यह गणतंत्र दिवस हम ऐसे समय में मना रहे हैं, जब हरियाणा में ‘संकल्प से परिणाम वर्ष’ मनाया जा रहा है। हमने वर्ष 2014 में जनसेवा का दायित्व संभालते ही जो संकल्प लिये थे, अब उनके परिणाम लोकहित-लोकसेवा के परिप्रेक्ष्य में आ रहे हैं। हमने व्यवस्था परिवर्तन से सुशासन और सुशासन से सेवा की मंजिलें तय की हैं। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी सबसे अधिक कारगर सिद्ध हुई है।
हम विकास से विकसित हरियाणा का रास्ता प्रौद्योगिकी और नीति के समुचित मेल से तय करेंगे। आज देश की राजधानी के कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हुई प्रदेश की झांकी वर्तमान हरियाणा को सही अर्थों में परिलक्षित करती है। हाथों में कंप्यूटर लिये महिलाएं डिजिटली सशक्त हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। प्रदेश में डिजिटलाइजेशन के जरिए परिवार पहचान-पत्र जैसी क्रांतिकारी स्कीम ने नए भारत के हरियाणा की तस्वीर बदल दी है। बीते एक दशक में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल ने प्रदेश को विकास के उस पथ पर डाला है, जिसकी एक दशक पहले कल्पना भी नहीं की गई।
हमारी सरकार के प्रदेश में जनसेवा के सवा 9 वर्ष पूर्ण हो गये हैं। वर्ष 2014 में जब प्रदेश की जनता ने हरियाणा की जनसेवा का दायित्व मुझे सौंपा था, तब हरियाणा की स्थिति ऐसी थी कि उन परिस्थितियों और सिस्टम के बीच रहकर प्रदेश को नए सिरे से विकास के मार्ग पर लाना संभव ही नहीं था। औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बावजूद वह रफ्तार नहीं पकड़ पाया था। भ्रष्टाचार का बोलबाला था। प्रदेश के संसाधनों का मनमाना व पक्षपातपूर्ण उपयोग हो रहा था। प्रदेश की जिम्मेदारी ग्रहण करते वक्त ही अहसास हो गया था कि प्रदेश को विकास के पथ पर ले जाने हेतु समय के अनुरूप कदम उठाने होंगे।
इस बिगड़ी व्यवस्था को ठीक करने के लिये टेक्नोलॉजी के साथ सही नीतियां एक जरिया हो सकती थीं। मैं स्वयं बचपन से ही इससे काफी नजदीक से जुड़ा रहा हूं, इसलिए टेक्नोलॉजी के लाभ समझता हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया के नारे से हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली।
शायद यही वजह रही कि मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया के स्लोगन और डिजिटलाइजेशन के जरिए प्रदेश के सिस्टम में सुधार की संभावना को समझा और प्रदेश के तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने की जिम्मेदारी ली। इसलिए शुरू से ही जाति, नस्ल, क्षेत्र, पंथ या संप्रदाय के आधार पर भेदभाव किये बिना समाज के सभी वर्गों को एक संघटित इकाई मानकर विकास व समृद्धि के समान अवसर उपलब्ध कराने की नीति पर चले। टेक्नोलॉजी से सिस्टम में लोगों तक लाभ पहुंचाना सुनिश्चित किया। आज मुझे संतोष है कि प्रदेश उस पथ पर आकर खड़ा हो गया है, जहां से आगे ही जाना होगा, अब पुराने सिस्टम में नहीं जाया जा सकता।
जनता को सुशासन का अनुभव कराने हेतु आवश्यक था कि ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ का मंत्र लेकर चला जाए। हमने हरियाणा में सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण कर शासन-प्रशासन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की। इससे आम आदमी को गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की आपूर्ति तय हुई। जनता को सरकारी विभागों में काम हेतु दफ्तरों की खिड़की-खिड़की भटकना पड़ता था। अपने काम के लिए कितने ही चक्कर लगाने पड़ते थे। यह दिक्कत तब और बढ़ जाती है जब गरीब आदमी से काम के बदले पैसे की मांग होती हो। अब हरियाणा की जनता को इन कष्टों से निजात मिल गई है। डिजिटलीकरण से सरकार ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ से एक कदम आगे बढ़ते हुए ‘ईज ऑफ लीविंग’ की दिशा में उपाय किये हैं।
परिवार पहचान-पत्र सरकार के डिजिटलाइजेशन के संकल्प का प्रमाण है। सरकार की सभी सेवाओं का लाभ लोगों को घर बैठे बिना बाधा के संभव हुआ है। सरकार के इस प्रयास ने दफ्तर, दरख्वास्त और दस्तावेजों की आवश्यकता समाप्त कर दी है। परिवारों को जोड़ने की परिपाटी सम्मानपूर्वक शुरू की है। राशन कार्ड बनवाने की दिक्कत से लेकर पेंशन पाने की मशक्कत और जाति प्रमाण-पत्र लेने हेतु दफ्तरों के धक्के खाने की मजबूरी को परिवार पहचान-पत्र ने समाप्त किया। पात्र परिवार को सुविधाएं अब केवल परिवार के पंजीकरण के जरिए खुद-ब-खुद मिलने लगी हैं। डिजिटलीकरण से भ्रष्टाचार से निपटने में मदद मिली। नियत समय सीमा के भीतर सेवाओं की आपूर्ति होने से पारदर्शिता आई है। डिजिटलीकरण ने प्रदेश में नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाया है। अब हम बिना पर्ची-खर्ची के नारे को सभी सरकारी सेवाओं में भी ले आए हैं। अब न तो किसी कार्यालय में जाना है और न ही काम के लिए बिचौलियों को पैसे देने हैं।
