चंडीगढ़, 13 दिसंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा के सभी गांवों को लालडोरा मुक्त करने की मुहिम में जुटी राज्य की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने गांवों में भूमि ट्रांसफर से जुड़े मामलों को महंगा कर दिया है। गांव की भूमि के हस्तांतरण में सरकार ने स्टाम्प ड्यूटी पर दो प्रतिशत सरचार्ज लगाने का फैसला लिया है। आम लोगों पर जहां इस फैसले से आर्थिक बोझ पड़ेगा वहीं पंचायती राज संस्थाओं को इससे लाभ मिलेगा। सरचार्ज का यह पैसा जिला परिषद, ब्लॉक समिति व ग्राम पंचायत को विकास कार्यों के लिए दिया जाएगा।
प्रदेश में जनवरी-फरवरी में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव भी हैं। ऐसे में इस फैसले के चलते गांवों में चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है। गठबंधन सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का नोटिफिकेशन भी विकास एवं पंचायत विभाग ने जारी कर दिया है। हरियाणा के गांवों में अचल संपत्ति (भूमि व मकान) की बिक्री, उपहार, बंधक एवं अन्य प्रकार से ट्रांसफर (हस्तांतरण) संबंधी दस्तावेजों पर भारतीय स्टाम्प कानून 1899 के तहत जो ड्यूटी (शुल्क) निर्धारित किया गया है। इस पर दो प्रतिशत के दर से सरचार्ज लगाने से सरकार के खजाने में राजस्व बढ़ेगा।
कोविड की वजह से सरकार के राजस्व में इस बार भारी कमी आई है, जिसकी धीरे-धीरे भरपाई हो रही है। विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव सुधीर राजपाल द्वारा शासकीय गजट में अधिसूचित इस आदेश में यह भी उल्लेख है कि उक्त शुल्क राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा ही इक्ट्ठा किया जाएगा, जिसे बाद में समान अनुपात में ग्राम पंचायत और जिला परिषद को लौटा दिया जाएगा। इस पैसे से ग्राम पंचायतें व जिला परिषदें अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों को अंजाम दे सकती हैं।
राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक शासकीय अधिसूचना जारी होने की तिथि से 15 दिनों की अवधि के भीतर प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा इसे अपने ग्राम सभा क्षेत्र में लागू किया जाएगा। यह दो प्रतिशत शुल्क लगाने संबंधी प्रावधान हरियाणा पंचायती राज कानून 1994 की धारा 41(1) (बी) में ही है, जिसे बीते 26 वर्षों में आज तक नहीं लगाया गया था।