डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव
समाप्त हो रहा वर्ष 2023 रक्षा क्षेत्र के लिए विकास एवं उपलब्धियों वाला कहा जाएगा क्योंकि इस वर्ष देश की सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने के लिए अनेक कार्य हुए और भारत रक्षा चुनौतियों से निपटने में सक्षम रहा। इस साल एलएसी पर चीन की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए देश ने अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत किया। भारतीय सेना ने विषम पहाड़ी एवं भयंकर ठंड वाली परिस्थितियों में चीनी सेना की चुनौती से निपटने के लिए अपनी तैयारी में इजाफा किया। इसी तरह पाक सीमा पर मिलने वाली आतंकी चुनौतियों का बेहतर जवाब दिया गया।
चीन की सीमा पर वर्ष 2020 में जो तनाव शुरू हुआ था वह अभी तक समाप्त नहीं हुआ। चीन ने अरुणाचल प्रदेश से लद्दाख तक, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक अपनी सैन्य तैयारी बढ़ा रखी है। इसके अलावा पाकिस्तान सीमा पर बढ़ती आतंकी घुसपैठ व गोलीबारी के कारण चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। चीन व पाक की इन हरकतों से निपटने के लिए जवानों को आक्रामक तौर पर मजबूत किया गया। सैन्य ताकत बढ़ाने के उद्देश्य से सेना के तोपखाने तथा वायु सेना के लड़ाकू विमानों की तैनाती बढ़ाई गई। इसके अलावा गहन युद्ध के लिए हथियार और गोला बारूद रखने की छूट दी गई।
वर्ष 2023 के दौरान रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भरता की ओर काफी आगे बढ़ा। मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए विदेश से रक्षा आयात को कम करने का फैसला लेकर रक्षा उपकरणों को स्वदेशी कंपनियों से खरीदने के ऑर्डर दिए गए। डीएसी की बैठक में 97 तेजस मार्क-1 ए लड़ाकू विमान, 156 प्रचंड लड़ाकू हेलीकॉप्टर, तीसरे नये स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण, सुखोई-30 एमकेआई श्रेणी के 87 विमानों का आधुनिकीकरण, 5.56 गन 45 कार्बाइन, 200 माउंटेन गन सिस्टम, 400 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम तथा मध्यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइलों के खरीदे जाने की अनुमति प्रदान कर दी गई है। इससे भारतीय सेनाओं की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। डीएसी की मंजूरी वाली 2.23 लाख करोड़ रुपये की यह खरीद घरेलू रक्षा उद्योगों से की जाएगी। वर्ष 2023 में रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया। इसके अलावा रक्षा निर्यात नई ऊंचाइयों को पार करते हुए 16000 करोड़ तक पहुंच गया।
डीएसी ने तीसरे विमानवाहक पोत के निर्माण को मंजूरी दे दी है। नौसेना के पास अभी दो विमानवाहक पोत हैं। इनमें से विक्रमादित्य रूस से खरीदा गया था और विक्रान्त स्वदेश निर्मित है। नया विमानवाहक पोत स्वदेशी विक्रान्त की तरह ही होगा। यह पोत 40000 करोड़ की लागत से बनेगा। 45000 टन वजन वाला यह पोत कोचीन शिपयार्ड में बनाया जाएगा। इसकी लम्बाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर और उंचाई 59 मीटर व गति 52 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इस पर करीब 28 लड़ाकू विमानों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में हेलीकॉप्टर, मिसाइल और बमों जैसे खतरनाक हथियार तैनात रहेंगे। इससे हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इसी तरह स्वदेशी गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोत ‘सूरत’ के शिखर का अनावरण 6 नवम्बर को किया गया। यह पोत शत्रु की पनडुब्बियों, युद्धपोतों, एंटी सबमरीन मिसाइलों और युद्धक विमानों का मुकाबला करने की क्षमता रखता है।
नौसेना को स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक पोत आईएनएस इंफाल 26 दिसम्बर को मिल गया। यह समुद्र में शत्रु की चालबाजियों पर नजर रखेगा। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। इसमें पोतरोधी मिसाइलें व तारपीडो भी लगे हैं। यह अत्याधुनिक हथियारों एवं सेंसरों से लैस उन्नत, शक्तिशाली तथा बहुआयामी युद्धपोत है। इस जहाज में ब्रह्मोस एसएसएम के अलावा एम.आर.सेम, तारपीडो ट्यूब लॉन्चर्स, एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स आदि की तैनाती शत्रु सेना के लिए काल बन जाएंगे।
गत 22 नवम्बर को भारतीय नौसेना को तीसरी बार्ज नौका ‘मिसाइल सह गोला बारूद बार्ज, एलएसएएम 9 (यार्ड 77) प्राप्त हो गई है। बार्ज नौका को मुम्बई के नौसेना डॉकयार्ड के आईएनएस तुणीर में शामिल किया गया। बार्ज नौका पर 8 मिसाइलों के साथ-साथ गोला बारूद भी लेकर जाया जा सकता है। इससे नौसेना के जरूरी सामान इधर से उधर ले जाने में जो मदद मिलेगी उससे नौसेना की परिचालन गतिविधियों को तेजी प्राप्त होगी। अब समुद्र तट के आसपास एवं बाहरी बंदरगाहों पर भारतीय जहाजों के लिए गोला बारूद की आपूर्ति सुनिश्चित हो जाएगी।
वायुसेना के लिए परिवहन विमान सी-295 का उत्पादन गुजरात के बड़ोदरा स्थित प्लांट में चालू होगा। अमेरिकी कंपनी जीई एरोस्पेस और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच जेट इंजन बनाए जाने को लेकर समझौता हुआ जिससे लड़ाकू विमान इंजन अब भारत में बनेंगे। भारतीय वायु सेना को 87 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को उन्नत बनाने की अनुमति मिल गई है।
लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर टैंक व सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की तैनाती कर दी गई है। सेना की आपूर्ति व्यवस्था में कोई परेशानी न आए, इसके लिए सीमा पर बनाई सड़कों ने स्थिति बेहतर बना दी है। राफेल विमानों की तैनाती लद्दाख सीमा पर की गई जिससे चीन की किसी भी हरकत से निपटा जा सके। हल्के तेजस विमान भी मिग-21 विमानों की जगह ले रहे हैं। सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29 मल्टी रोल एयरक्राफ्ट और जगुआर जैसे विमान हर मौसम में लड़ाई को तैयार हैं। चीन से लगती सीमा के पास प्रमुख हवाई अड्डों पर हाईटेक मल्टीरोल हेलीकॉप्टर अपाचे एवं चिनूक हर मोर्चे पर खतरे निपटने को तैनात किए। इस तरह चीन व पाकिस्तान से किसी भी स्थिति में निपटने को वायु सेना तैयार है।