कृषि क्षेत्र में भी हमने डिजिटल गवर्नेंस का उपयोग कर किसानों को राहत दी है। फसलों की खरीद को सुविधाजनक बनाने हेतु ‘मेरी फसल-मेरा ब्योरा’ ई-खरीद पोर्टल शुरू किया है। इस पर किसान को फसल को बेचने तथा अन्य प्रोत्साहनों की राशि सीधे उनके खातों में जमा हो जाती है।
सरकारी राहत या मदद पाने में लोगों को बिचौलियों का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए अब सभी तरह की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, सब्सिडी और वित्तीय सहायता ‘डी.बी.टी.’ के माध्यम से दी जाती है। गांवों में मालिकाना हक से संबंधित विवादों पर अंकुश लगाने हेतु लाल-डोरा मुक्त करने की योजना शुरू की है। इस योजना को बाद में ‘प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना’ के नाम से पूरे देश में लागू किया गया। राज्य में 6,259 गांवों के लाल डोरा स्थित लगभग 25.03 लाख अचल सम्पत्ति के भू-स्वामियों को पंजीकृत टाइटल डीड वितरित की जा चुकी हैं।
राज्य में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार जमीन पर सी.एल.यू. देने में होता था। सी.एल.यू. की पूरी प्रक्रिया अब ऑनलाइन कर दी गई है। सभी सी.एल.यू. ऑनलाइन अनुमति के साथ 30 दिन में हो जाते हैं। भू-रिकॉर्ड को पूरी तरह डिजिटलीकरण करने हेतु सभी तहसीलों में समेकित हरियाणा भू-रिकॉर्ड सूचना प्रणाली लागू की गई है। अब भू-स्वामी किसी भी समय और स्थान पर भी अपनी सम्पत्तियों और भू-रिकॉर्ड का ब्योरा ऑनलाइन प्राप्त कर सकता है। इससे भू-विवादों को तुरंत निपटाने में मदद मिली है। सम्पत्तियों की रजिस्ट्री कराने के लिए ई-पंजीकरण प्रणाली शुरू की गई है। अब रजिस्ट्री हेतु कोई भी व्यक्ति पहले ही अपॉइंटमेंट ले सकता है। उस जिले की किसी भी तहसील में जाकर रजिस्ट्री करा सकता है।
जमीनों की रजिस्ट्री में गड़बड़ी रोकने के लिए रजिस्ट्री के समय प्रस्तुत किये जाने वाले विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों आदि के ‘बेबाकी प्रमाण पत्र’ ऑनलाइन जारी किये जाते हैं। भूमि विवादों के निपटान में ‘रिमांड’ एक बड़ी बाधा थी। फलत: भूमि विवाद पर कई पीढ़ियों तक फैसला नहीं होता था। सरकार ने रिमांड की प्रथा को खत्म किया है।
आम आदमी के प्रति प्रशासन की जवाबदेही और प्रक्रियाएं भ्रष्टाचार मुक्त करने हेतु हमने एक अनोखी पहल ‘सी.एम. विंडो पोर्टल’ शुरू किया। इसके जरिए 11 लाख 29 हजार शिकायतों का समाधान किया गया। सरकार की अधिकांश सेवाएं ऑनलाइन की गई हंै। राज्य में 22 हजार 500 अटल सेवा केन्द्रों, 119 अंत्योदय एवं सरल केन्द्रों के माध्यम से 56 विभागों की 682 योजनाएं व सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। प्रशासन की जवाबदेही और समय पर सेवा आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु ‘ऑटो अपील सॉफ्टवेयर’ शुरू किया है। इससे 40 विभागों की 425 सेवाओं को जोड़ा गया है। इन सेवाओं के आवेदकों को यदि नियत समय में सेवा नहीं मिलती तो उसकी अपील स्वत: उच्चाधिकारी के पास हो जाती है। फिर भी यदि सेवा समय पर नहीं मिले, तो ‘राइट टू सर्विस कमीशन’ को अपील स्वतः ही चली जाती है। इससे कर्मचारियों-अधिकारियों की जवाबदेही तय हुई व भ्रष्टाचार कम हुआ।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने अपनी समस्त सेवाएं ऑनलाइन कर दी हैं। किसी भी समय कहीं भी सुविधा प्रदान करने को विभिन्न नागरिक केंद्रित ई-गवर्नेंस पहलों को लागू किया है। समस्त भवन एवं अन्य कार्यों के निर्माण हेतु टेंडर प्रक्रिया व भुगतान को ऑनलाइन शुरू किया गया है।
बेरोजगार युवाओं को नौकरी के लिए अब बार-बार इंटरव्यू और फीस देने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए सरकार ने ‘एकल पंजीकरण’ की सुविधा शुरू की है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए ‘ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी’ लागू की है, जिससे धंधा करने वालों पर लगाम लगी है। सरकारी काम में तेजी लाने और फाइलों के शीघ्र निपटान के लिए ‘ई-ऑफिस’ की शुरुआत की गई है। इससे समय की बचत व कार्यों में पारदर्शिता आई है। इसे सभी 22 जिलों और 147 विभागों में लागू किया जा चुका है।
कुल मिलाकर, हमने सिस्टम से अनुचित हस्तक्षेप को खत्म कर दिया। इससे बिचौलिया संस्कृति खत्म हुई और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा। अब कोई भी व्यक्ति चाहे वह गरीब है, किसान है, व्यापारी है, महिला है, युवा है, आदि हर वर्ग की योजनाओं के मापदंडों और उनके लाभ को एक क्लिक पर देख सकता है। सरकारी सेवाओं व योजनाओं के लाभ भी पात्र व्यक्तियों को घर बैठे ही मिल रहे हैं। सभी प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
लेखक हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं।