कीर्तिशेखर
नौकरियों के प्रकार और तौर-तरीकों में भी हाल के सालों में भारी बदलाव देखा जा रहा है। अब बड़ी संख्या में अलग-अलग क्षेत्रों के स्वतंत्र विशेषज्ञ फ्रीलांसिंग में रुचि दिखा रहे हैं और फ्रीलांसर के तौरपर उभर रहे हैं। अगर कहा जाए कि ऑनलाइन ट्यूटर, अकाउंटेंट और ग्राफिक डिजाइनर, ये तीन ऐसे प्रोफेशनल्स हैं, जिनकी भारत में फ्रीलांस के क्षेत्र में सबसे ज्यादा मांग है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
ऑनलाइन ट्यूशन
दो साल पहले दुनियाभर में आयी कोविड महामारी के दौरान कैरियर की सोच को लेकर भारी बदलाव आया है। उन दिनों में बड़े पैमाने पर लोगों ने फ्रीलांसिंग करनी शुरू की और इसमें निजी स्वतंत्रता का स्वाद चखा। खासकर इस मामले में ट्यूटर यानी ट्यूशन पढ़ाने वाले टीचर की तो पहली पसंद इन दिनों फ्रीलांसिंग के तहत ऑनलाइन ट्यूशन पढ़ाना ही है, इससे उनकी कमाई में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। अब ट्यूटर को घर-घर जाकर नहीं पढ़ाना पड़ता। न ही अपने घर में छात्रों की भीड़ मैनेज करनी पड़ती है बल्कि वेबसाइटों के लिए दिन के कुछ घंटे अपने घर में रहते हुए पढ़ाना होता है।
अकाउंटिंग के भी ऑनलाइन खूब काम
ग्राफिक डिजाइनर और अकाउंटेंट भी दो ऐसे प्रोफेशनल हैं, जिन्हें इन दिनों फ्रीलांसिंग से न सिर्फ खूब अच्छी कमाई हो रही है बल्कि उनका भविष्य भी सुरक्षित लग रहा है। दरअसल भारत में हाल के सालों में बढ़ी अकाउंटिंग संबंधी गतिविधियों के कारण आज बहुत बड़ी संख्या में अकाउंट के जानकारों की जरूरत है। जीएसटी लागू होने के कारण देश में करीब एक से डेढ़ करोड़ दुकानदारों और कारोबारियों को हर तीन महीने में जीएसटी भरनी पड़ती है या इससे संबंधित गतिविधियों को पूरा करना पड़ता है, जो अकाउंटेंट ही करता है। अब चूंकि न तो ऐसे अकाउंटेंट के लिए किसी एक जगह पर आकर्षक भुगतान वाली जॉब है और न ही इतना काम है कि किसी एक फर्म के लिए कोई अकाउंटेंट पूरे महीने काम कर सके। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में अकाउंटिंग का काम कुछ कंपनियां अपने यहां ठेके पर कराने लगी हैं। इसलिए ऑनलाइन ट्यूशन की तरह ही इन दिनों ऑनलाइन अकाउंटिंग का भी अच्छा-खासा काम उपलब्ध है, जबकि एकाउंट के जानकारों की संख्या कम है। इस क्षेत्र में फ्रीलांसिंग करने के जबर्दस्त मौके हैं।
ग्राफिक डिजाइनर की भी मांग
ग्राफिक डिजाइनर तो पहले से ही फ्रीलांसिंग प्रकृति वाला जॉब रहा है। लेकिन ऑनलाइन सुविधा होने के बाद अब ग्राफिक डिजाइनरों को कहीं काम के लिए जाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्हें अपने घर में ही बैठकर दिनभर अपनी पसंद का काम करना होता है। यही कारण है कि ग्राफिक डिजाइनर तीसरा ऐसा प्रोफेशनल बनकर उभरा है, जिसे इस दौर में काम की कोई दिक्कत नहीं है।
दरअसल ये तीनों जॉब फ्रीलांसिंग के लिए बेहद अनुकूल जॉब हैं। क्योंकि इनके कामों में एक शानदार लचीलापन और ऑनलाइन सुविधा मौजूद है। दरअसल पढ़ाने के लिए या बहीखातों को दुरुस्त करने के लिए जरूरी नहीं है कि प्रोफेशनल आपके घर या दफ्तर आएं, तभी वो बेहतर काम करेंगे। उल्टे हकीकत तो यह है कि अगर लोग अपने घरों में स्थित ठीहों से ये सब काम करते हैं, तो ज्यादा बेहतर काम की गुंजाइश रहती है। उन्हें घर से बाहर जाने में जो समय व जोखिम लगता है, वह बचता है।
बेहतर कमाई से बढ़ी कद्र भी
यहां बताये गये तीनों जॉब खास तौरपर फ्रीलांसिंग के लिए बेहद अनुकूल है। क्योंकि इनमें लचीलापन और कार्य संतुलन है। इन तीनों की कामों की बाजार में अच्छी खासी मांग भी है और ें फ्रीलांसिंग के तौरपर एक शानदार और मजबूत कैरियर बनाया जा सकता है, जिसकी अब धीरे-धीरे समाज में इज्जत भी बढ़ रही है। लेकिन यह शायद तब तक न होता, जब तक फ्रीलांसिंग के तौरपर इन तीनों ही कामों में ठीकठाक कमाई न होती या कि फ्रीलांसिंग और स्थाई जॉब में मिलने वाले पारिश्रमिक में भारी अंतर होता। वास्तव में आज एक ऑनलाइन ट्यूटर बड़ी सहजता से सालभर में 10 से 15 लाख रुपये कमा लेता है, अगर उसकी पढ़ाने की स्किल सही है। किसी स्थाई टीचर को भी लगभग इतना ही पैसा मिलता है। इसलिए ऑनलाइन ट्यूशन पढ़ाने में टीचर की स्थाई नौकरी करने से भी ज्यादा फायदा है।
स्थाई जॉब से मुकाबला
कमाई के मामले में यही बात ग्राफिक डिजाइनर और फ्रीलांस तौर पर अकाउंटिंग करने वाले के पक्ष में भी जाती है। ग्राफिक डिजाइनर भी बतौर फ्रीलांसर साल में 6 से 10 लाख रुपये कमा लेते हैं और अकाउंटेंट की कमाई भी 6 से 8 लाख रुपये सालाना है, जबकि करीब-करीब इतनी ही स्थाई नौकरी में कमाई होती है। यही कारण है कि देश में इन दिनों कुछ विशेष क्षेत्र के लिए फ्रीलांसिंग ज्यादा बेहतर जॉब बनकर उभरी है।
-इ.रि.सें.