नरेंद्र कुमार
ईश्वर द्वारा इंसान को दिया गया सबसे खूबसूरत तोहफा दो आंखें हैं। इन्हीं की मदद से हम दुनिया की रंग-बिरंगी चीजों को देख पाते हैं। ऐसे में आंखों की देखभाल भी अहम हो जाती है। अगर इसमें कभी खराबी आ जाए तो चश्मा या लेंस लग जाता है। यहीं से एक ऑप्टोमेट्रिस्ट का काम शुरू होता है। वह आंखों का परीक्षण करके दवाई खाने या आंखों में डालने और उचित पॉवर का चश्मा या लेंस लगाने की सलाह देते हैं। वे आंखों से संबंधी प्रारंभिक चिकित्सा करने वाले स्वास्थ्य विशेषज्ञ होते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि वे आंखों का ऑपरेशन नहीं करते।
प्रारंभिक चिकित्सक की भूमिका
असल में नेत्र रोग से संबंधित प्रारंभिक चिकित्सक का काम एक ऑप्टोमेट्री विशेषज्ञ ही करता है। आज के समय में इस पेशे से जुड़े लोगों की मांग भारत के अलावा विदेशों में भी खूब है। ऑप्टोमेट्री में कैरियर और सफलता के लिहाज से असीमित संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में पैसे के साथ-साथ सामाजिक मान-सम्मान भी है। साथ ही यह भी सच्चाई है कि ऑप्टोमेट्री कोर्स करने के बाद आप हेल्थ केयर सेक्टर से जुड़ जाते हैं। दरअसल, ऑप्टोमेट्री का पेशा पूरी तरह से आंखों की जांच से जुड़ा है। इन दिनों बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में आंखों संबंधी समस्याएं हो रही हैं। वैसे भी अधिक उम्र होने पर दृष्टि-दोष की समस्या होना स्वाभाविक है। इससे निजात पाने में ऑप्टोमेट्रिस्ट ही मदद करते हैं।
चश्मा, और दवाई से इलाज भी
आजकल दृष्टि दोष संबंधी बीमारियों का शिकार होने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां तक कि इससे कम उम्र के बच्चे भी पीड़ित हो रहे हैं। कलर ब्लाइंडनेस हो या आंख संबंधी कोई भी आनुवंशिक समस्या, इसके सफल इलाज के लिए ऑप्टोमेट्रिस्ट की आवश्यकता सभी को पड़ती है। कॉन्टेक्ट लेंस, चश्मे या दवाई द्वारा ऑप्टोमेट्रिस्ट इसका इलाज करते हैं। जरूरत पड़ने पर वे आंखों से संबंधित व्यायाम भी बताते हैं, जिससे नेत्र ज्योति बनी रहे और आपकी आंखें ठीक प्रकार से काम कर सकें।
कैरियर बनाने के लिए कोर्स
ऑप्टोमेट्री में कैरियर बनाने के लिए आप दो या तीन वर्षीय डिप्लोमा कर सकते हैं। देश के कई कॉलेजों में चार वर्षीय डिग्री कोर्स भी चल रहे हैं। छात्रों को इस दौरान आंखों की एनाटॉमी और फिजियोलॉजी की पढ़ाई करनी होती है। इसके अलावा प्रैक्टिकल अलग से कराए जाते हैं।
जरूरी योग्यता
ऑप्टोमेट्री में स्नातक करने के लिए भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान विषयों से 50 प्रतिशत अंकों सहित बारहवीं उत्तीर्ण छात्र योग्य हैं। कोर्स में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु 17 वर्ष होनी चाहिए। साथ ही बारहवीं उत्तीर्ण ऐसे छात्र जिन्होंने ऑप्टोमेट्री में 40 प्रतिशत अंकों सहित दो वर्षीय डिप्लोमा किया हो, ऑप्टोमेट्री के स्नातक डिग्री कोर्स के तीसरे साल में सीधे दाखिला ले सकते हैं। इसके अलावा दसवीं उत्तीर्ण छात्र भी ऑप्टोमेट्री में तीन वर्षीय डिप्लोमा कर सकते हैं।
नौकरी करें या खोलें खुद का क्लीनिक
देश में दस सबसे अधिक आय वाले पेशों में से ऑप्टोमेट्री भी एक है। बड़े-बड़े हॉस्पिटल और क्लीनिक में इनकी मांग हमेशा ही बनी रहती है। अगर कोई खुद का क्लीनिक खोलना चाहे तो यह एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। कैरियर के शुरुआती दिनों में किसी बड़े हॉस्पिटल में नौकरी करके ज्यादा अनुभव हासिल किया जा सकता है। इसके अलावा ऑप्टिकल दुकान या शोरूम में काम करने की भी संभावनाएं मौजूद हैं। आप चाहें तो आंखों के चिकित्सक के रूप, कॉन्टैक्ट लेंस और ऑप्थेलमिक लेंस उद्योग में और अस्पतालों में आंख संबंधी विभाग में काम कर सकते हैं। यही नहीं, आई केयर उत्पाद बनाने वाली राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम की तलाश कर सकते हैं। इससे जुड़े अध्यापन के क्षेत्र में भी कैरियर के बेहतर विकल्प मौजूद हैं।
ऑप्टोमेट्रिस्ट का वेतन
बड़े हॉस्पिटलों में एक ऑप्टोमेट्रिस्ट का शुरुआती वेतन कम से कम 25-30 हजार रुपए प्रतिमाह होता है। यह राशि आपके अनुभव के साथ-साथ बढ़ती जाती है।
पढ़ाई के लिए प्रमुख संस्थान
ऑप्टोमेट्रिस्ट के रूप में कैरियर बनाने के लिए आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (एम्स), नई दिल्ली, आंध्रा मेडिकल कॉलेज, विशाखापत्तनम, असम मेडिकल कॉलेज, डिब्रुगढ़, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर, गांधी आई हॉस्पिटल, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश ,गांधी मेडिकल कॉलेज, सुलतानिया रोड, भोपाल व गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, संगरूर, पटियाला से कोर्स या डिग्री-डिप्लोमा किया जा सकता है। -इ.रि.सें.