चंडीगढ़, 9 अगस्त (ट्रिन्यू)
हरियाणा के विभिन्न विभागों व बोर्ड-निगमों के 1726 जनसूचना अधिकारियों के खिलाफ मामला लोकायुक्त कोर्ट में पहुंच गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत समय पर जानकारी नहीं देने के आरोप में इन अधिकारियों पर राज्य सूचना आयोग द्वारा जुर्माना किया गया था। नियमानुसार जुर्माने की राशि जनसूचना अधिकारियों के वेतन से काटी जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर का कहना है कि इन 1726 जनसूचना अधिकारियों पर वर्षों से 2.27 करोड़ रुपये बकाया हैं। इन अधिकारियों में कई एचसीएस व अन्य उच्चाधिकारी भी शामिल हैं। लोकायुक्त को 24 जुलाई को शपथ-पत्र व आरटीआई दस्तावेजों सहित कपूर ने शिकायत दी। उनका आरोप है कि अधिकांश सूचना अधिकारी न तो सूचनाएं देते हैं, न ही राज्य सूचना आयोग द्वारा लगाई जुर्माना राशि राजकोष में जमा कराते हैं। सरकार भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करती। पारदर्शिता व जवाबदेही के लिए बना आरटीआई एक्ट-2005 मजाक बनकर रह गया है।