शिखर चंद जैन
पुरुष हों या महिलाएं सबकी पसंदीदा डिश है चटपटा गोलगप्पा। शॉपिंग करने जाएं या शादी ब्याह में दावत खाने, तमाम व्यंजनों के बीच सबको पसंद आता है गोलगप्पा। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि गोलगप्पे को देश भर में कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है ।
पकौड़ी
आप और हम पकौड़ी भले ही बेसन या मूंगदाल से बनी डिश को कहते हों लेकिन गुजरात के कुछ हिस्सों में गोलगप्पे को पकौड़ी कहते हैं। इसके भरावन के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री भी ज़रा अलग होती है। कहीं इसमें बेसन के लच्छे, मीठी चटनी और कच्चे प्याज डाले जाते हैं, तो कहीं छोटे-छोटे कटे हुए उबले आलू और उबली हुई साबुत हरी मूंग की फिलिंग भी की जाती है। इसे खजूर की चटनी के साथ खाने पर मज़ा आ जाता है।
गुपचुप
मध्यप्रदेश और उड़ीसा के कुछ इलाकों में भी इसे गुपचुप कहकर पुकारते हैं। छत्तीसगढ़ में भी गोलगप्पों को गुपचुप कहते हैं। छत्तीसगढ़ में फिलिंग के रूप में मैश किए उबले हुए आलू और उबली हुई पीली मटर का इस्तेमाल किया जाता है। यहां पानी आमतौर पर इमली या अमचूर से बनाते हैं।
फुलकी
आमतौर पर फुलकी चपाती या रोटी को कहते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों में फुलकी गोलगप्पों को कहते हैं। यहां के गोलगप्पों का स्वाद भी दूसरी जगहों से बिल्कुल अलग है। इसके भरावन में ताज़ा मीठा दही इस्तेमाल किया जाता है जो इसे अलग टेस्ट देता है।
पुचका
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में गोलगप्पे को पुचका के नाम से जाना जाता है। उच्चारण में फर्क के कारण बंगाली या असमिया लोग इसे फुचका और राजस्थान समुदाय के कुछ लोग पिचका भी कहते हैं। यहां गोलगप्पों में मैश किया गया उबला आलू, उबले हुए देसी चने, धनिया पत्ती, तरह- तरह के मसाले मिलाकर स्टफिंग की जाती है। कहीं इमली का पानी तो कहीं, नींबू पानी में पुदीना मिलाकर सर्व किया जाता है।
टिक्की
उत्तरप्रदेश में कुछ खास इलाकों में और मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में गोलगप्पों को टिक्की कहकर पुकारते हैं। यहां भरावन के रूप में उबले आलू और उबले हुए काबुली चनों में मसाले मिलाकर डालते हैं। पानी आमतौर पर इमली का इस्तेमाल किया जाता है।
पानीपुरी
देश के कई हिस्सों में इसे पानीपुरी के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र में यह नाम विशेष रूप से प्रचलित है। मुंबईया फिल्मों में जब भी इसका जिक्र होता है या कोई ठेले वाला दिखाया जाता है, तो पानीपुरी ही दिखाया जाता है।
पतासी या पताशे
राजस्थान, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के कई हिस्सों में गोलगप्पे पतासी या पताशे के नाम से जानी जाती है। यहां सूजी के पतासे भी बनते हैं और आटे और मैदे के भी। इनमें उबले आलू और पीली मटर की फिलिंग की जाती है। कहीं- कहीं इसे बूंदी वाले पानी के साथ सर्व किया जाता है। बड़े शहरों में सात-आठ अलग-अलग स्वाद वाला पानी तैयार किया जाता है, जिसमें पुदीने का, जीरे का और लहसुन का स्वाद होता है। कई जगह तो भरावन में बारीक कटा हुआ प्याज भी इस्तेमाल किया जाता है।
पड़ाका
उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में गोलगप्पे को पड़ाका के नाम से जाना जाता है। यहां आटे और सूजी के पड़ाके तरह-तरह के मसालों वाले अलग अलग तरह के पानी के साथ सर्व किए जाते हैं। यहां भरावन के बजाय पानी के स्वाद पर ही जोर ज्यादा दिया जाता है। कई जगह पड़ाकों में बिना कुछ भरे सिर्फ मसालेदार पानी डालकर खाया-खिलाया जाता है।
गोलगप्पा
गोलगप्पा इसका यूनिवर्सल नाम है। देश के किसी भी कोने में जाइए और आपको इसका स्थानीय नाम मालूम नहीं है तो भी आप बेहिचक गोलगप्पे के नाम से पूछिए, सब जान जाएंगे। ऐसा पत्र-पत्रिकाओं में इसके शब्द के बहुप्रचलित प्रयोग के चलते ही संभव हुआ है।