चंडीगढ़, 6 जुलाई (ट्रिन्यू)
रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने देशभर में पीपीपी मॉडल पर नये सैनिक स्कूल खोलने की नीति को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना लाकर देश की फौज को कमजोर किया गया अब सैनिक स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने की नीति बनाकर फौज के बुनियादी तंत्र को भी सरकार बर्बाद कर रही है। दीपेंद्र ने ‘द रिपोर्ट्स कलेक्टिव’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि 62 प्रतिशत नये सैनिक स्कूलों का संचालन भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोगों के हाथों में क्यों है।
रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि जिन निजी संस्थानों ने नये सैनिक स्कूल के संचालन के लिए सैनिक स्कूल सोसायटी के साथ समझौता किया है, उनमें से बहुत से निजी संस्थानों का संबंध भाजपा और आरएसएस के सहयोगी संगठनों, भाजपा नेताओं, उनके करीबियों से है। दीपेंद्र ने कहा कि पूरे देश में अभी 33 सैनिक स्कूल हैं। इनका संचालन परंपरागत तौर पर रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले स्वायत्तशासी निकाय सैनिक स्कूल सोसायटी (एसएसएस) द्वारा किया जाता है। ये स्कूल अग्रणी नेशनल डिफेंस अकादमी और इंडियन नेवल अकादमी में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन शिक्षा समेत हर क्षेत्र के निजीकरण की नीति पर चल रही भाजपा सरकार की इस नई नीति के चलते 62 प्रतिशत नये सैनिक स्कूलों को भाजपा, आरएसएस से जुड़े लोगों को सौंपना शिक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है।
2021 के बजट में केंद्र की भाजपा सरकार ने पूरे भारत में 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित करने की योजना की घोषणा करके देश में सैनिक स्कूल संचालन हेतु निजी क्षेत्र के लिए दरवाजे खोल दिए। दीपेंद्र ने कहा कि नई नीति के तहत कोई भी स्कूल जो एसएसएस द्वारा निर्धारित बुनियादी ढांचे की शर्तों को पूरा करता हो, को नये सैनिक स्कूलों के रूप में मंजूरी मिल सकती है।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बुनियादी ढांचा ही एकमात्र ऐसी शर्त थी, जो किसी स्कूल को इस मंजूरी का पात्र बनाती है और इसी के साथ आरएसएस, भाजपा जुड़े संगठनों के लिए सैनिक स्कूल खोलने के दरवाजे खुल गए।