डॉ. नीरोत्तमा शर्मा
पुस्तक : डॉ. रामनिवास ‘मानव’ की प्रयोगात्मक लघुकथाएं लेखक : डॉ. रामनिवास ‘मानव’ सम्पादक : डॉ. हरमहेन्द्र सिंह बेदी प्रकाशक : समन्वय प्रकाशन, गाजियाबाद पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 250.
परम्परागत एवं नवीन तथा देशज और विदेशी शैलियों और शीर्षकों के वैविध्य से सज्जित ‘डॉ. रामनिवास मानव’ की प्रयोगात्मक लघुकथाएं पाठक को अभिभूत भी करती हैं और रोमांचित भी, क्योंकि इतनी संख्या में शैलीगत प्रयोग आज तक हिन्दी साहित्य की किसी भी विधा में एक साथ उपलब्ध नहीं हैं। इन लघुकथाओं की विषय-विविधता, भावों का प्रवाह तथा भाषा-शिल्प सोने पर सुहागे का काम करता है।
प्रयोगधर्मी रचनाकार ‘डॉ. मानव’ ने ‘केबीसी शैली’ और ‘हॉकर शैली’ जैसी नवीन शैलियों को प्रतिष्ठित करने का भी सफल प्रयास किया है। लेखक ने प्रस्तुत संग्रह में पौराणिक कथाओं के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ किए बिना उन्हें नवीन रूप में प्रस्तुत किया है और जातक कथाओं को भी यथावत स्थान दिया है। तत्कालीन समाज की परेशानियों के संवेदनात्मक चित्रण के साथ-साथ लोक साहित्य भी डॉ. रामनिवास मानव के इस कथा संग्रह में समाहित है।
सामाजिक सरोकारों, पारिवारिक विडंबनाओं और रिश्तों के खोखलेपन को आधार बनाकर लिखी गई लघुकथाएं पाठक के समक्ष देश और समाज तथा ग्रामीण और नगरीय परिवेश के मर्मस्पर्शी चित्र प्रस्तुत करती हैं।
साहित्यकार पद्मश्री डॉ. हरमेन्द्र सिंह बेदी द्वारा संपादित लघुकथा संग्रह ने हिन्दी साहित्य को एक विशिष्ट भेंट प्रदान की है, जो न केवल साहित्य के सुधीजनों के लिए, बल्कि विद्यार्थियों के लिए भी किसी उपहार से कम नहीं है।