सरबजीत सिंह कंवल
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में राय भोये की तलवंडी (अब ननकाना साहिब) में हुआ। गुरु जी ने जीवनभर अपनी चार उदासियों के दौरान धर्म, समानता, और रूहानियत का संदेश फैलाया। उनकी 555वीं जयंती पर, आइए हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें।
सामाजिक समानता और सर्वकल्याण
गुरु नानक देव जी ने इक ओंकार (एक ईश्वर) का संदेश दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सभी प्राणियों में एक दिव्य ज्योति है। यह ज्ञान प्राप्त करने के बाद हम किसी से नफरत नहीं करते और सभी प्राणियों के प्रति करुणा का भाव उत्पन्न होता है। उन्होंने धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव को नकारा और पंगत (समान स्थान पर बैठकर भोजन) और संगत (संगति में रहना) की परंपरा शुरू की।
महिलाओं को समान दर्जा
गुरु जी ने अपने समय में महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। उन्होंने महिलाओं को धार्मिक कार्यों में पुरुषों के बराबर स्थान दिया और बताया कि राजाओं को जन्म देने वाली महिला बुरी कैसे हो सकती है।
निष्काम सेवा
गुरु नानक जी ने निष्काम सेवा की महत्ता बताई, जो बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की इच्छा से की जाती है। इस सेवा से अहंकार और स्वार्थ समाप्त होते हैं और समाज में एकता और समझ बढ़ती है।
किरत करना और बांट के छकना
गुरु जी ने ईमानदारी से कमाई करने की शिक्षा दी (किरत करना) और दसवंध (दसवां भाग दान करना) की प्रथा शुरू की। इस उपाय से जरूरतमंदों की मदद होती है और समाज में समृद्धि फैलती है।
मिठास और विनम्रता
गुरु नानक देव जी के अनुसार मिठास और विनम्रता सभी सद्गुणों का सार हैं। अहंकार को छोड़कर, हमें दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आना चाहिए। विनम्रता, सेवा और परोपकार से मनुष्य को आत्मिक सुख मिलता है।
संतोष और इच्छा मानना
गुरु जी ने संतोष की शिक्षा दी, अर्थात जो कुछ भी हमारे पास है, उसके लिए आभारी रहना चाहिए और जो नहीं है, उसके लिए दुखी नहीं होना चाहिए। उन्होंने हमें ईश्वर की इच्छा को स्वीकारने और प्रसन्न रहने की सलाह दी।
आध्यात्मिक आनंद और वैज्ञानिक सोच
गुरु जी ने प्रभु का नाम जपने और कीर्तन करने से आत्मिक आनंद की प्राप्ति की बात कही। इसके साथ ही, उन्होंने वैज्ञानिक सोच अपनाने की प्रेरणा दी और अंधविश्वास, पाखंडों और भ्रमों से बचने की सलाह दी।
सादा जीवन
गुरु नानक जी ने सादा जीवन अपनाया। वे सादे कपड़े पहनते थे, खेतों में काम करते थे और गरीबों की मदद करते थे। उनका जीवन उनके उपदेशों का वास्तविक उदाहरण था। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं केवल सिखों के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए हैं। उनके उपदेशों का पालन कर हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। उनके जीवन और शिक्षाओं से हमें सच्चे मानवतावादी बनने की प्रेरणा मिलती है।