प्रदीप कुमार राय
परीक्षा में फेल होना क्या होता है? दो रोज पहले टीवी पर एक खबर देखकर मुन्ना ने अपनी मम्मी से यह सवाल पूछा। मुन्ना बोला, ‘टीवी पर दिखा रहे थे कि अब पांचवीं और आठवीं के बच्चे फेल भी हो सकते हैं… सरकार ने कहा है।’ मम्मी ने तुरंत इंटरनेट खंगाला और देखा कि हां, सरकार ने कह दिया है कि बिल्कुल खराब प्रदर्शन करने पर पांचवीं और आठवीं में बच्चे फेल भी हो सकते हैं।
मम्मी झुंझलाई—‘इतना बड़ा हो गया है और परीक्षा में फेल होने का मतलब नहीं जानता।’ मुन्ना बोला, ‘मम्मी एग्जाम में फेल होने की बात न तो कभी स्कूल में सुनी न आपके मुंह से… फिर पता कैसे चलता?’ मम्मी बोली, ‘वाकई मुन्ना तो उस पीढ़ी का है, जिसमें परीक्षा में फेल होता ही कौन है? ‘सब गारंटीशुदा पास’ की पीढ़ी के बच्चे हैं यह तो, इनको फेल होने का क्या पता?’
मम्मी ने मुन्ना को समझाया कि किसी जमाने में किस तरह 33 प्रतिशत से भी कम अंक लेने पर कोई परीक्षा में फेल होता था। मुन्ना बोला, ‘मम्मी ऐसा तो अब फिर कभी हो ही नहीं सकता क्योंकि हमारे सारे स्कूल में 70 प्रतिशत से नीचे किसी के अंक आते ही नहीं और ऑनलाइन के बाद तो 90 प्रतिशत से ज्यादा ही आते हैं।’ मुन्ना बोला, ‘मम्मी मैंने तो सुना है कि बड़ी कक्षाओं में, जिनकी कई साल से अटकी रिअपियर वगैरह थीं… उन्होंने ऑनलाइन एग्जाम में 90 प्रतिशत अंक लेकर पास कर दी। यानी अब नई पीढ़ी को रिअपियर का भी डर नहीं।’
मम्मी ने मुन्ना को बताया कि कैसे उनके जमाने में बच्चे स्कूल में किसी भी क्लास में फेल होते थे। पास होने की गारंटी पहली कक्षा में भी नहीं थी। मम्मी मुन्ना को तो बताए न, लेकिन याद करके उसकी आंख भर आई कि जब वह पांचवीं में थी तो सारे गांव में एक बच्चा पास हुआ था और मम्मी खुद बुरी तरह फेल हुई थी।
मुन्ना बोला, ‘मम्मी उस जमाने में बच्चों में ज्यादा दिमाग नहीं होता होगा। आज की पीढ़ी बहुत होशियार हो गई… आज का कोई बच्चा आपके जमाने की तरह इतने कम अंक लेता ही नहीं। और कोरोना के दौरान ऑनलाइन परीक्षा में इस जमाने के बच्चों ने अपनी वह काबिलियत दिखाई कि क्या टीचर… क्या सरकार… सब हैरान रह गए।
मम्मी सोचने लगी कि हे रब्बा! सरकार ने भी किस पीढ़ी के आगे फेल होने की बात छेड़ दी, जिन्होंने फेल होने और कोरोना काल में 90 प्रतिशत से कम अंक आने के खिलाफ स्टे ले ली है। कहीं ऑनलाइन परीक्षाएं हटाने के खिलाफ ही स्टे न ले बैठें क्योंकि अब 90 प्रतिशत अंक इनका अधिकार है।