डॉ. मोनिका शर्मा
बच्चे परिवार का भविष्य होते हैं। समाज और देश की भावी पीढ़ी माने जाते हैं। घर के भीतर ही नहीं, बाहर निकलने पर भी सबसे ज्यादा संभाल-देखभाल की दरकार बच्चों को ही होती है। बावजूद इसके पैरेंट्स हों या परिजन, नयी पीढ़ी की सुरक्षा में कोताही करते दिख जाते हैं। तकलीफदेह है कि बड़ों द्वारा सड़क यातायात में सख्त नियमों की अनदेखी करना तो नौनिहालों का जीवन ही खतरे में डाल देता है। ऐसे में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले के आदेश बच्चों का जीवन सहेजने वाले हैं। हाल ही में सार्वजनिक हुए आदेशों के तहत हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में अब चार साल से बड़ी उम्र के हर बाइक सवार के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि हेलमेट केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के मुताबिक होना चाहिए। आदेश के अनुसार केवल पगड़ी पहनने वाले सिख महिला और पुरुषों को हेलमेट से छूट मिलेगी। निर्देशों से स्पष्ट है कि यह नियम मोटरसाइकिल चालक, पीछे बैठे व्यक्ति या साथ ले जाए जा रहे बच्चों तक, चार साल से ऊपर प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होंगे। सुरक्षा से जुड़े इन निर्देशों में बच्चों को भी शामिल किए जाने के बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को भी दोपहिया वाहनों की सवारी करने वाले चार साल से छोटे बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष नियम बनाने की बात कही है।
चिंता का विषय
हमारे यहां टू व्हीलर वाहनों के दुर्घटनाओं के आंकड़े डराने वाले हैं। फिर भी देश के हर हिस्से में दोपहिया वाहन चालक तेज़ रफ़्तार के साथ ट्रैफिक नियमों की भी अनदेखी करते हैं। इतना ही नहीं, हेलमेट पहनने जैसे सुरक्षा उपायों को लेकर भी उपेक्षा का रवैया ही दिखता है। जिंदगी लीलने वाली यह लापरवाही टू व्हीलर पर बच्चों के साथ यात्रा करते हुए बरती जाती है। ऐसे में दोपहिया वाहन चालकों और सवारों के सुरक्षा इंतजामों को लेकर सजगता और सख्ती आवश्यक हैं।
संबंधित मंत्रालय भी बना चुका है नियम
गौरतलब है कि दो साल पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भी दोपहिया वाहन चालकों के लिए बनाए गए नियमों में बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा नियम शामिल किया था। इस मंत्रालय ने भी चार साल से कम उम्र के बच्चों को दोपहिया वाहन पर ले जाने के लिए विशेष सुरक्षा नियमों का अनुसरण करने को कहा था। इनके तहत दोपहिया वाहन चालक को अनिवार्य रूप से बच्चों के लिए हेलमेट और सुरक्षा बेल्ट का इस्तेमाल करने की बात कही गई थी। वाहन की रफ्तार भी 40 किमी प्रति घंटे तक सीमित रखने की बात शामिल थी। देश में सड़क हादसों में जा रही जानें समाज और सरकार के लिए फिक्र का कारण बनी हुई हैं। सेफ़्टी के हिसाब से समय-समय पर न सिर्फ इससे जुड़े नियम भी बदलते रहते हैं बल्कि नये नियम भी जुड़ते हैं। जरूरी है कि हर परिवार इन नियमों को लेकर भी जागरूक रहे।
जीवन भर का दुख और दुश्वारियां
पल भर में दुख और दुश्वारियां झोली में डाल देने वाले सड़क हादसे बच्चों के लिए शारीरिक पीड़ा देने वाले ही नहीं मनोवैज्ञानिक रूप से भी एक सदमे के समान होते हैं। इसीलिए दोपहिया वाहनों पर सफर करते हुए बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी सख्ती आवश्यक भी है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा सर्वाधिक सड़क हादसों के लिए चिन्हित किए गए 10 देशों में भारत सबसे ऊपर है। हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं में 44 प्रतिशत दुर्घटनाएं और इनसे होने वाली मौतों में भी 44 प्रतिशत हिस्सा दोपहिया वाहनों का होता है। देश में रोजाना औसतन 400 लोग सड़क हादसों के चलते जीवन गंवा देते हैं। कैसी पीड़ा स्थितियां है कि इनमें औसतन 31 किशोर और 42 तो मासूम बच्चे ही होते हैं। गांवों से लेकर महानगरों तक कई घरों को उजाड़ने और माताओं की गोद सूना करने वाले भयावह आंकड़ों को देखते हुए सख्ती आवश्यक है। ज्ञात हो कि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में हेलमेट न पहनने वाले वाहन चालकों की संख्या सबसे अधिक है। अपनों के साथ यात्रा कर रहे मासूम बच्चों का जीवन छिन जाना परिवार-समाज की न पूरी हाने वाली क्षति है। दुर्घटनाओं में शारीरिक रूप से अक्षम होने वालों बच्चों का जीवन भी सदा के लिए दुश्वारियों से घिर जाता है। इसीलिए ज़िम्मेदारी नागरिक और अपने बच्चों का जीवन रक्षक बनने की सोच के साथ सड़क नियम फॉलो करने चाहिए।
मन से मानें नियम
तकलीफदेह है कि हमारे यहां अपना और अपने बच्चों का जीवन बचाने वाले नियमों को लेकर लागू करने के लिए भी सख्ती बरतनी पड़ती है। वाहन चला रहे अभिभावक या परिजन ही भी ढंग से हेलमेट नहीं लगाते। जैसे-तैसे सिर पर रख भर लेने की औपचारिकता करते दिखते हैं। हेलमेट की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीरता से नहीं सोचा जाता। यही कारण है कि हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि बच्चों के हेलमेट की गुणवत्ता दुर्घटना की स्थिति में सिर को पर्याप्त सुरक्षा देने वाली होनी चाहिए। साथ ही हेलमेट सिर्फ सिर पर रखा न हो, बल्कि उसे सुरक्षित तरीके से बांधा भी जाना चाहिए। जरूरी है कि हर घर के बड़े सदस्य इन नियमों के प्रति जागरूक बनें। मन के साथ यातायात नियमों का पालन करें। टू व्हीलर पर बच्चों की सुरक्षित सवारी के लिए इन नये नियमों का गंभीरता से पालन आवश्यक है। बच्चों को जरा सी चोट लगने पर फिक्र करने वाले अभिभावक उनकी जिंदगी को जोखिम में डालने की गलती न करें। बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।