पानीपत, 25 अप्रैल (निस)
सहकारी क्षेत्र की सबसे पुरानी पानीपत की शुगर मिल 66 वर्ष तक गन्ने की पिराई करने के बाद रविवार देर शाम को बंद हो गई। पुरानी शुगर मिल का नाम अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। मिल में रविवार देर शाम को गन्ने की पिराई बंद कर दी गई और उस गन्ने के जूस से चीनी बनने के बाद एकाध दिन में ही मिल को विधिवत रूप से बंद कर दिया जाएगा। एशिया में पानीपत की यह शुगर मिल ही ऐसी है जिसमें पिछले 66 वर्ष से रेलवे के दो 350-350 होर्स पावर के भाप इंजनों से गन्ने की पिराई की जा रही थी। रेलवे के भाप इंजन देश की कई अन्य शुगर मिलों में भी लगाये गये थे पर नई टेक्नोलॉजी और उनके खर्च व दिक्कतों को देखते हुए बंद कर दिया गया लेकिन चेकोस्लाविया से स्कोडा कंपनी के मंगवाये 2 भाप इंजन पानीपत शुगर मिल में लगातार अपनी सेवाएं देते रहे। दोनों इंजनों को अब पानीपत के गांव डाहर में बनी नई शुगर मिल के गेट के पास ही दोनों तरफ यादगार के तौर पर चबूतरे बनाकर रखा जाएगा। पानीपत की पुराना शुगर मिल संयुक्त पंजाब के दौरान 1956 में गोहाना रोड पर बनाई गई थी। अब शुगर मिल शहर के अंदर आ चुकी है और आसपास रिहायशी एरिया है। आसपास की कालोनियों के लोगों ने एनजीटी में शुगर मिल द्वारा प्रदूषण फैलाने की शिकायत भी दी थी। इस शुगर मिल की पिराई क्षमता सिर्फ 18 हजार क्विंटल रोजाना की है और डाहर में 50 हजार क्विंटल रोजाना पिराई क्षमता की नई शुगर मिल लगाई गई है। नई शुगर मिल चालू होने के बाद इस पुरानी शुगर मिल को अब बंद कर दिया गया है।
आखिरी पिराई सत्र
शुगर मिल के एमडी नवदीप सिंह नैन ने बताया कि पुरानी शुगर मिल को गन्ने की कमी के चलते बंद कर दिया है। डाहर की नयी शुगर मिल चल रही है। पुराने मिल का यह आखिरी पिराई सत्र था।