जरात स्थित मुंद्रा पोर्ट पर पिछले तीन सालों में चौथी बड़ी नशे की खेप बरामद होना बेहद गंभीर मसला है। गुजरात एटीएस और पंजाब पुलिस समेत कुछ अन्य विभागों के साझा अभियान में यूएई से पंजाब मंगवाई गई 75 किलो हेरोइन बड़ी अंतर्राष्ट्रीय साजिश का खुलासा करती है। अफगानिस्तान से निकालकर दूसरे देशों के जरिये भारत पहुंचाई जा रही बड़ी नशे की खेप दर्शाती है कि यह साजिश कितने बड़े पैमाने पर की जा रही है। बताया जा रहा है कि कपड़े के थान की पाइपों में बेहद चतुराई से छिपाकर भारत लाई गई हेरोइन की खेप की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक है। बताया जाता है कि जिस कंटेनर में यह खेप आई उसे पंजाब ले जाया जाना था और उसे मालेरकोटला के किसी कारोबारी ने मंगवाया था। आशंका है कि देश की थल सीमा पर सुरक्षा बलों की सख्ती से तस्करी न हो पाने के कारण तस्करों ने समुद्री रास्ते को नशे की तस्करी के लिये चुना है। भारत में नया बना मुंद्रा पोर्ट नशा तस्करों की पसंदीदा जगह बन रहा है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में यहां से नशे की कई बड़ी खेप बरामद हो चुकी हैं। बीते साल सितंबर में मुंद्रा पोर्ट से तीन हजार किलो हेरोइन बरामद की थी, जिसे टेलकम पाउडर में छिपाकर रखा गया था। जिसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इक्कीस हजार करोड़ रुपये बतायी गई थी। इस बरामदगी से पूरा देश सकते में था। ईरान के रास्ते भारत आई इस खेप का एक हिस्सा पंजाब लाया जाना था। यही नहीं, इस साल मई में भी मुंद्रा बंदरगाह से ही एक कंटेनर से पांच सौ करोड़ रुपये की कोकीन बरामद की गई थी। अप्रैल में भी कांडला बंदरगाह के निकट से दो सौ किलो से अधिक हेरोइन जब्त की थी। ऐसी ही कई बड़ी बरामदगियां इन तटों से की गईं जो दर्शाता है कि नशे के अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी किस पैमाने पर नशीले पदार्थ भारत में झोंक रहे हैं।
निश्चित रूप से नशे की इन बड़ी खेपों की बरामदगी से तस्करों के हौसले पस्त हुए होंगे और बड़ी संख्या में युवाओं तक इस जहरीले नशे को पहुंचने से रोका जा सका है। लेकिन यहां सवाल यह है कि नशे के अंतर्राष्ट्रीय कारोबार पर किस तरह नकेल डाली जाये। तस्कर नित नये तरीके अपनाकर नियंत्रक एजेंसियों की आंख में धूल झोंकने का प्रयास करते हैं। लेकिन पुलिस व एजेंसियां भी ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’ के मुहावरे को चरितार्थ करते हुए उनके मंसूबों पर पानी फेर देते हैं। बताया जाता है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अंतर्राष्ट्रीय नशे के कारोबार में तेजी आई है। लंबे समय से पाकिस्तानी तस्कर पंजाब की सीमा के जरिये नशीले पदार्थ भारत भेजने की जुगत में लगे रहते थे। लेकिन सीमाओं पर बढ़ी सतर्कता ने उनके मंसूबों पर पानी फेरा है। अब वे कूरियर सेवा व समुद्री जहाजों से आने वाले कंटेनरों का सहारा ले रहे हैं। पंजाब की सीमा में उड़ने वाले ड्रोनों के जरिये भी नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले प्रकाश में आये हैं। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि देश के भीतर छिपी कुछ काली भेड़ें भी इस काम में लिप्त हैं। वे चंद पैसों के लिये युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट करने में लगे हैं। गाहे-बगाहे कई पुलिस वालों व राजनेताओं पर भी सवाल उठते रहे हैं। कई बार ले-देकर तस्करों को छोड़ने के मामले भी प्रकाश में आये हैं। निश्चय ही युवा पीढ़ी की रगों में नशे का जहर डालने की यह अंतर्राष्ट्रीय साजिश बेहद घातक है। सीमावर्ती राज्य पंजाब में नशे के तस्करों का जाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भी बड़ी चुनौती है। ऐसा नहीं है कि यह जहरीला कारोबार सिर्फ पंजाब तक ही सीमित रहेगा। इसका दायरा कालांतर हरियाणा व हिमाचल तक भी दस्तक देगा। उत्तर भारत के कई राज्यों ने नशे के कारोबार से लड़ने के लिये साझा पहल की भी लेकिन जमीनी हकीकत में बदलाव आता नजर नहीं आता। यह गंभीर समस्या है और समाधान के लिये गंभीर पहल की जरूरत है ताकि युवा पीढ़ी को नशे के दलदल में गिरने से बचाया जा सके।