मोनिका शर्मा
हजार खतरों में पल रहे आज के बच्चों की बिगड़ती सेहत और अस्वास्थ्यकर खानपान बड़ी समस्या बना गया है| कभी बच्चों का मन रखने के लिए तो कभी अपनी व्यस्तता के चलते, अभिभावक उनकी भोजन सम्बन्धी आदतों के बदलाव को गंभीरता से नहीं ले पा रहे हैं| साथ ही बाजार की आक्रामक रणनीति भी बच्चों के सामने खान-पान के ललचाऊ विकल्प परोसने से नहीं चूक रही| ऐसे में नई पीढ़ी की सेहत सहेजने के लिए सजगता जरूरी है| जरूरी है उन्हें भोजन शैली की शिक्षा देने की। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़ देश में 5 साल की उम्र तक के बच्चों में मोटापा बढ़ा है|
सही पोषण के बारे में बताएं
बच्चे ज़बरदस्ती थोपे जाने से कोई काम नहीं करते। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को धैर्य और सूझबूझ के साथ सही पोषण के बारे में बताएं। साथ ही खाने पीने की अस्वस्थ आदतों को लेकर होने वाले नुक़सानों की भी जानकारी दें। बच्चे खुद अपने स्वास्थ्य और सेहत के लिए सजग नहीं हो सकते। इसीलिए उन्हें सेहत के लिए ख़तरा पैदा करने वाली इस राह पर चलने से रोकने का काम मम्मी-पापा को ही करना होता है। विशषज्ञों का मानना है कि खाने की आदतें बच्चों के व्यवहार को भी प्रभावित करती हैं। इतना ही नहीं बिगड़ता खानपान अनियमित दिनचर्या की भी एक बड़ी वजह बनता है जिसके परिणामस्वरूप छोटे-छोटे बच्चे भी आजकल डायबिटीज जैसी बीमारियां देखने को मिल रही हैं।
हमेशा मनमानी ना करने दें
मनचाहा खाने की ज़िद करने वाले बच्चों को हर बार मनमानी ना करने दें। कभी-कभी बच्चे अपने मन का भी खा सकते हैं लेकिन आमतौर पर उन्हें फल, सब्ज़ी और घर का बना स्वास्थ्यवर्धक भोजन करने के लिए मनायें। घर में भी प्रोसेस्ड फ़ूड आइटम अधिक न लाएं। कई बार देखने आता है कि कुछ बच्चे खाना नहीं खाने के लिए भी ज़िद करते हैं। उनका यह मनमौजी व्यवहार भी उनका स्वास्थ्य बिगड़ता है।
अपनाएं जमीनी जीवनशैली
बच्चों के बिगड़ते खानपान और बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता का ही नतीजा है कि अब हमारे यहां ग्रामीण इलाकों में बच्चों में वजन ज्यादा होने का आंकड़ा शहरी बच्चों से ज्यादा हो गया है। बच्चों में जंक फ़ूड खाने का बढ़ता चाव और बहुत हद तक अभिभावकों की भी अनदेखी इसका कारण है| मोटे अनाज का सेवन, घर में पका ताजा भोजन करना, योग, ध्यान और घरेलू मोर्चे पर भी शारीरिक रूप से सक्रिय रखने वाली भारतीय जीवनशैली का आज दुनिया भर में अनुसरण किया जा रहा है, जबकि भारत में लोग घर के पौष्टिक खाने से दूरी बना रहे हैं|