कुरुक्षेत्र (एस) :
वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक ने गौमाता की पूजा के महत्व के बारे में बताया। इस बार गोपाष्टमी का पवन पर्व 22 नवंबर को मनाया जा रहा है, जिसका विशेष महत्व माना जा रहा है। हिन्दू धर्म परम्परा के अनुसार गाय को माता समान माना गया है। गाय का शृंगार एवं पूजा करने का हमारे प्राचीन ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। गाय को तिलक लगाकर पुष्प की माला पहनाकर गौमाता की पूजा करने से एक साथ कई देवी-देवताओं की पूजा हो जाती है। असाध्य रोग निवारण में गाय पूजा व गाय का दूध विशेष फलदायक माना जाता है और सुख-समृद्धि व मानसिक शांति का आभास भी होता है। गौमाता के गोमूत्र और गोबर दोनों पवित्र माने जाते हैं।