अनुराधा मलिक
देश के कई राज्यों में मानसून ने दस्तक दे दी है। अब आप बारिश के साथ ही सर्दियों तक राजस्थान की फेवरिट डिश दाल-बाटी और चूरमा का लुत्फ उठा सकते हैं। दाल-बाटी और चूरमा को शाही थाली में शामिल माना जाता है। यह बरसात के मौसम में कच्ची रसोई के नाम से भी मशहूर है। रोज खाए जाने वाले खाने की तुलना में दाल-बाटी व चूरमा में कैलोरी की मात्रा करीब दुगनी होती है। इसके चलते इस थाली को पारंपरिक त्योहार और मौसम के साथ जोड़ा गया है। राजस्थान के कई पारंपरिक खाने-नाश्ते का अब देशभर के कई हिस्सों में चलन है। ऐसे व्यंजनों में दाल-बाटी, चूरमा, लापसी, मालपुए, कढ़ी-कचौरी, बेसन गट्टे, केसर-मोदक और राबड़ी आदि शामिल हैं। यह स्वादिष्ट तो होते ही हैं, इसके साथ-साथ इनमें डाले जाने वाले मसाले इनको सेहत की दृष्टि से भी अति उत्तम बनाते हैं। राजस्थान में बारिश के मौसम में किसी भी खुशी को सेलिब्रेट करने के लिए ‘गोठ’ का आयोजन होता है, जिसमें ज्यादातर दाल-बाटी, चूरमा, बेसन के गट्टे और हरी मिर्च के टपोरे थाली में सुसज्जित होते हैं। मरुधरा में भोजन के अंत में मट्ठे का प्रयोग प्राय: होता था, जो आज भी प्रचलित है। यह भोजन को सुपाच्य बनाता है। सर्दियों में होने वाली शादियों में भी अब आम तौर पर दाल-बाटी और चूरमा के स्टॉल लगते हैं। इनमें स्टार्टर के रूप में राजस्थानी कढ़ी-कचौरी की भी काफी डिमांड है। खासकर अजमेर की कढ़ी-कचौरी देश-दुनिया में फेमस है। यहां तक कि प्रख्यात उद्योगपति मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी में उदयपुर के होटल उदय विलास में विशेष रूप से कढ़ी-कचौरी को व्यंजनों में शामिल किया गया। अंबानी के अलावा क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, जया बच्चन जैसे सेलेब्रेटी ने भी इसकी तारीफ की। जानिये राजस्थान के कुछ विशेष व्यंजनों को बनाने का तरीका…
दाल-बाटी बनाने की विधि
सामग्री : गेहूं का मोटा आटा 1 किलो, नमक 10 ग्राम, मोयन के लिए घी 100 ग्राम बाटी के लिए देसी घी 500 ग्राम।
विधि: आटे में नमक मिलाएं। घी का मोयन डालकर अच्छी तरह मसलते रहें जब तक आटा एक सार न हो जाए। यदि आटे में गांठे रह गईं तो बाटी अच्छी नहीं बनेगी। अब आटे को टाइट गूंध लें और अपनी इच्छानुसार साइज में लोइयां बनाएं। इसको धीमी आंच पर ओवन या पतीले में सेंकें। थोड़ी थोड़ी देर में बाटियों को पलटते रहें। जब बाटियां सुनहरी हो जाएं, तो इन्हें निकाल लें। एक बर्तन में घी पिघला लें उनमें तैयार बाटियों को डुबो दें। थोड़ी देर बाद उन्हें घी से निकाल गरमा-गरम दाल के साथ खाएं।
दाल बनाने की विधि
सामग्री : मूंग की धुली दाल 100 ग्राम, चना दाल 50 ग्राम, उड़द की धुली दाल 50 ग्राम हींग एक चुटकी, जीरा 1/2 चम्मच, धनिया पाउडर 1 छोटा चम्मच, हल्दी 1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर 1/2 छोटा चम्मच, गरम मसाला 1/2 छोटा चम्मच, नमक स्वादानुसार, अदरक 1 छोटा टुकड़ा, एक नींबू, हरी मिर्च, हरा धनिया पत्ती 1/2 कप।
