श में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाली दूसरी जानलेवा बीमारी है। भारत में हर साल तकरीबन 18.3 प्रतिशत महिलाओं में कैंसर की जानलेवा बीमारी का पता चलता है। एचपीवी सेंटर के आंकड़ों के हिसाब से हर साल तकरीबन 1,23,900 मामले सर्वाइकल कैंसर के होते हैं। करीब 80 हजार महिलाएं हर साल अपनी जान गंवा देती हैं।
मौत के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए हाल ही में अंतरिम बजट 2024-25 में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम की घोषणा की गयी है। मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत बच्चों की रेगुलर वैक्सीनेशन प्रोग्राम के रूप में सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए टीकाकरण अभियान शुरू करने की घोषणा की है। जिसमें 9-14 साल की लड़कियों को सरकारी अस्पतालों में एचपीवी वैक्सीनेशन मुफ्त लगाई जाएगी। सिरम इंस्टीट्यूट ने इसका सर्वाविक नाम का टीका बनाया है। अगर एचपीवी वैक्सीन सही उम्र में लगवा ली जाए तो सर्वाइकल कैंसर को 98 फीसदी रोका जा सकता है।
क्या है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर 21-40 साल की महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला यौन कैंसर है। जो ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के संक्रमण के कारण होता है। इसे बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है।
मूल वजह व रोग का बढ़ना
यह वायरस मूलतः यौन संबंध बनाने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है। मूलतया यौन संचारित एचपीवी वायरस के कारण सर्वाइकल कैंसर होता है। संक्रमण कई कारणों से होता है- असुरक्षित यौन संबंध, एक से अधिक पार्टनर से व कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाना। सिफलिस, गोनोरिया जैसे यौन संचारित रोगों व गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग ज्यादा करने से भी सर्वाइकल कैंसर का अंदेशा रहता है।
एचपीवी की बढ़ी मात्रा यूटरस और वजाइना को जोड़ने वाले हिस्से सर्विक्स यानी बच्चेदानी के मुंह को संक्रमित करती है। सर्विक्स के अंदरूनी (इंडो-सर्विक्स) या बाहरी (एक्टो-सर्विक्स) किसी भी भाग में असामान्य तरीके से प्री-कैंसरस सेल्स के रूप में विकसित होने लगता है। धीरे-धीरे कैंसर सेल्स गर्भाशय, पेल्विक एरिया, वजाइना के निचले हिस्से तक फैल जाते हैं और यूरिन ट्यूब को ब्लॉक कर सकते हैं। आखिरी स्टेज में सर्वाइकल कैंसर ब्लैडर, लीवर और फेफड़ों तक भी फैल जाता है।
ये हैं लक्षण
यूं तो सर्वाइकल कैंसर के लक्षण कई सालों तक नहीं दिखते, जब तक कि कैंसर की अवस्था तक नहीं पहुंच जाता। ऐसे में महिला को सतर्क रहना जरूरी है। इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज न कर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। शुरू में बदबूदार श्वेत प्रदर होना, गंदा पानी आना, पीरियड्स के अलावा मासिक चक्र के बीच में कभी भी रक्तस्राव होना, शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द और रक्तस्राव होना जैसे लक्षण मिलते हैं। एडवांस स्टेज पर कैंसर सेल्स बढ़ने पर माहवारी के बिना महिला के पेट के निचले हिस्से और वजाइना में दर्द होना, पेशाब करते समय दर्द होना, पीठ और पैरों में दर्द रहना, थकान रहना, पैरों में सूजन, भूख न लगना, वजन कम होना जैसी समस्याएं होती हैं।
डायग्नोज का तरीका
सर्वाइकल कैंसर का अंदेशा होने पर पैप स्मीयर स्क्रीनिंग से सर्विक्स में असामान्य रूप से बढ़ रही कोशिकाओं की जांच की जाती है। स्पेकुलम से गर्भाशय ग्रीवा से कुछ कोशिकाएं और तरल पदार्थ लेकर बॉयोप्सी परीक्षण किया जाता है।
उपचार प्रक्रिया
चैक किया जाता है कि कैंसर किस स्टेज पर है। शुरुआती स्टेज में लेजर सर्जरी की जाती है जिसमें यूटरस के नीचे के हिस्से की असामान्य कोशिकाओं को बर्न किया जाता है या फिर यूटरस के आसपास की लिम्फनोड्स को निकाल दिया जाता है। पेल्विक एरिया, वजाइना जैसे अंगों तक विकसित हुए कैंसर-सेल्स का उपचार कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी से किया जाता है। इससे 60-80 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते हैं। आखिरी स्टेज में हिस्ट्रैक्टॉमी ऑपरेशन करके पूरे यूटरस रिमूव कर दिया जाता है।
जागरूकता से बचाव
महिलाओं का जागरूक होना जरूरी है- एचपीवी गार्डासिल या गार्डासिल-9 वैक्सीन लगवाना और समय-समय पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाना चाहिए। वैक्सीन छोटी उम्र में ही लड़कियों को लगाई जाती है जिससे भविष्य में तकरीबन 80 फीसदी मामलों को कम किया जा सकता है। 9-14 साल की लड़कियों को 0-6 महीने पर 2 बार और 14- 20 साल में 0-1-6 महीने पर 3 बार लगाई जाती है। अगर किसी महिला ने बचपन में एचपीवी वैक्सीन नहीं लगवाई है, तो 42 साल की उम्र में भी वैक्सीन लगवा सकती है। वयस्क महिलाओं को कैंसर से बचाव के लिए साल में एक बार रेगुलर पैप स्मीयर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना चाहिए।
यह भी रखें ध्यान
शादी के बाद साल में एक बार डॉक्टर के पास विजिट जरूर करें। युवा महिलाओं को रूटीन मेडिकल स्क्रीनिंग या चेकअप करवाना जरूरी है। खास पार्ट्स को नहाते समय चैक करना चाहिए कि कुछ एब्नॉर्मल न हो, डिस्चार्ज न हो, हाइजीन मेंटेन है या नहीं। नहाते समय वहां साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए हाइजीन मेंटेन करें। कम उम्र में असुरक्षित यौन संबंध, मल्टीपल पार्टनर व बार-बार गर्भपात कराना अवायड करना बेहतर है।