रितु ढिल्लों
सेहत के लिहाज से बरसात का मौसम बहुत संवेदनशील होता है। शास्त्रों में भी इस मौसम में गरिष्ठ भोजन से बचने की सलाह दी गई है। आपके घर में भी बुजुर्ग कहते होंगे कि श्रावण मास में तामसिक भोजन से दूर रहें। असल में श्रावण मास का तात्पर्य बरसात के मौसम से ही है। इसी मौसम में ही नॉनवेज से भी दूर रहने की सलाह दी जाती है। भीषण गर्मी के दौरान जब बारिश होती है तो मौसमी राहत के साथ ही संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। यशोदा अस्पताल कौशांबी, गाजियाबाद में वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अंशुमान त्यागी कहते हैं इस मौसम में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है। पीने वाला पानी साफ और शुद्ध हो। बेशक आज तमाम कंपनियों के आरओ उपलब्ध हैं, लेकिन उबला पानी पीना आज भी सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। कोई परेशानी हो तो चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लें, चिकित्सक की ओर से खानपान को लेकर दी गई हिदायतों का अच्छी तरह से पालन करें।
किसी भी तरह का संक्रमण सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करता है। इसके दो कारण हैं। एक, उनकी प्रतिरोधक क्षमता थोड़ी कमजोर होती है। दूसरे, बड़े समय के मुताबिक अपना खानपान और रहन सहन आसानी से बदल लेते हैं लेकिन बच्चों को इसमें परेशानी होती है। जैसे गला खराब होने के बावजूद फ्रिज से लेकर ठंडा पानी पी लेना अधिकतर बच्चों की आदत होती है। बरसात के मौसम में बच्चों को आईसक्रीम या ठंडे पेय लेने से मना करें। पकवान भी ज्यादा न बनायें। खुद भी सुपाच्य भोजन करें और बच्चों के लिए भी इस बात का विशेष ध्यान रखें। केवल ठंडा ही नहीं, इन दिनों खट्टा खाने से भी परहेज करने की सलाह डॉक्टर देते हैं। हल्का भोजन करें। सब्जी बनाने से पहले उसे अच्छे से साफ करना न भूलें। नमी के चलते इस मौसम में आटा और बेसन जैसी चीजें भी जल्दी खराब हो जाती हैं। नमी से बचाने के लिए इन्हें आप फ्रिज में रख सकते हैं।
इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि सुबह और शाम के समय बच्चे घर से बाहर निकलें तो पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, ताकि मच्छरों से बचाव हो सके। कोविड-19 का संक्रमण काफी कम हो गया लेकिन अभी भी सतर्कता बरतने की पूरी जरूरत है। बच्चों को फिजीकल एक्टिविटी जरूर कराएं। रोजाना कुछ देर बच्चों के लिए धूप में रहना भी जरूरी है ताकि उनका शरीर विटामिन-डी की कमी पूरी कर सके। अपनी देखरेख में कम से कम आधा घंटा बच्चों को रोजाना धूप में जरूर खिलाएं। ऐसा करने से आप जहां बच्चों का सुपरविजन कर सकेंगे वहीं खुद भी धूप ले सकेंगे। आइये जानते हैं इस मौसम की बीमारियों और उनसे बचाव के उपायों के बारे में-
मलेरिया
सर्दी के साथ बुुखार आना इसका मुख्य लक्षण है। यह बुखार मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होता है। मच्छर न पनपें, इसलिए जरूरी है कि घर के आसपास जल जमाव न होने दें। मलेरिया से पीड़ित दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए घर में यदि कोई संक्रमित हो गया हो तो उसके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी सामान अलग रखें। बेहतर हो कि उसकी चारपाई भी थोड़ी दूरी पर हो। ऐसे में घर में भी सभी लोग मास्क इस्तेमाल कर सकें तो बचाव में काफी मदद मिलेगी।
डेंगू
यह भी मच्छर जनित रोग है। इसमें अक्सर तेज बुखार आता है। डेंगू के लिए जिम्मेदार मच्छर साफ पानी में पनपता है। यह मच्छर ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता। इससे बचाव के लिए इन दिनों हाफ पैंट का इस्तेमाल बिल्कुल बंद कर दें। घर के आसपास पानी जमा न होने दें। कूलर न चलाएं तो बेहतर है।
डायरिया
बरसात के मौसम में होने वाली यह सबसे आम बीमारी है। यह बीमारी जीवाणुओं के संक्रमण से होती है। दूषित पानी और भोजन इसका सबसे बड़ा कारण है। डायरिया होने पर पेट में ऐंठन के साथ उल्टी-दस्त हो जाते हैं, जो शरीर में पानी की कमी का कारण बन जाता है। इसलिए इस मौसम में भोजन को अच्छी तरह से ढककर रखें। ताजा खाना ही खाएं। साफ और हो सके तो उबला पानी पीएं।