विधि: सभी दालों को साफ करके धो लें और एक घंटे के लिए भिगो दें। कुकर में दालों को डाल दें और लगभग तीन गिलास पानी डालें। हल्दी, नमक और गरम मसाला डाल कर आंच पर चढ़ाएं। एक सीटी होने के बाद आंच मंदी कर लें। दस मिनट बाद उतार लें। हरी मिर्च, अदरक और हरे धनिया को बारीक काट लें। एक बर्तन में घी गरम करें और उसमें जीरा तड़कने पर हींग, हरी मिर्च और अदरक डालें। एक मिनट बाद ही धनिया पाउडर और लाल मिर्च डालें। अब इस छोंक में उबली हुई दाल डालें। लगभग पांच मिनट पकने दें। दाल तैयार है, परोसने से पहले नींबू और धनिया पत्ती डाल सकते हैं।
आटे का चूरमा की विधि
गेहूं का मोटा आटा -1 किलो, घी 100 ग्राम, बूरा 600 ग्राम, इलायची 50 ग्राम दाने निकली हुई, काजू-मेवे (कतरे हुए) इच्छानुसार।
विधि: आटे में घी डाल कर अच्छी तरह मसलें और छलनी से छान लें। हल्के पानी का छींटा दें और आटा गूंध कर लड्डू के गोले बना लें। उन्हें ओवन या पतीले में सेंक लें। बाटी की तरह सुनहरा होने पर निकाल लें और इमामदस्ते में कूट कर छान लें। इसके बाद छने हुए चूरमा को कड़ाही में थोड़ी देर सेंक लें। आंच से उतार कर एक परात में डालें और ठंडा होने पर बूरा, इलायची, काजू और मेवे मिलाकर चूरमा बना लें।
कढ़ी रेसिपी
सामग्री:-बेसन100 ग्राम, खट्टादही 250 ग्राम, हींग आधी चुटकी, जीरा, मिर्च 1छोटा चम्मच, मीठा नीम 1टहनी, घी थोड़ा-सा छोंकने के लिए ।
विधि: दही को अच्छी तरह मथकर उसमें पानी मिलाकर पतला कर लें। बेसन में धीरे-धीरे दही को मिलाएं, ताकि गांठें न पड़ें। अब गैस पर कड़ाही चढ़ाएं और घी डालें। गर्म होने पर उसमें मीठे नीम के पत्ते, हींग और जीरा डालें। तड़कने के बाद दही बेसन का तैयार घोल डालें। जब तक घोल खदकने लगे, तब तक चलाते रहें, नहीं तो घोल फट जाएगा। खदकने के बाद आंच मंदी कर दें। लगभग आधा घंटे मंदी आंच पर पकने दें। घोल गाढ़ा होने लगे, तो पानी और डाल दें। पूरी तरह पकने पर उतार लें।
कचौरी रेसिपी
सामग्री: मैदा 2 कप, अजवायन, नमक, घी /तेल 1/4 कप, पानी भरावन के लिए – मूंग दाल 1/2 कप, ऑयल 1.15चम्मच, सौंफ 1टी स्पून, जीरा 1टी स्पून, सुखा धनिया 1 टी स्पून, हींग 1/4 टी स्पून, बेसन 3 टी स्पून, नमक,काला नमक, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर 1 टी स्पून, लाल मिर्च पाउडर1 टी स्पून, अमचूर पाउडर 1 टी स्पून, भुना जीरा पाउडर 1/2 टी स्पून, गरम मसाला 1/4 टी स्पून, कसूरी मेथी, चीनी पाउडर 1 टी स्पून, ऑयल तलने के लिए ।
विधि : सबसे पहले बाउल में मैदा ,अजवायन, नमक, घी डाल कर आटा गूंध लें और 15-20 मिनट के लिए ढककर रख दें। अब दाल को 1/2 घंटा भिगो कर रख दें। अब दाल को दरदरा पीस लें। गैस पर पैन रखें उसमें ऑयल, सौंफ, जीरा, हींग, बेसन और दरदरा पिसा हुआ साबुत धनिया डालकर भून लें। अब डालें नमक, काला नमक, हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर अमचूर पाउडर, जीरा पाउडर, गरम मसाला डाल कर मिक्स कर लें। पीसी हुई दाल को डाल दें, मिक्स करें 5 मिनट भून लें। अब कसूरी मेथी, पिसी चीनी पाउडर दाल कर मिक्स करें जब मिक्सचर ठंडा हो जाए तो इसके लड्डू बनाएं। अब मैदे को फिर से मसल लें और पेड़े बना लें। आटे की लोई को बेल लें और उसमें डाल का लड्डू भरते जाएं और हाथों से फैला कर चपटा कर लें और मीडियम आंच पर इन कचोरियों को तल लें। फिर गरमा-गरम कढ़ी के साथ सर्व करें।