प्रदीप सरदाना
आज़ादी के अमृत महोत्सव के बहाने देश बरसों बाद रंगमंच के रंगों से महक उठेगा। देश का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (रानावि) पहली बार नाटकों को देश में दूर-दूर तक ले जाने की तैयारी में है। इस नाट्योत्सव से ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के आयोजन में रंगमंच अपना विशिष्ट योगदान तो देगा ही, साथ ही साइबर क्राइम की रोकथाम और जागरूकता में भी अहम भूमिका निभाएगा। कुछ नाटक रक्तदान को प्रेरित करेंगे व लोगों को आजादी के सेनानियों के बलिदान का भी स्मरण कराएंगे।
आजादी के बाद भारत सरकार ने रंगमंच के महत्व को समझते हुए 1959 में दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की स्थापना की। रानावि ने जहां रंगमंच को आधुनिक और भव्य रंग दिये, वहीं कई अच्छे रंगकर्मी भी दिये। लेकिन जब यहां के कुछ छात्र रंगमंच की जगह फिल्मों में पहुंच लोकप्रिय होने लगे तो लगा कि क्या यह संस्थान रंगमंच से ज्यादा फिल्मों का होकर रह जाएगा! हालांकि सन 1990 के बाद यहां के छात्रों का फिल्मों में पहले जैसा स्वागत नहीं हुआ। यूं रानावि अपने प्रांगण में अपनी कई शानदार नाट्य प्रस्तुतियां तो करता रहा। लेकिन सवाल है कि रानावि की स्थापना जिन उद्देश्यों के लिए हुई क्या वे उद्देश्य पूरे हो पाये? अब राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत, देश भर में नाटकों के आयोजन का जो बड़ा अभियान आरंभ किया है, उससे फिर से शहरों से गांवों तक नाटकों की गूंज सुनाई दे सकेगी। रानावि आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में जून, जुलाई और अगस्त में कुछ ऐसे नाट्योत्सवों का आयोजन करेगा, जिनसे देश में रंगमंच का परिदृश्य बदलेगा।
इन नाट्योत्सवों में पहला आयोजन 8 से 17 जून तक चलेगा। इसके अंतर्गत देश भर में 75 स्थानों पर 75 नाटकों का मंचन होगा। इस पहले चरण में हरियाणा में चंडीगढ़, फरीदाबाद, बल्लभगढ़ जैसे कुछ शहर चुने गए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश, झारखंड, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और असम को मिलाकर कुल 7 राज्य हैं। बड़ी बात यह है कि ये नाटक साइबर क्राइम जैसे ज्वलंत विषय पर होंगे। लोगों को इन नाटकों से साइबर क्राइम के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर भी देश के विभिन्न हिस्सों में 75 अन्य नाटक होंगे। जो लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने के साथ साथ उन शहीदों का बलिदान भी बताएंगे, जिन्होंने आज़ादी के लिए अपना रक्त बहा दिया।
उधर, 18 जून को रानी लक्ष्मीबाई के शहीदी दिवस पर झांसी के किले में ही रानी की शौर्य गाथा को लेकर एक विशेष नाटक होगा। साथ ही राष्ट्रीय गीत ‘वंदेमातरम’ के रचयिता सुप्रसिद्ध कवि, लेखक बंकिम चंद्र चटर्जी के जन्म दिवस 26 जून को, उनके लिखे ‘आनंदमठ’ का मंचन कोलकाता में किया जाएगा। फिर 26 जुलाई ‘कारगिल दिवस’ पर कारगिल में व 26 जुलाई से पहले दिल्ली के नेशनल वाॅर मेमोरियल पर नाटक दर्शाये जाएंगे। 14 जुलाई से 14 अगस्त तक ‘आज़ादी के हीरो’ नाम से 30 नाटकों का एक और उत्सव होगा जिसमें विभिन्न राज्यों में प्रतिदिन एक नाटक का मंचन होगा। रानावि के निदेशक-प्रोफेसर रमेश गौड़ बताते हैं-‘यह नाट्य विद्यालय के लिए एक नयी शुरुआत होगी। पहली बार हम राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच के माध्यम से एक व्यापक जागरूकता अभियान कर रहे हैं।’