अनु आर.
आबादी बढ़ने के कारण हरियाली की जगह अब कंकरीट के जंगल फैलने लगे हैं, लोगों के पास अब जगह की कमी है, तो उन्होंने इसके भी विकल्प खोज लिए हैं। खास तौर से महानगरीय जीवनशैली में लोगों के पास इतनी जगह ही नहीं है कि वे नये पेड़-पौधे लगाएं, इसके विकल्प के तौरपर बगीचे न सही, घरों में ही हरियाली का प्रबंधन कर लिया जाए। यही वजह है कि बड़े महानगरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों में भी फ्लैट सिस्टम में ओपन स्पेस कम होने से लोग एक-एक इंच जगह को इस्तेमाल करने के लिए नये-नये आइडियाज लेकर आ रहे हैं। छोटे फ्लैट में इतनी बड़ी बालकनी नहीं है कि वहां गमले रखकर, उनमें हरियाली उगायी जा सके, तो लोगों ने वर्टिकल प्लांटेशन कर घर के डेकोर में एक नया स्टाइल ही जोड़ दिया है। जिससे घर की खूबसूरती बढ़ती है, घर के आसपास की आबोहवा साफ होती है और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है।
पाइप से जुड़े गमलों में पौधे
यही वजह है कि आजकल घर के इंटीरियर में एक नया ट्रेंड जोर पकड़ रहा है, दीवारों में हरियाली उगाने का। इस स्टाइल को महानगर तेजी से अपना रहे हैं, जिसके तहत दीवारों और छतों पर पाइप से जुड़े गमलों में पौधे लगाये जाते हैं। चौड़ी वाली पीवीसी पाइप में पत्थर की सहायता से कई बड़े छेद बनाकर उनमें पौधे लगाए जाते हैं। इन्हीं पाइप के जरिये पौधों को पानी की सप्लाई होती है। इस तरह वर्टिकल प्लांटेशन में छोटे-छोटे फ्लावर पॉट, स्टील से बने पॉट, सदाबहार पौधे, हैंगिंग टेरेस और स्टैंडबाय जैसे तरीकों से पौधे लगाए जाते हैं। इस प्रक्रिया में हैंगिंग और वर्टिकल वॉल्स पर प्लांटेशन किया जाता है। रंग-बिरंगे पौधों से घर में हरियाली बनी रहती है, जो आंखों को दिखने में अच्छी लगती है।
लटकी बास्केट में प्लांट्स
इस तरह के वर्टिकल गार्डन को बालकनी, घर की दीवारों में किसी भी हिस्से में लगाया जा सकता है। दीवार पर वुडन फ्रेमिंग करवाकर फर्न और मॉस के पौधे लगवा सकते हैं। दीवार पर सूरज की रोशनी आना जरूरी है। बालकनी में छोटी- छोटी बॉस्केट्स लाकर उन्हें अपनी पसंद की दीवार पर भी फिट करवा सकते हैं। वर्टिकल गार्डनिंग में रसोई की दीवार में भी हर्बल वर्टिकल गार्डन बनाया जा सकता है और वहां तरह-तरह की हर्ब्स उगायी जा सकती हैं। हर्बल प्लांट को ज्यादा धूप और पानी की जरूरत नहीं होती।
फूलों वाली लताएं
घर की बालकनी में वर्टिकल दीवार बनवाकर फूलों वाली बेलें लगाकर दीवार को रंग बिरंगे फूलों से भर सकते हैं। इस तरह की बेलें लगाएं, जो धूप और कम पानी में भी आसानी से चल सकती हैं। इन्हें फैलाने के लिए छोटी-छोटी कीलों की जरूरत पड़ती है। ऐसी बेलें लगाने पर दीवारों को भी कोई नुकसान नहीं होता है क्योंकि यह बहुत ही हल्की होती हैं और बड़ी आसानी से फलती-फूलती हैं।
पानी की व्यवस्था
दीवार में फुलवारी लगाने के लिए ऐसे पौधों का चुनाव करें, जिनमें पानी की कम आवश्यकता होती है और जो आपकी भौगोलिक स्थिति के अनुरूप फल-फूल सके। पौधे ऐसे होने चाहिए, जिन्हें समान मात्रा में पानी की जरूरत हो और उन्हें एक ही जगह लगाएं। इसके लिए ड्रिप वॉटर सप्लाई सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जिसमें पौधों को उनकी जरूरत के अनुसार ही पानी हासिल होता है। -इ.रि.सें.