की खपत भी एल्युमिनियम जैसे उद्योगों और बड़े शहरों में एयर कंडीशनर इत्यादि उपकरणों को चलाने में अधिक होता है। इस प्रकार जलमार्ग का मछुआरों और नाविक पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जबकि उच्च वर्ग को सस्ती बिजली और सस्ते माल की उपलब्धि होने से लाभ होता है। इसका विकल्प यह है कि जलमार्ग के स्थान पर रेल मार्ग से ढुलाई की जाए, जिससे आम आदमी पर दुष्प्रभाव कम पड़े।
चौथा उदाहरण खनिज के खदान का लें। आज तमाम खनिज हमारे जंगलों के नीचे दबे पड़े हैं। इन्हें निकालने के लिए उनके ऊपर के जंगलों को काटा जाता है। इससे स्थानीय लोगों को महुए के फूल, चिरौंजी के दाने, तेंदू पत्ता, पशुओं का चारा इत्यादि सभी नष्ट हो जाते हैं। आम आदमी की आय में गिरावट आती है। खदान से जो खनिज निकाले जाते हैं-लोहा, एल्युमिनियम अथवा तांबा इत्यादि जो माल बनाया जाता है, उसकी खपत भी उच्च वर्ग ही ज्यादा करते हैं। अंतिम परिणाम आम आदमी के लिए नकारात्मक और उच्च वर्ग के लिए सकारात्मक होता है। इसका उपाय यह है कि जंगल काटने से पहले आम आदमी को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए और खदान करने के बाद उस भूमि पर पुनः जंगल को लगाया जाए। तब आम आदमी पर महुए, चिरौंजी, तेंदू पत्ता इत्यादि के समाप्त होने से पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव की भरपाई हो पाएगी.
पांचवा उदाहरण 5जी इंटरनेट का लें। आम आदमी के लिए 4जी पर्याप्त है। उसके बच्चे को ऑनलाइन क्लास में सम्मिलित होना होता है अथवा उसे बगल के शहर में फसल के मूल्य की जानकारी की जरूरत होती है। लेकिन 5जी इंटरनेट से भारी मात्रा में सूचना का आदान-प्रदान आसान हो जाता है। जैसे डाटा एनालिसिस करने वालों का कार्य सुलभ हो जाता है। अतः 5जी इंटरनेट से उच्च वर्ग को अधिक लाभ होता है। इसका विकल्प यह है कि 5जी के साथ-साथ 4जी इंटरनेट की सुविधा को सबको उपलब्ध कराया जाए और आम आदमी को मुफ्त वाईफाई उपलब्ध कराया जाए।
मात्र बुनियादी संरचना में निवेश करना पर्याप्त नहीं होता है। जिस प्रकार केवल दवा देना रोगी के उपचार के लिए पर्याप्त नहीं होता है। सही संरचना बनानी होगी और सही दवा देनी होगी। इसलिए सरकार को चाहिए कि बुनियादी संरचना के खौफ से बचे। उच्च वर्गीय बुनियादी संरचना में निवेश करने से देश की आर्थिक विकास दर लगातार गिर रही है। बुनियादी संरचना में निवेश की दिशा में परिवर्तन करना होगा।
लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।