वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली
बीते साल उच्चतम न्यायालय ने यह जानकारी मिलने पर कि दिल्ली के कनाट प्लेस में स्थित स्मॉग टॉवर बंद पड़ा है, तत्काल उसे चालू करने का आदेश दिया। अदालत ने पूछा कि गंभीर प्रदूषण की स्थिति में स्मॉग टॉवर को असफल बताकर कैसे बंद किया जा सकता है। इसके बाद, डीपीसीसी के चेयरमैन को रियल टाइम आंकड़ों के साथ न्यायालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया। इस दौरान यह भी सामने आया कि आनंद विहार का स्मॉग टॉवर भी बंद था, जो प्रदूषण से प्रभावित एक प्रमुख क्षेत्र है।
अक्तूबर, 2024 में दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति और भी गंभीर हो गई है, लेकिन तात्कालिक कार्रवाई न तो न्यायालयों में हो रही है और न ही सरकारों में। दिवाली से पहले ही दिल्ली भारत का सबसे प्रदूषित शहर बन चुका है, और स्मॉग टॉवर्स महीनों से बंद हैं, जिनका मुख्य कारण संचालन और कर्मचारियों के वेतन के लिए धन की कमी है। कनाट प्लेस में खुले में रोजगार करते श्रमिकों का कहना है कि ठंड में बढ़ते प्रदूषण के बीच बंद स्मॉग टॉवरों को फिर से चालू किया जाना चाहिए, क्योंकि पिछले साल इससे उन्हें साफ हवा मिली थी। इसी तरह, आनंद विहार में लगे केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्मॉग टॉवर का हाल भी अच्छा नहीं है, जहां एक्यूआई 400 तक पहुंचता रहता है।
दिल्ली सरकार के विंटर एक्शन प्लान्स में 2021 में स्मॉग टावर्स लगाने के बाद से 2022, 2023 और 2024 में इन टॉवर्स पर चुप्पी रही है, जो स्वाभाविक ही था। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 2021 में कनाट प्लेस और आनंद विहार में स्मॉग टॉवर्स का उद्घाटन किया गया था, और यह दो साल का पायलट प्रोजेक्ट था। चूंकि मामला अभी भी उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इस पर अंतिम निर्देश मिलने के बाद ही यह तय होगा कि दिल्ली में अन्य स्थानों पर भी स्मॉग टॉवर्स लगाए जाएंगे या नहीं।
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर आईआईटी मुंबई ने सीपीसीबी को स्मॉग टॉवर्स पर प्रस्ताव सौंपा था। जब यह खबर सामने आई कि आईआईटी मुंबई इस परियोजना से पीछे हटने जा रहा है, तो जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने जुलाई 2020 में भारत के सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से उसे चेतावनी दी कि यह कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना मानी जाएगी, और इसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद, आईआईटी मुंबई ने परियोजना पर काम जारी रखा। 2023 में स्मॉग टावर्स के दो साल पूरे होने पर, आईआईटी मुंबई ने 30 सितंबर, 2023 को एक रिपोर्ट तैयार की, और पर्यावरण मंत्री के निर्देश पर यह फाइनल रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत की गई।
सात नवम्बर, 2023 को उच्चतम न्यायालय ने सवाल उठाया कि स्मॉग टॉवर को असफल कैसे माना जा सकता है, जबकि दो साल के पायलट प्रोजेक्ट की रिपोर्ट में आठ महीने तक ये टॉवर बंद थे। इसके अलावा, कनाट प्लेस का स्मॉग टॉवर एक नई तकनीक पर आधारित था, जिससे अनुभव का अभाव था, और अक्तूबर 2022 तक इसके संचालन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल भी तैयार नहीं हो पाए थे। इसी संदर्भ में, 13 नवम्बर 2021 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिल्ली सरकार से यह सवाल पूछा था कि जब दिल्ली में गैस चेम्बर जैसी स्थिति है, तो क्या स्मॉग टावर वास्तव में काम कर रहे हैं, जैसा कि सरकार दावा करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि स्मॉग टावरों से दिल्ली में गैस चेम्बर जैसी खतरनाक स्थितियों में आम लोगों को राहत मिलती है। कोर्ट ने यह भी बार-बार कहा है कि साफ हवा में सांस लेना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। स्मॉग टॉवर से छनी हुई हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे प्रदूषक कणों की कमी के कारण स्मॉग की घातकता कम होती है, जिससे खुली हवा में व्यायाम और सैर के दौरान जोखिम घटता है, और सांस की बीमारियों से पीड़ित लोग भी राहत महसूस कर सकते हैं।
फिलहाल, स्मॉग टॉवरों का निर्माण और संचालन इतना महंगा है कि दिल्ली सरकार इन्हें अपने खर्चे पर चलाने से बच रही है। एक साल में इनका रखरखाव ही ढाई करोड़ रुपये तक हो सकता है। कनाट प्लेस का स्मॉग टावर 22.9 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित हुआ था, और इसके रखरखाव पर पर्यावरण विभाग ने लगभग 2.6 करोड़ रुपये खर्च किए।
डीपीसीसी के अध्यक्ष ने नवंबर 2023 में यह स्वीकार किया कि स्मॉग टॉवरों से लाभ उठाने के लिए उनके बहुत पास रहना होगा, और दिल्ली में साफ हवा की आपूर्ति के लिए हजारों टॉवर लगाने होंगे। 4 नवंबर, 2023 को पर्यावरण मंत्री ने कनाट प्लेस स्मॉग टॉवर को आठ महीने से बंद रखने के लिए डीपीसीसी को जिम्मेदार ठहराया। इसी दौरान आनंद विहार का टॉवर भी बंद था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लगे स्मॉग टॉवरों का भविष्य क्या होगा, यह सवाल उठ रहा है। इसके अलावा, फिल्टरों की सफाई करते समय प्रदूषित हवा को बाहर छोड़ा जाता है, जिससे नए प्रदूषण के क्षेत्र उत्पन्न हो सकते हैं।