चंडीगढ़, 5 अप्रैल (ट्रिन्यू)
हरियाणा विधानसभा में एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर जहां सभी दल मिलकर आवाज उठाते नजर आए, वहीं श्रेय को लेकर भी नेताओं में होड़ लगी रही। भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों – चौ़ देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल, ओमप्रकाश चौटाला और भूतपूर्व डिप्टी सीएम डॉ़ मंगलसेन के नाम ऐसे में चर्चाओं में रहे। डॉ़ मंगलसेन को छोड़कर चारों ही भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों के वंशज मौजूदा विधानसभा सदस्य हैं। ऐसे में अपनों को श्रेय देना स्वभाविक भी था।
यह मुद्दा उस समय अधिक गरमाया, जब महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने इस पर चुटकी ली। कुंडू ने कहा, ‘हरियाणा में पिछले 50 वर्षों में जो सीएम रहे, उनके परिवार के लोग भी यहां विधायक हैं। कई बार ऐसे मौके आए, जब केंद्र, पंजाब और हरियाणा में एक ही दलों की सरकार रही, लेकिन एसवाईएल पर कभी गंभीरता नहीं दिखाई’। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए तो एसवाईएल भी याद आती है और चंडीगढ़ का मुद्दा भी उठता लेकिन सरकार में आते ही सब भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर राजनीतिक खेल खेला जा रहा है।
जवाब में भजनलाल पुत्र व आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कहा, 1982 में चौ़ भजनलाल ने पंजाब के कपूरी गांव में नहर की खुदाई शुरू करवाई थी। 1986 में पंजाब में उग्रवाद बढ़ा और उग्रवादियों ने सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया। 1986 के बाद से नहर पर कोई काम नहीं हुआ। कुलदीप ने छाती ठोकते हुए कहा, मुझे गर्व है कि एसवाईएल पर जितना भी काम हुआ, वह चौ़ भजनलाल के समय में हुआ। इससे पहले पूर्व मंत्री व स्व़ चौ़ बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी ने कहा, चौ़ बंसीलाल ने हरियाणा के विकास की नींव रखी। उन्होंने प्रदेश में सड़कों व नहरों का जाल बिछाया। बिजली गांवों में घर-घर तक पहुंचाई। चौ़ बंसीलाल सभी सरपंचों को बसों में बैठाकर पंजाब लेकर गए थे। वहां उन्हें एसवाईएल नहर का चल रहा निर्माण दिखाया गया। किरण ने कहा, चौ़ बंसीलाल के बाद की सरकारों के समय जो हुआ, वह हमारे सामने है। इनेलो विधायक अभय चौटाला ने एसवाईएल को लेकर गंभीरता से प्रयास करने का श्रेय भूतपूर्व सीएम चौ़ ओमप्रकाश चौटाला को दिया। उन्होंने कहा कि चौटाला साहब के प्रयासों के चलते ही 2002 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा में पक्ष में आया था। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इस पर मुहर लगाई लेकिन राज्य की मौजूदा सरकार सात वर्षों में भी इसका निर्माण नहीं करवा सकी। अभय ने कहा, 2016 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय लेने का जिम्मा मुख्यमंत्री को सौंपा गया था। वे आज तक भी पीएम से मिलने का समय नहीं ले सके हैं। बिजली मंत्री व स्व़ चौ़ देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह ने अपने पिता के अलावा भाजपा नेता व भूतपूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ़ मंगलसेन को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि चौ़ देवीलाल और डॉ़ मंगलसेन की सरकार ने पंजाब को एक करोड़ रुपये भी दिए थे। अबोहर-फाजिल्का को हिंदी भाषी बताते हुए रणजीत सिंह ने कहा, यहां की औरतों का पहनावा, बोलचाल व खानपान आज भी हरियाणा और राजस्थान से मिलता-जुलता है।