लगभग ढाई दशक पूर्व की घटना है। मैं एक व्यक्तित्व विकास विषयक कार्यशाला के प्रेजेंटेशन में भाग लेने के लिए पहुंचा। जैसे ही रिसेप्शन पर पहुंचा तो देखा कि सामने स्थित सेमिनार हॉल का दरवाज़ा बंद हो रहा था। मैंने भी कार्यक्रम में भाग लेने की इच्छा ज़ाहिर की लेकिन रिसेप्शन पर बैठे सज्जन ने बताया कि दरवाज़ा बंद हो चुका है और कार्यक्रम प्रारंभ होने के बाद हम देर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति देने में असमर्थ हैं। मैं केवल कुछ ही मिनट लेट हुआ था। मिनट नहीं बल्कि कुछ सैकेंड लेट था। जैसा कि प्रायः होता है, मैंने अपनी तरफ से काफी दलीलें पेश कीं लेकिन वो टस से मस नहीं हुए। उन्होंने कहा-‘हमारे यहां समय की पाबंदी का बहुत महत्व है और हम इसका पालन करते हैं।’
उन्होंने मुझे अगले दिन इस कार्यक्रम में भाग लेने की सलाह दी। मैंने बस इतना ही कहा कि अब इतनी दूर से दोबारा कौन आएगा और लौट आया और अगले दिन किसी भी हालत में न जाने का निर्णय ले लिया। लेकिन भीतर ही भीतर कशमकश चल रही थी। जो संस्था या व्यक्ति किसी कार्यक्रम के लिए मोटी फीस वसूल करता है और व्यवस्था या समय संबंधी किसी प्रकार की छूट भी नहीं देता उसमें कुछ तो विशेषता अवश्य ही होगी। यह बात मन में आते ही मैंने अपना फैसला बदल लिया और किसी भी स्थिति में देर न हो जाए इसलिए उचित अंतराल से वहां के लिए चल पड़ा। कार्यक्रम सचमुच अच्छा था।
इस घटना से कई बातें स्पष्ट होती हैं। लेट हो जाने पर प्रेजेंटेशन में भाग न लेने देने पर संस्था की समय के प्रति प्रतिबद्धता ने उसके प्रति सम्मान व विश्वास ही उत्पन्न किया। इस सम्मान व विश्वास के कारण उन्हें न केवल एक प्रतिभागी या ग्राहक मिला अपितु भविष्य में भी कई ग्राहक मिले। यदि हम भी चाहते हैं कि लोगों का हमारे प्रति सम्मान व विश्वास बढ़े तो हमें हर हाल में समय की पाबंदी का ध्यान रखना चाहिए और समय पर हर काम पूरा करना चाहिए। साथ ही मेरा अगले दिन समय पर पहुंचना भी ये सिद्ध करता है कि यदि हम चाहें तो सदैव समय पर पहुंच सकते हैं। लेट होना कोई विवशता नहीं एक आदत होती है। इसी प्रकार से समय की पाबंदी भी एक आदत बनाई जा सकती है।
हमने ऐसे अनेक व्यक्तियों के विषय में पढ़ा अथवा सुना हैं, जिनके विषय में प्रसिद्ध था कि वे समय के बहुत अधिक पाबंद थे। जब वे अपने कार्य के लिए घर से निकलते थे तो आसपास के लोग उनको देखकर अपनी घड़ियां मिलाया करते थे। अपने एक सद्गुण के कारण वे आज भी अत्यंत प्रतिष्ठित हैं। इसमें संदेह नहीं कि यदि यह आदत विकसित हो जाती है तो जीवन में लाभ ही लाभ है। प्रतिदिन सिर्फ कुछ मिनट पहले उठने से लेट होने की समस्या का समाधान सरलता से किया जा सकता है। कहीं भी जाना हो सिर्फ दस मिनट पहले चलने से निश्चित रूप से समय पर पहुंच जाएंगे। समय पर तैयार होकर समय पर पहुंचने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम बेकार के तनाव, भागदौड़ व किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बच जाते हैं। बहाने बनाने से मुक्ति मिलती है और जीवन में सत्यनिष्ठा का समावेश हो जाता है।
अधिकांश व्यक्ति प्रायः जान-बूझकर लेट होते हैं। कई लोगों को यदि अपेक्षित समय से दस-पंद्रह मिनट कम ऑफिस में रहना पड़े या काम करना पड़े तो उन्हें बड़ी ख़ुशी मिलती है। इसी ख़ुशी को पाने के लिए वे हमेशा लेट जाते हैं और इसके लिए कोई न कोई बहाना भी तैयार रखते हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव तो हमारे व्यक्तित्व पर पड़ता है। हमें झूठ बाेलने की आदत पड़ जाती है और हर जगह हम इस आदत को व्यवहार में लाने लगते हैं। यदि लेट होने पर हम अपने स्वास्थ्य को लेकर झूठ बोलते हैं तो हमें उसी के अनुरूप अपनी भाव-भंगिमा भी निर्मित करनी होती है। इसका सबसे बुरा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर ही पड़ता है।
जब हम बार-बार दोहराते हैं कि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है अथवा ऐसा अभिनय करते हैं तो हमारे अवचेतन में इस बात व भाव की कंडीशनिंग हो जाती है और हम सचमुच बीमार होने लगते हैं। यदि हम समय की पाबंदी का कड़ाई से पालन करेंगे तो हमें किसी भी प्रकार के झूठ का सहारा लेने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी, जिससे हम ग़लत कंडीशनिंग से बचे रहेंगे और साथ ही मनोदैहिक व्याधियों से भी। हमेशा सच बोलने वाले व्यक्ति के आत्मविश्वास का स्तर भी बहुत ऊंचा रहता है। इससे अन्य गुण अथवा अच्छी आदतें भी स्वतः विकसित होने लगती हैं क्योंकि एक अच्छाई कई अन्य अच्छाइयों को जन्म देने में सक्षम होती है। समय की पाबंदी का कड़ाई से पालन करना व्यक्तित्व को अत्यंत प्रभावशाली बना सकता है, इसमें संदेह नहीं।
नियमित रूप से समय पर कार्यालय पहुंचने पर न केवल हमारा कार्य आधा-अधूरा नहीं रहता अपितु हमारा सम्मान भी बढ़ता है। सहकर्मियों अथवा बॉस से संबंध अच्छे रहते हैं। यदि आप कार्यालय में बॉस के पद पर आसीन हैं तो आपके समय की पाबंदी से अन्य सभी कर्मचारी व अधिकारी भी समय पर आने-जाने को प्रेरित होते हैं, जिससे ऑफिस का काम सुचारु चलता है। समय की पाबंदी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम हर प्रकार के तनाव से मुक्त रहकर अच्छा स्वास्थ्य व दीर्घायु प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।