चंडीगढ़, 30 मार्च (ट्रिन्यू)
राज्य सूचना आयोग के आदेश का उल्लंघन राज्य के 1726 अधिकारियों को अब महंगा पड़ेगा। समय पर सूचना नहीं देने के मामलों में इन अधिकारियों पर आयोग द्वारा जुर्माना लगाया गया। बार-बार के नोटिस के बाद भी जुर्माना नहीं दिया तो मामला लोकायुक्त तक पहुंच गया। लोकायुक्त फटकार के बाद अब राज्य सरकार हरकत में आई है। यह पैसा वसूलने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई लेवल मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया है। लोकायुक्त के आदेश के साथ जुर्माने की राशि जमा नहीं करवाने वाले अधिकारियों की सूची भी सरकार को भेजी गई है। इतना ही नहीं, राज्य सूचना आयोग ने आयोग के कार्य को सुचारू करने के लिए रजिस्ट्रार सहित पांच कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग भी की है।
लोकायुक्त कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। लोकायुक्त जस्टिस (सेवानिवृत्त) एनके अग्रवाल ने जुर्माना नहीं जमा करवाने वाले अधिकारियों के प्रति कड़ी नाराजगी जताई है। पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने 21 जुलाई, 2020 को लोकायुक्त को शिकायत भेजकर आरोप लगाया था कि हरियाणा में आरटीआई एक्ट का पूरी तरह से उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकांश जनसूचना अधिकारी न तो निर्धारित 30 दिन में सूचना देते हैं और न ही राज्य सूचना आयोग द्वारा लगाई जुर्माना राशि जमा कराते हैं।
राज्य सूचना आयोग ने वर्ष 2006 से दिसंबर-2019 तक प्रदेश में राज्य जनसूचना अधिकारियों पर 3 करोड़ 50 लाख 54 हजार 740 रुपये जुर्माना लगाया था। इनमें से 1726 डिफाल्टर जनसूचना अधिकारी 2 करोड़ 27 लाख रुपये से ज्यादा की जुर्माना राशि वर्षों से दबाए बैठे हैं। डिफाल्टरों में कई एचसीएस अधिकारी भी शामिल हैं।
इस पर प्रदेश सरकार व राज्य सूचना आयोग ने लोकायुक्त को सूचित किया कि हरियाणा सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जुर्माना राशि वसूली के लिए मॉनिटरिंग कमेटी गठित की है। यह कमेटी हर तीन महीने बाद मीटिंग करके जुर्माना राशि वसूली कार्य की समीक्षा करेगी व त्वरित वसूली के लिए निर्देश जारी करेगी।
ये अधिकारी कमेटी में शामिल
जुर्माना वसूली के लिए गठित की गई हाई लेवल मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन मुख्य सचिव हैं। प्रशासनिक सुधार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव कमेटी के सदस्य सचिव हैं। वहीं संबंधित विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व राज्य सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को इसका सदस्य बनाया गया है। राज्य सूचना आयोग द्वारा सुनाए गए फैसलों में कई क्लास-वन अधिकारियों पर भी जुर्माना लगाया गया है।