गुरुग्राम, 25 अगस्त (हप्र)
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने के मामले की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि जिन दो पिलर के बीच हादसा हुआ उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा है। फिलहाल इस हिस्से का काम रोक दिया गया तथा शेष स्थानों पर बिना सुरक्षा बंदोबस्त के काम तेज कर दिया है।
हादसे के बावजूद निर्माण कंपनी ने कोई सीख नहीं ली। घटना के 4 दिन बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। हादसा साउथ सिटी गेट के ठीक सामने पिलर नंबर 10 वे 11 के बीच करीब 150 फुट लंबा निर्माणाधीन स्पेन गिरने के कारण हुआ था। यह एलिवेटेड हाईवे दिल्ली मेट्रो ओवरहेड लाइन के लिए बनाए गए फ्लाईओवर की तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक में एक स्पेन में कई सेगमेंट जोड़े जाते हैं। यह सेगमेंट लोहे की मजबूत रस्सियों से एक पिलर से दूसरे पर लटक कनेक्ट होते हैं। एनएचएआई व निर्माण कंपनी के सूत्र बताते हैं कि सभी सेगमेंट को जोड़ने वाली लोहे की रस्सी ज्यादा कसाव सहन नहीं कर पाई और एक पिलर से स्पेन खिसक गया। यही हादसे की वजह भी बना।
खास बात यह है की नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और प्रशासनिक अधिकारी इस बात की जानकारी देने के लिए तैयार नहीं है कि जांच टीम में किस-किस को शामिल किया गया है और जांच किन विषयों पर केंद्रित रहेगी। हादसे के बाद से एनएचएआई और फ्लाईओवर का निर्माण करने वाली ओरिएंटल स्ट्रक्चरल इंजीनियर कंपनी के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। ये किसी भी विषय पर बात करने को तैयार नहीं है।
एनएचएआई के एक वरिष्ठ सूत्र की माने तो केंद्रीय सड़क परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी के ड्रीम प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पर मंत्रालय सख्त रुख अपनाए हुए है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि एनएचएआई के अधिकारियों पर इसकी गाज गिर सकती है साथ ही कंपनी को भी विभिन्न प्रकार की जांच का सामना करना पड़ सकता है।
शिकायत पर कार्रवाई नहीं
दूसरी तरफ हादसे के बावजूद कंपनी ने कोई सबक नहीं लिया। इस हिस्से पर किया जा रहा निर्माण बिना किसी सुरक्षा बंदोबस्त के बदस्तूर जारी है। कंपनी की ओर से न तो निर्माण कार्य के दायरे में बेरिकेडिंग कराई गई है और न ही यहां काम कर रहे श्रमिकों के पास सुरक्षा उपकरण मौजूद हैं। हादसे के बाद पुलिस को दी गई शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।