मंगलवार को लेबनान व सीरिया में एक साथ हुए पेजर धमाकों ने इन देशों को ही नहीं, पूरी दुनिया को चौंकाया। लोगों को समझने में देर लगी आजकल उन्नत मोबाइल फोनों के दौर में पेजर का इस्तेमाल? दरअसल, तकनीकी तौर पर बेहद उन्नत इस्राइली फौज व दुनिया में तहलका मचाने वाली खुफिया एजेंसी मोसाद मोबाइल के जरिये अपने कट्टर दुश्मनों को निशाना बनाते रहे हैं। इसी वजह से ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के लड़ाके अपनी स्थिति गोपनीय रखने के मकसद से पेजरों का इस्तेमाल सूचना संकेतों के लिये करते रहे हैं। बहरहाल पेजर धमाकों की शृंखला में लेबनान में नौ लोगों के मरने व पौने तीन हजार लोगों के घायल होने की बात कही जा रही है। लेकिन वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है। वहीं सीरिया में पेजर धमाकों की शृंखला देखी गई। बहरहाल, हालिया घटनाक्रम इस्राइल-हिजबुल्लाह संघर्ष के चिंताजनक स्थिति में पहुंचने का संकेत देता है। युद्ध में इस तरह की रणनीति का पहली बार दुनिया के सामने खुलासा हुआ है, जिसमें अपने विरोधी देश के संचार उपकरणों को निशाना बनाकर हमला किया गया हो। जो इस क्षेत्र में लंबे समय से जारी संघर्ष में परिष्कृत नई रणनीति को ही दर्शाता है। वहीं हिजबुल्लाह की सुरक्षा परत की कमजोरियों को भी उजागर करता है। निस्संदेह, हिजबुल्लाह ईरान समर्थित लेबनान की एक प्रमुख ताकत है, जो उन्नत इस्राइली ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिये अपेक्षाकृत कम उन्नत तकनीक वाले उपकरण पेजर पर निर्भर रहा है। यही वजह है कि हिजबुल्लाह लड़ाकों, चिकित्सकों तथा नागरिकों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले पेजर बेरूत के दक्षिणी उपनगरों व बेका घाटी सहित लेबनान के कई गढ़ों में एक साथ फट गए। अस्पताल की तरफ भागती सैकड़ों एंबुलेंसों से पूरे लेबनान में भय व असुरक्षा का माहौल बन गया। यहां तक कि सीरिया के कुछ हिस्सों में भी धमाकों की गूंज सुनायी दी, वहां भी हिजबुल्लाह के लड़ाके इससे प्रभावित हुए।
बहरहाल, लेबनान व सीरिया में पेजर धमाकों की शृंखला पूरी दुनिया को कई सबक देती है कि संकटकाल में अपने संचार नेटवर्क को बाहरी हस्तक्षेप से बचाने के लिये बहुत कुछ किया जाना जरूरी है। विज्ञान व तकनीकी उन्नति ने युद्धों का पूरा स्वरूप ही बदल दिया है। परंपरागत सेना व सुरक्षा की सारी अभेद्य दीवारें तकनीक के हमलों के आगे बेकार साबित हो रही हैं। बहरहाल, इन हमलों के लिये, इस्राइली खुफिया एजेंसी पर साजिश करने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि, इस्राइल ने इन धमाकों को लेकर कोई दावा नहीं किया है, लेकिन रिपोर्टें बता रही हैं कि निर्माण प्रक्रिया के दौरान पेजर से छेड़छाड़ करके उन्हें धमाकों के मकसद से ज्वलनशील बनाया गया है। जो एक बड़े सुनियोजित ऑपरेशन की ओर संकेत करता है। जिसमें दूर से सुनियोजित तरीके से विस्फोटों को अंजाम दिया गया। इस्राइल ने इन धमाकों के जरिये हिजबुल्लाह को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि भले ही वह गाजा संघर्ष में उलझा हुआ है, इसके बावजूद वह दूसरे मोर्चे पर हिजबुल्लाह के बुनियादी ढांचे को भी निशाना बनाने की क्षमता रखता है। बहरहाल, यह घटना बताती है कि इस्राइल पर बीते साल हमास द्वारा किए गए हमले व अपहरण की वारदातों के बाद शुरू हुए टकराव का विस्तार होने की आशंका बलवती हुई है। इस्राइल इस समय न केवल हमास बल्कि हिजबुल्लाह व हूती विद्रोहियों के हमलों का एकसाथ जवाब दे रहा है। लेकिन इस्राइल की सीमा से लगते लेबनान में ईरान द्वारा दी गई उन्नत मिसाइलों व राकेटों के लगातार हो रहे हमलों के बीच इस टकराव के विस्तार लेने की आशंका बढ़ गई है। अब पेजर धमाकों के बाद हिजबुल्लाह इस्राइल से बदला लेने की बात कर रहा है, जिससे इस संघर्ष के व्यापक रूप लेने के आसार बढ़ गये। पश्चिम एशिया में पहले से ही नाजुक स्थिति जो गाजा संघर्ष के कारण और जटिल हो गई थी, उसे पेजर प्रकरण ने और गंभीर स्थिति में पहुंचा दिया। बहरहाल, हालिया घटनाक्रम युद्ध के हथियार के रूप में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग को दर्शाता है।