सुरक्षा बलों की चौकसी के चलते भारतीय सीमा में आतंकियों की घुसपैठ कराने में विफल रहने के बाद पाक ने ड्रोन घुसपैठ का सहारा लिया है। पिछले दिनों दर्जनों ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जब पाकिस्तान से अत्याधुनिक हथियार व नशीले पदार्थ ड्रोन के जरिये भारतीय सीमा में गिराये गये। दरअसल, एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर पर कई ऐसी भौगोिलक जटिलताएं हैं कि वहां सुरक्षा बलों की सीधी दखल नहीं होती। यही वजह है कि पाकिस्तानी ड्रोन दुर्गम इलाकों में हथियारों की खेप गिरा जाते हैं, फिर आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल और बिचौलिये आतंकी संगठनों तक ये हथियार पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं, नशीले पदार्थों की बड़ी खेप भेजकर, उसके जरिये आतंकवादियों के लिये वित्तीय संसाधन जुटाये जा रहे हैं। देश की खुफिया एजेंसियां पहले ही सुरक्षा बलों को चेता चुकी हैं कि चीन से खरीदे गये आधुनिक ड्रोनों का इस्तेमाल भारतीय सीमा में आतंकवादी घटनाओं को बढ़ावा देने में किया जा सकता है। पिछले दिनों गुरदासपुर में एक पाक ड्रोन के भारतीय सीमा में देखे जाने के बाद बीएसएफ ने उसे खदेड़ दिया। फिर देर रात तक इलाके में सर्च अभियान चलाया गया, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रेनेड बरामद हुए। ऐसे ही ग्रेनेडों का प्रयोग मुंबई व संसद पर हमले के दौरान किया गया था। दरअसल, पाकिस्तानी सरकारी संस्थाओं द्वारा पोषित नार्को-टेरर मुहिम को ड्रोन के जरिये अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। जिसको अंजाम तक पहुंचाने में देश के अास्तीन के सांप मददगार बन रहे हैं। अब चाहे हथियार हों या नशे की खेप, भारत में पहुंचने के बाद लक्षित ठिकानों तक इन्हें पहुंचाया जा रहा है। दरअसल, भारतीय सीमा पर कड़ी चौकसी के चलते ड्रग्स व छोटे हथियारों की तस्करी के लिये ड्रोन कारगर साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यदि भविष्य में चीन से आयातित आधुनिक ड्रोन पाक द्वारा इस्तेमाल किये जाते हैं तो सुरक्षा बलों के लिये इनका मुकाबला करना बड़ी चुनौती होगी।
हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर और पंजाब की पाक से लगी सीमा पर सुरक्षा बलों ने जहां कई ड्रोनों को खदेड़ा, वहीं बड़ी मात्रा में आधुनिक हथियार और गोला-बारूद बरामद किया। समस्या यह है कि ड्रोन को भारतीय सीमा में विषम मौसम और देर रात भेजा जाता है। कोहरे और सर्दियों में इनकी निगरानी करना अपने आप में चुनौती है। फिर इनसे हथियार आदि दुर्गम इलाकों में गिराये जाते हैं जहां आतंकवादियों के स्थानीय मददगार पहुंच रखते हैं। जम्मू-कश्मीर में सर्दियों के मौसम में बर्फबारी के कारण घुसपैठ संभव नहीं हो पाती, ऐसे में ड्रोन को पाकिस्तान कारगर हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। हाल के दिनों में अमृतसर में एक अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का खुलासा हुआ जो ड्रोन की आपूर्ति व निर्माण से जुड़ा था, जिसके संपर्क पाकिस्तान तक थे। छापों के बाद कई लोग गिरफ्तार किये गये। इस गिरोह के सदस्य देश की राजधानी में ड्रोन की खरीद-बेच और उसके निर्माण में जुटे थे। निस्संदेह यह देश की सुरक्षा के लिये बड़ी चुनौती है। ड्रोन के जरिये देश के महत्वपूर्ण और संवेदनशील इलाकों को आतंकी वारदात का शिकार बनाया जा सकता है। ड्रोनों के पंजीकरण और उन्हें उड़ाने की वैधता के लिये सरकार की तरफ से पहल तो हुई है, मगर इस संवेदनशील विषय में सतर्कता के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। आधुनिक तकनीक से देश के भीतर ड्रोनों की गतिविधियों की निगरानी की जा सकेगी। निस्संदेह सुरक्षा के मद्देनजर देश में बेहतर ड्रोन नियामक सिस्टम बनाने और आधुनिक तकनीक के जरिये इनके निगरानी कार्यक्रम को जल्दी अंतिम रूप देने की जरूरत है। साथ ही देश की सीमाओं पर उच्च तकनीक वाले संवेदनशील यंत्र लगाने की जरूरत है जो पाक की ओर से आने वाले ड्रोनों की निगरानी कर सकें और उन्हें निष्कि्रय बना सकें। इसके मुकाबले के लिये तैयारी जरूरी है। पुलिस और सुरक्षा बलों को इस चुनौती के मुकाबले का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में देश के भीतर ड्रोन के जरिये आतंकी हमलों की संभावना को टाला जा सके।