दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 23 जून
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) सुप्रीमो और हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला अब स्थाई रूप से तिहाड़ जेल से बाहर आ जाएंगे। उनकी ‘विशेष क्षमा’ की अपील मंजूर हो गई है। तिहाड़ जेल ने इस बाबत चौटाला के वकील को अधिकारिक रूप से ईमेल करके सूचित किया है। कोविड-19 को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के चलते चौटाला वर्तमान में पैरोल पर हैं।
उनकी अपील पर फैसला होने के चलते अब उन्हें एक बार तिहाड़ जेल में सरेंडर करना होगा। साथ ही, तिहाड़ में उनकी रिहाई से जुड़े दस्तावेज तैयार होंगे और इसके बाद उन्हें अधिकारिक रूप से जेल से रिहा किया जाएगा। जनवरी-2013 में दिल्ली की रोहिणी स्थिति सीबीआई की विशेष अदालत ने जेबीटी भर्ती घोटाले में में ओपी चौटाला को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
इस केस में उनके बेटे एवं जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ़ अजय सिंह चौटाला तथा इनेलो सरकार में ओपी चौटाला के राजनीतिक सलाहकार रहे शेर सिंह बड़शामी को 10-10 साल की सजा हुई थी। चौटाला 9 साल 6 महीने की सजा पूरी कर चुके हैं। 6 महीने की माफी उन्हें दी गई है। हालांकि, इससे पहले भी चौटाला के वकील की ओर से उनकी बीमारी, विकलांगता और उम्र की दलील देते हुए सजा खत्म करने की गुहार लगाई गई थी।
ओमप्रकाश चौटाला के वकील अमित साहनी का कहना है कि ऐसे लोग जो दिव्यांग हैं और जिनकी उम्र 65 वर्ष से ऊपर है, उन्हें आधी सजा में छोड़ देना चाहिए। इस बारे में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार भी लगाई थी कि ओमप्रकाश चौटाला के पैरामीटर पूरे हैं, लेकिन उन्हें रिहा क्यों नहीं किया जा रहा। साहनी का कहना है कि सेंट्रल जेल नंबर-2, तिहाड़ से ई-मेल में रिहाई के लिए कम्युनिकेशन प्राप्त हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसमें कहा गया था कि जेलों को किस प्रकार से डीकन्जेस्ट किया जाए यानी भीड़ को कम किया जाए। इसे देखते हुए राज्य सरकारों ने अपने-अपने नियम बनाए। दिल्ली सरकार ने स्पेशल रिमिशन (विशेष क्षमा) का एक नियम बनाया। इसमें प्रावधान किया गया कि जिन लोगों को 10 वर्षों की सजा हुई है और वे नौ वर्ष पूरे कर चुके हैं, उन्हें छोड़ा जाए।
2013 में हुई थी 10 साल की सजा
इनेलो सरकार के दौरान 2000 में हुई जेबीटी भर्ती मामले में धांधली के चलते चौटाला को दोषी ठहराया गया था। उस समय एजुकेशन मिनिस्टरी चौटाला के पास ही थी। जेबीटी भर्ती जिला शिक्षा अधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटियां गठित करके हुई थी। भर्ती में चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट बदलने और उनकी जगह दूसरों को नौकरी देने के आरोप में चौटाला को सजा सुनाई गई थी। जनवरी 2013 में रोहिणी कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने जब चौटाला को दोषी करार दिया तो उसी समय उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया था।
6 साल नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
रिहा होने के बाद ओपी चौटाला कोई चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। अंडर सेक्शन-8 (1) तथा जनप्रतिनिधित्व एक्ट-1951 के तहत सजा पूरी होने के बाद अगले 6 वर्षों तक विधानसभा व लोकसभा सहित चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी। चूंकि चौटाला को 10 साल की सजा हुई थी। ऐसे में उन पर चुनाव लड़ने पर बैन रहेगा। वे पार्टी गतिविधियों में भाग ले सकेंगे।