शारा
एक दौर ऐसा था जब भले ही कहानियां एक ही फ्रेम में गढ़ी गयी जैसी लगती थीं, लेकिन खास अदाकारी, गीत-संगीत और फिल्मांकन के विविध प्रयोग दर्शकों को भा जाते थे। बात जब शम्मी कपूर की हो तो उनकी अदाकारी का तो हर कोई कायल था। पहले ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में चले, फिर रुपहले पर्दे की रंगीन दुनिया में आये तो यहां भी रंग जमा गये। उनकी ऐसी ही फिल्म थी जानवर। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर इसमें उनके रील पिता भी बने हैं। प्रेमी जोड़े के बीच अमीर-गरीब और खानदान जैसी रुकावटों के बीच फिल्म जानवर में राजेंद्र नाथ सरीखे कलाकार की हंसोड़पंती भी दर्शकों को खूब पसंद आयी और फिल्म सुपरहिट साबित हुई।
आखिर ब्लैक एंड व्हाइट में कई फिल्में देने के बाद शम्मी कपूर लटके-झटके ईस्टमैन कलर में देखने को मिले। इतने कि लोगों ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठाया और फिल्म सुपरहिट की श्रेणी में आ गयी। यह फिल्म भी भप्पी सोनी ने प्रोड्यूस की थी। वह शम्मी कपूर को फिल्मों में कास्ट करने के लिए जाने जाते रहे हैं। ब्रह्मचारी, तुम हसीन मैं जवां आदि फिल्में उन्होंने ही शम्मी कपूर के लिए बनायीं। सोलहवां साल, सीआईडी उन्हीं ने बनायी थी। इस फिल्म में उनके साथ हैं राजश्री। वही राजश्री जो वी. शांताराम की दूसरी पत्नी जयाश्री की बेटी हैं जो एक एनआरआई से शादी करके विदेश सेटल हो गयीं। पाठकों को शायद याद न हो कि गीत गाया पत्थरों ने, गुनाहों का देवता जैसी फिल्मों मे इन्ही राजश्री ने काम किया था। जब वह राजकपूर के साथ ‘अराउंड द वर्ल्ड’ फिल्म के लिए अमेरिका में शूटिंग कर रही थी तो उनकी मुलाकात ग्रैग चैपमैन से हुई। तीन साल कोर्टशिप चली और उन्होंने शादी कर ली। शादी करने के बाद अमेरिका उन्हें इतना पसंद आया कि वह वहीं की होकर रह गयीं। इस फिल्म में शम्मी कपूर के साथ उनके पिताजी पृथ्वीराज कपूर भी थे जो फिल्म में भी उनके पिता ही बने हैं। इस फिल्म की कहानी तो सुंदर थी ही गाने भी सुंदर बन पड़े हैं। इस फिल्म में गाये गीत ‘देखो अब तो किसी को खबर’ गीत की धुन बाद में बीटल्स ‘आई वाना होल्ड यूअर हैंड’ में प्रयुक्त हुई। इसके सभी गीतों की धुनें शंकर जयकिशन ने बनाई हैं जिन्हें लिखा है शैलेंद्र और हसरत जयपुरी ने। कहानी रोमांस व मैलोडी जॉनर की है। बीच-बीच में राजेंद्र नाथ के हंसी-ठठ्ठे दर्शकों को फिल्म से नहीं उठने देते। कहानी में श्रीवास्तव जाने-माने शहर के रईस हैं जो अपनी पत्नी और दो बेटों महेंद्र और सुंदर के साथ रहते हैं। यह सुंदर ही शम्मी कपूर बने हैं। उनके पिता के रोल में उनके असली पिता पृथ्वीराज कपूर हैं तथा भाई की भूमिका में रहमान हैं। श्रीवास्तव अपने बेटों की शादी अपनी ही तरह के अमीर खानदान में करना चाहते हैं। मगर कहानी में तब पेच आ जाता है जब महेंद्र उन्हीं के ही दफ्तर में कर्मचारी सीमा (श्यामा) से प्यार कर बैठता है और शादी करना चाहता है। लेकिन बात तब आड़े आती है जब सीमा के खानदान का पता चलता है। वह गरीब घर की लड़की है। लिहाजा शादी नहीं हो सकती। शादी की मनाही होने के कारण महेंद्र शराब पीने लगता है, वह कोठे पर भी जाने लगता है। जहां उसकी मुलाकात बहार से होती है। उधर, कश्मीर में छुट्टियां बिताने गये सुंदर की मुलाकात सपना (राजश्री) से होती है। वह भी वहां सहेलियों के साथ तफरीह करने आयी है। शुरुआती नोकझोंक के बाद दोनों के बीच प्यार हो जाता है लेकिन छुट्टियां खत्म होते ही दोनों बिछुड़ जाते हैं। लेकिन जब सपना सुंदर को अगली बार मिलती है तो किसी गर्भवती महिला के साथ जहां सुंदर को यह कहते सुन लेती है कि वह भी बच्चे का बाप बनेगा? वह किसका बच्चा था? उधर जब सपना अपने घर पहुंचती है तो उसे पता लगता है कि उसके पिता जिस दफ्तर में अकाउंटेंट का काम करते हैं, वह दरअसल में सुंदर के पिता श्रीवास्तव का ही दफ्तर है।
उधर, सीमा श्रीवास्तव के घर आती है और बताती है कि वह महेंद्र के बच्चे की मां बनने वाली है। लेकिन श्रीवास्तव उसे भला-बुरा कहकर भगा देते हैं। वह रोते-बिलखते रेलवे स्टेशन पर कलकत्ता के लिए गाड़ी पकड़ने के लिए खड़ी है। घर में नौकर बंसी सुंदर को सारी बात बता देता है। वह स्टेशन पर सीमा के साथ चल देता है। कलकत्ता में दोनों मिलकर महेंद्र को ढूंढ़ने में कामयाब हो जाते हैं। वह शराब की गर्त में डूबा है तथा अपना धन बहार पर लुटाता है। उधर, सुंदर की मां श्रीवास्तव को बताती है कि सुंदर सपना से प्यार करता है और शादी करना चाहता है लेकिन यहां भी खानदान आड़े आता है। क्या सपना और सुंदर की शादी हो पायेगी। यह लाख टके का सवाल है जो फ्लैशबैक के पाठक देंगे। इसके लिए उन्हें फिल्म देखनी पड़ेगी। देखिये, देखिये, जरूर देखिए! फिल्म अच्छी है।
निर्माण टीम
निर्देशक : भप्पी सोनी
प्रोड्यूसर : एस. हरदीप
मूल व पटकथा : सचिन भौमिक
गीत : शैलेंद्र, हसरत जयपुरी
संगीत : शंकर जयकिशन
सिनेमैटोग्राफी : तारू दत्त
सितारे : शम्मी कपूर, राजश्री, रहमान, श्यामा, पृथ्वी राजकपूर, राजेंद्र नाथ आदि
गीत
तुमसे अच्छा कौन है : मो. रफी
लाल छड़ी मैदान खड़ी : मोहम्मद रफी
मेरी मुहब्बत जवां रहेगी : मो. रफी
रात यूं दिल में तेरी खोई : आशा भोसले, मोहम्मद रफी
देखो अब तो किसी को : आशा भोसले, बलबीर, मोहम्मद रफी
आंखों आंखों में किसी : लता, आशा भोसले, मन्ना डे
मेरे संग गा गुनगुना
कोई गीत : सुमन कल्याणपुर