धर्मेंद्र जोशी
जैसे-जैसे त्योहारों की वेला निकट आती है, खाद्य विभाग का अमला मिलावट रोकने के लिए एक्शन मोड में आ जाता है। साल भर यह वातानुकूलित कमरों में बैठकर मौन व्रत धारण कर लेता है, जिससे मिलावटखोर बेखौफ होकर मिलावटी और नकली वस्तुओं का धंधा करते हैं। जब खाद्य विभाग छापेमारी करता है, तो उनकी दुकानदारी बंद नहीं होती बल्कि चांदी के जूते छापा मारने वालों का मुंह साल भर के लिए बंद कर देते हैं।
पिछले दिनों नकली मावे की शिकायत पर शहर की नामी मिठाई की दुकान ‘ठग्गू स्वीट्स’ पर छापे की कार्रवाई की गई, मिठाई के नमूने लिए गए। सभी अखबारों में प्रमुखता से खबर भी प्रकाशित की गई, जिससे लोगों में यह आस बंधी कि मिलावटखोरी पर नकेल लगेगी, मगर दो दिनों के बाद भी मिठाई की क्वालिटी और साफ़ सफ़ाई में तो कोई बदलाव नहीं आया वरन् दुकान के मालिक ठग्गूमल का चेहरा पहले से ज्यादा चमकदार हो गया। फिलहाल ‘लेन देन’ ही संसार का नियम है और ठग्गूमल इसी नियम में पारंगत हैं।
उधर, कभी परचून की छोटी सी दुकान से शुरुआत करने वाले झमक सेठ शहर का रसूखदार नाम है। उनके खिलाफ धनिया पाउडर में भूसा, लाल मिर्ची में ईंट का बुरादा, हल्दी में रासायनिक रंग और जीरे में बारीक कंकर मिलाने की शिकायत की गई। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उनकी दुकान से खाद्य सामग्री के लिए गए सारे नमूने पास हो गए। इस पाक-साफ रिपोर्ट के बाद वे अब बहुत बड़े शापिंग माल का संचालन कर रहे हैं। जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का।
दूध देने वाले जानवरों की संख्या में लगातार कमी हो रही है, लेकिन जादुई तरीके से दूध की श्वेत सरिता बह रही है। बड़े शहरों में तो दूध के नाम पर पता नहीं क्या बेचा जा रहा है? पहले तो दूध में केवल पानी की ही मिलावट की जाती थी, लेकिन अब तो यूरिया और जहरीले रसायन से नई पीढ़ी को गर्त में धकेलने की पुरजोर कोशिश जारी है। बल्कि मिलावटखोरों ने भगवान को इसकी ज़द में ले लिया है। मिलावटी दूध से अभिषेक, सस्ते नकली घी से पूजा अनुष्ठान और नकली अगरबत्ती से भगवान को प्रसन्न करने के के जतन किए जा रहे हैं।
मिलावट का धंधा इतना जोरों पर है लेकिन चारों तरफ खामोशी है। खुलेआम बिना किसी रोक टोक के विषैले फल, सब्जियां और पेय पदार्थ बिक रहे हैं। मगर संवेदनहीनता और लालच का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। वैसे आजकल मिलीभगत से मिलावट में ही बढ़त है, बाकी चारों तरफ गिरावट ही जारी है।