प्रभाकांत कश्यप
भारत में रेलगाड़ी से सफ़र करते हुए महिलाओं को कई तरह के विशेषाधिकार हासिल हैं मसलन गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला को रेलगाड़ी में निचली बर्थ पाने का विशेषाधिकार है। इसी तरह लोकल ट्रेन में विकलांगों के लिए आरक्षित डिब्बों में भी गर्भवती महिला सफर कर सकती है। आरक्षण फॉर्म में गर्भवती महिला यात्रियों के लिए अलग से कॉलम बनाया गया है। लेकिन सफ़र के दौरान एहतियातन उन्हें अपने साथ मेडिकल पेपर रखने होते हैं, जिन्हें संबंधित अधिकारियों के मांगे जाने पर दिखाने होते हैं। याद रहे ऑनलाइन बुकिंग पर यह सुविधा नहीं मिलती, इसके लिए रिजर्वेशन काउंटर पर गर्भवती होने के मेडिकल पेपर दिखाने पर ही यह सुविधा मिलती है।
टिकट न होने पर भी निर्बाध यात्रा
भारतीय रेलवे के अधिनियम 1989 की धारा 139 के अनुसार, यदि कोई महिला बिना पुरुष यात्री के अकेले यात्रा कर रही है और उसके साथ कोई छोटा बच्चा भी है तो बिना टिकट होने के बाद भी उसे ट्रैवलिंग टिकट परीक्षक (टीटीई) ट्रेन से उतार नहीं सकता। महिला जुर्माना भरकर अपनी यात्रा जारी रख सकती है। अगर उसके पास जुर्माना भरने के लिए पैसे नहीं हैं तो भी वह यात्रा का हक रखती है। किसी महिला को ट्रेन से दिन के समय किसी स्टेशन में तभी उतारा जा सकता है जब टीटीई के साथ महिला कांस्टेबल भी हो और वजह टिकट न होने से ज्यादा गंभीर हो।
महिला डिब्बे में सुरक्षा
भारतीय रेलवे अधिनियम के अनुसार, कोई सैन्य कर्मी भी महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे में प्रवेश नहीं कर सकता,उसे सामान्य डिब्बे में यात्रा करनी होगी। महिला कोच में प्रवेश करने वाले पुरुष यात्री पर कानूनी मुकदमा चलाने का प्रावधान है। रेलवे अधिनियम की धारा 162 के अनुसार, केवल एक संतान जिसकी उम्र 12 वर्ष से कम है, को ही किसी महिला के साथ आरक्षित डिब्बे में यात्रा करने की अनुमति होती है।
सीटों का रिजर्व कोटा भी
भारतीय रेलगाड़ियों के स्लीपर क्लास में छह से सात निचली बर्थ, वातानुकूलित 3 टियर (थर्ड एसी) में चार से पांच और वातानुकूलित 2 टियर (सेकेंड एसी) में तीन से चार बर्थ विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और 45 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला यात्रियों के लिए रिजर्व रखी जाती हैं। गर्भावस्था कोटे में यह सुविधा पाने के लिए महिला के पास डॉक्टर द्वारा हस्ताक्षरित गर्भावस्था प्रमाण पत्र होना चाहिए। अगर ट्रेन निर्धारित समय से देरी से चलती है, तो रेलवे की जिम्मेदारी है कि वह महिलाओं को विशेष प्रतीक्षालय प्रदान करेगा,जहां केवल महिलाओं को ही जाने की इजाजत होगी।
सीट बदलवाने का अधिकार
भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 139 में कहा गया है कि ट्रेन में अकेली सफ़र कर रही कोई महिला अगर अपनी सीट को लेकर सहज न हो, तो सफर के दौरान वह टीटीई से बात करके अपनी सीट को बदलवा सकती है। रेलगाड़ी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 182 हेल्पलाइन शुरू की गई है, जिसमें महिलाएं सुरक्षा संबंधी शिकायतें कर सकती हैं। जबकि रिजर्व कोच में अकेले सफर कर रही महिला की सुरक्षा के लिए कोच में महिला सुरक्षाकर्मी तैनात होती हैं।
स्लीपर क्लास के टिकट पर एसी में सफर!
रेलवे के नियमों के अनुसार, अगर कोई अकेली महिला स्लीपर क्लास के टिकट पर एसी क्लास में सफर रही है, तो उसे स्लीपर क्लास में जाने के लिए बोला जा सकता है, उसके साथ कोई गलत व्यवहार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि रेलवे बोर्ड के मुताबिक आरक्षित कोच की प्रतीक्षा सूची में भी अगर महिला का नाम नहीं है तो भी उसे ट्रेन से निकाला नहीं जा सकता है। हालांकि, रेलवे में बिना टिकट यात्रा करने पर किसी महिला से भी जुर्माना वसूलने और उसे जेल भेजने का प्रावधान है।
फ्री बेबी सीट की सुविधा
उत्तर रेलवे ने हाल ही में कुछ रेलगाड़ियों में फ्री बेबी सीट की सुविधा शुरू की है। दिल्ली से लखनऊ जाने वाली लखनऊ मेल में 2 सीटों के साथ यह सुविधा शुरू की गयी है। यह सुविधा छोटे शिशु के साथ यात्रा करने वाली नई मांओं की ट्रेन यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए किया गया है। अभी रेलवे तय नहीं कर पायी कि इस सुविधा के लिए अतिरिक्त पैसे लिए जायें या नहीं। बहरहाल यह फोल्डेबल ‘बेबी बर्थ’ सीट स्टॉपर से लैस है ताकि बच्चा गिरे नहीं। यह बेबी बर्थ दरअसल बच्चों के लिए एक छोटी बर्थ है। जो कि ट्रेन की चुनिंदा निचली बर्थ से जोड़ी जाती है। लेकिन इसे पाने के लिए टिकट बुक कराते समय फॉर्म भरना पड़ता है।
– इ.रि.सें.