रोहित जैन/निस
कालांवाली, 13 नवंबर
कालांवाली में वायरल का प्रकोप है। शहर में ऐसी कोई गली या मोहल्ला नहीं है, जिसमें बुखार, जोड़ों के दर्द, चेहरे पर लाल निशान, खारिश जैसे लक्षणों से पीड़ित मरीज न हो। कई घरों में तो पूरा परिवार ही बीमार है, जबकि एक गली में 40 लाेग वायरल की चपेट में है। अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग रही है। जबकि सरकारी आंकड़ों में अब तक सिर्फ 8 डेंगू के मरीज ही सामने आए हैं। बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचएसी) में स्वीकृत 53 में से सीएमओ, मेडीकल आफिसर सहित कुल 33 पद खाली पड़े हैं। शहरवासियों ने सरकार व स्वास्थ्य विभाग से सीएचसी में स्टाफ की कमी को दूर करने, घर-घर जाकर सर्वे करवाने और सैंपल लेने की मांग की है।
स्वास्थ्य केंद्र में स्टाॅफ की कमी के बावजूद रोजाना 250 से 300 मरीज पहुंच रहे हैं। जिसमें से ज्यादातार वायरल से पीड़ित मरीज है। इसके अलावा शहर में 25 से अधिक छोटे-बड़े निजी अस्पताल है। जिसमें मरीजों का आंकड़ा कई गुणा ज्यादा है। हर प्राइवेट चिकित्सक के पास रोजाना 50 से 200 तक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे है। मरीज महंगे दामों पर अपना इलाज करवाने को मजबूर है। सीएचसी में कई साल से एमपीएचडब्लू के पद खाली है। जिसके कारण शहर में न तो मच्छरों से होने वाले लार्वा की जांच की जा रही है और न ही बीमारी से बचने की जानकारी आमजन को दी जा रही है।
‘हर माह स्टाफ की कमी की भेजते हैं रिपोर्ट’
एसएमओ डॉ इंद्रजीत ने बताया कि विभाग की टीमें शहर मेें लगातार सर्वे कर रही हैं। लार्वा मिलने पर उसे तुरंत नष्ट भी किया जा रहा है। सीएचसी में स्टाफ की कमी की हर माह में उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट जाती है। उन्होंने बताया कि शहर में अब तक 8 डेंगू के मरीज आ चुके है। जो अब सही हो चुके है। जबकि चिकनगुनिया का एक भी मरीज सामने नहीं आया है