ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 9 जुलाई
हरियाणा की नायब सरकार ने प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत दी है। खेतों के ऊपर से गुजरने वाली हाई-टेंशन बिजली की लाइनों व खेत में बनने वाले ट्रांसमिशन टावर की एवज में किसानों को उचित मुआवजा मिलेगा। अब भूमि की कीमत का 200 प्रतिशत मुआवजा किसानों को दिया जाएगा। अभी तक 100 प्रतिशत की दर से मुआवजा मिलता था। सीएम नायब सिंह सैनी की मंजूरी के बाद बिजली विभाग ने नयी पॉलिसी जारी की है।
सरकार की यह नीति भूमि मालिकों विशेष रूप से किसानों और बिजली कंपनियों के बीच लम्बे समय से चले आ रहे विवादों का समाधान भी निकालेगी। केंद्रीय उर्जा मंत्रालय के ट्रांसमिशन लाइनों के लिए राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) के मुआवजे के लिए दिशा-निर्देशों के तहत हरियाणा सरकार ने इस नीति को मंजूरी दी है। ट्रांसमिशन लाइन के लिए स्थापित किए जाने वाले टावर के अंतर्गत आने वाली जमीन का बिना अधिग्रहण किए ही सरकार की ओर से किसानों को भूमि मूल्य के 200 प्रतिशत की दर से मुआवजा दिया जाएगा।
इतना ही नहीं, ट्रांसमिशन लाइन कॉरिडोर के लिए भूमि मूल्य के 30 प्रतिशत की दर पर राइट ऑफ वे कॉरिडोर के लिए मुआवजे का प्रावधान किया है। पिछली नीति में राइट ऑफ वे कॉरिडोर के लिए मुआवजा नहीं मिलता था। मुआवजे की दरें भूमि के सर्कल रेट या कलेक्टर रेट के आधार पर तय होंगी। जहां भूमि के मार्केट रेट सर्कल/कलेक्टर रेट से अधिक होते हैं, वहां मुआवजे की गणना करने हेतु भूमि दर निर्धारित करने के लिए जिला स्तर पर उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, जिला राजस्व अधिकारी और अधीक्षण अभियंता (एचवीपीएनएल) की एक ‘उपयोगकर्ता समिति’ का गठन किया है।