गुरुग्राम, 15 नवंबर (हप्र)
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत को हर दृष्टि से नंबर बनाना है। ज्ञान अर्जन को बेहद जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि शोध के पर्याप्त अवसर होने चाहिए। भागवत शुक्रवार को गुरुग्राम स्थित एसजीटी यूनिवर्सिटी में विजन फॉर विकसित भारत के विषय पर अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन को इसरो के चेयरमैन डाॅ. सोमनाथ और नाेबेल शांति पुरस्कार विजेता डाॅ. कैलाश सत्यार्थी ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में भागवत ने शोधार्थियों को सचेत किया कि नकल से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि पिछले 2000 वर्षों से विकास के अनेक प्रयोग हुए, लेकिन ये प्रयोग दुनिया पर हावी होते चले गए। आज दुनिया भारत की तरफ देख रही है कि वही कोई रास्ता निकालेगा। उन्होंने कहा कि हमारे यहां विकास समग्रता से देखा जाता है, जबकि दुनिया के देशों में लोगों को शरीर व मन का विकास चाहिए। उन्होने इस बात पर बल दिया कि युवकों को अच्छा वातावरण मिलना चाहिए। अच्छे इनोवेशन की कद्र होनी चाहिए। विद्यापीठों को भी संसाधनों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और हर संसाधन शोधार्थियों को मुहैया कराना चाहिए। नए नए शोध को प्रोत्साहन देना भी विद्यापीठों को
कर्तव्य है।
सम्मेलन में भागवत ने शोधार्थियों को आध्यात्म और धर्म से जुड़े अनेक पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी और अपने शोध को मानवता के लिए उपयोगी बनाने की बात कही।