कितने ‘आदर्श’ हैं माननीयों के गांव
राष्ट्रपति से लेकर अनेक निर्वाचित जनप्रतिनिधि बड़े चाव से गांव को गोद लेते हैं। ताम-झाम के साथ घोषणा भी करते हैं, लेकिन आदर्श ग्राम योजना के तहत जनप्रतिनिधि गांवों को गोद लेकर भूल से गए हैं। ‘माननीयों’ के गोद लिए गांव कहां तक और कितने ‘आदर्श’ हैं? उनकी हकीकत पर ग्राउंड रिपोर्ट शृंखला के तहत आज पेश है ‘प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन’ की गोद ली ग्राम पंचायत सहसौला का हाल।
– संपादक
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
सहसौला, 30 मई
नूंह में सोहना रोड पर बसे सहसौला के एंट्री गेट पर खूब बड़े अक्षरों में लिखा है ‘स्मार्ट गांव’ पंचायत सहसौला में आपका स्वागत है। वापसी करेंगे तो बोर्ड पर बाकायदा आपका धन्यवाद भी होगा, लेकिन आपके मन में ‘स्मार्ट’ की परिभाषा बदल जाएगी। सहसौला के पांच गांवों – पाटुका, पिपाका, किरनरी, भूतलाका और घुसबैठी को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ‘प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन’ ने गोद लिया हुआ है। बेशक, ग्राम पंचायत के पास पैसा भी बहुत था और खर्च भी हुआ, लेकिन धांधलियों के आरोप हरियाणा के दूसरे हिस्सों की तरह यहां भी लग रहे हैं। करप्शन है और दबंगई भी।
प्रदेश सरकार यह दावा कर रही है कि अब गांवों के हर घर में नल से जलापूर्ति है, लेकिन पाटुका गांव में सिर पर बाल्टियां उठाए पानी लाने वाली महिलाओं को देखकर दावे की हकीकत का अंदाजा लग जाता है। बिजली आई तो पानी मिलेगा, नहीं तो बैठे रहो इंतजार में। पांचों गांवों की एक ही पंचायत है और अंजुम आरा निवर्तमान सरपंच हैं। ग्रामीणों के अनुसार, सारा काम उनके ससुर आस मोहम्मद ही देखते हैं। ग्रामीणों ने उन पर विकास कार्यों में भेदभाव के आरोप लगाए हैं। करीब 200 घरों वाले छोटे से गांव भूतलाका की गलियां ही नहीं, फिरनी भी टूटी हुई है और गंदा पानी सड़कों पर भरा रहता है।
गांव के सरजीत, नजीर, इरफान का आरोप है कि सरपंच ने उनके गांव के साथ सौतेला व्यवहार किया है। विकास कार्यों के लिए आई ग्रांट में धांधली हुई है। उन लोगों ने खुद के पैसों से शौचालय बनवाए हैं। सरपंच के पति ने शौचालय के आगे खड़े करके उनके फोटो यह कहते हुए करवाए कि सरकार से 12-12 हजार रुपये मिलेंगे। आज तक तो फूटी कौड़ी मिली नहीं। इन ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारी स्कूल में दो ट्यूबवेल लगे हैं, लेकिन पानी का कुछ ‘दबंग’ लोग अपने खेतों में इस्तेमाल करते हैं। नजीर व फातूनी का कहना है कि पानी की निकासी नहीं होने की वजह से ग्रामीणों के आपस में झगड़े भी होते हैं। उन्हें यह तो पता है कि पूर्व राष्ट्रपति ने इस गांव को गोद लिया था, लेकिन गांव में हुआ कुछ भी नहीं। किरनरी गांव के इसलाम बताते हैं कि गांव में आठवीं तक का ही सरकारी स्कूल है। इसमें भी स्टाफ और अनुशासन की कमी है। मजबूरी में बच्चों को पाटुका भेजना पड़ता है। बेटियों को स्कूल भेजते डर लगता है। रास्ते में आवारा लड़के परेशान करते हैं। बेशक, शिक्षा को लेकर ग्रामीणों की सोच बढ़ी है, लेकिन गुंडागर्दी की वजह से बेटियों को बाहर भेजने से कतराते भी हैं। पाटुका गांव के फतेह मोहम्मद कहते हैं कि उनके गप्पा मोहल्ला में सड़कों का भी बुरा हाल है और पानी का भी प्रबंध नहीं। सरपंच जिस मुतना मोहल्ला में रहती हैं, वहां चार बोरवेल करवाए हैं। पूर्व राष्ट्रपति के गांव… सवाल पर बोले, ‘सुना तो हमने भी था कि राष्ट्रपति ने गांव गोद लिया था लेकिन उनकी टीम हमें तो कभी गांव में दिखी नहीं।’ नूंह को जोड़ने वाली सड़क टूटी हुई है। बारिश के दिनों में पानी भर जाता है। आलीम बताते हैं कि मुखर्जी फाउंडेशन ने मस्जिदों में वाटर एटीएम तो लगवाए थे, इसके अलावा कोई काम नहीं हुआ।
अब जिम्मेदारी सरकार की : प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन
प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के एडवाइजर सुनील जागलान का कहना है कि 2017 में राष्ट्रपति भवन और हरियाणा सरकार के बीच इन गांवों को स्मार्ट बनाने का एमओयू हुआ था। सरकार ने 101 गांवों के लिए स्मार्ट गांव अथॉरिटी भी बनाई। इसके चेयरमैन खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रपति के कार्यकाल तक गांवों का जिम्मा था। अब सरकार की ड्यूटी है। जागलान के अनुसार, फाउंडेशन ने पाटुका, पिपाका व भूतलाका में वाटर एटीएम लगवाए। स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्क्रीन का प्रबंध किया और सरकारी भवनों पर सोलर सिस्टम लगवाया गया। पिपाका में ई-डॉक्टर क्लीनिक स्थापित हुआ। बिजली-पानी, सड़क आदि मूलभूत सुविधाओं का प्रबंध सरकार को करना था।
पानी ढोने में ही महिलाओं का बीत जाता है दिन
केंद्र सरकार की ‘जल जीवन मिशन’ योजना के तहत हर घर में कनेक्शन का ऐलान राज्य सरकार ने कुछ माह पूर्व ही किया है। सरकार के हिसाब से तो योजना को प्रदेश में सिरे चढ़ाया जा चुका है, लेकिन नूंह में नजारा अलग है। पाटुका गांव में बोरवेल पर महिलाओं की भीड़ दिखती है। उनसे पूछा तो बोलीं, ‘पानी का सबसे बड़ा संकट है।’ हर घर की महिलाएं पानी के लिए बाल्टियां लेकर दौड़ती नज़र आईं।