जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 24 जुलाई
1966 में पंजाब से अलग होकर नया राज्य बने हरियाणा के साथ ही अस्तित्व में आया जींद जिला पासपोर्ट कार्यालय के बिना रह गया, जबकि इसके बहुत बाद बने कैथल और सोनीपत जिले में पासपोर्ट ऑफिस बन गए। जींद को पासपोर्ट ऑफिस देने के गंभीर प्रयास कई बार हुए ,लेकिन बात नहीं बन पाई। इस कारण जींद के लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए कैथल, सोनीपत या अंबाला जाना पड़ता है, जिसमें उनका काफी समय और पैसा बर्बाद होता है।
हरियाणा जब 1966 में अलग राज्य बना, तब प्रदेश में सातवां जिला जींद बना था। प्रदेश के सबसे पुराने और बड़े जिलों में शुमार जींद में पासपोर्ट ऑफिस एक सपना ही बन कर रह गया। केंद्र की मोदी सरकार ने पासपोर्ट कार्यालय का युद्ध स्तर पर विस्तार किया। इसके तहत प्रदेश के कई जिलों में पासपोर्ट ऑफिस खोले गए। जब मोदी सरकार ने यह योजना शुरू की थी, तब जींद को भी पासपोर्ट ऑफिस मिलने की उम्मीद थी। इसके लिए जींद की स्कीम नंबर 19 के नए मुख्य डाकघर का रीजनल पासपोर्ट ऑफिस अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया था। निरीक्षण में यह पाया गया था कि जींद के मुख्य डाकघर में पासपोर्ट ऑफिस के लिए पर्याप्त स्पेस है। यहां बहुत आसानी से पासपोर्ट ऑफिस खोला जा सकता है। उस समय जींद के लोगों को उम्मीद बनी थी कि जींद में पासपोर्ट ऑफिस खुल जाएगा, लेकिन उनकी उम्मीद पूरी नहीं हुई।
पूर्व सांसद रमेश कौशिक ने किया भरसक प्रयास : जींद में पासपोर्ट ऑफिस खुलवाने के लिए 2014 से 2024 तक लगातार 10 साल सोनीपत से सांसद रहे रमेश कौशिक ने अपनी तरफ से भरसक प्रयास किया। उन्होंने कई बार केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से इस सिलसिले में पत्राचार किया। रमेश कौशिक ने सांसद रहते कई बार कहा कि जींद में पासपोर्ट ऑफिस खुदवान उनकी पहली प्राथमिकता है। अपने भरसक प्रयासों के बावजूद रमेश कौशिक जींद में पासपोर्ट ऑफिस नहीं खुलवा पाए। पासपोर्ट ऑफिस खुलवाने के मामले में जींद के लोगों की आखिरी उम्मीद भी रमेश कौशिक की इस बार बीजेपी की टिकट कट जाने के कारण टूट गई।
पासपोर्ट के लिए हर महीने हजार से ज्यादा आवेदन जींद से
जींद जिले से हर महीने एक हजार से ज्यादा लोग पासपोर्ट के लिए आवेदन कर रहे हैं। इनमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। इन लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए कैथल, अंबाला, पानीपत जाना पड़ता है। कई बार तो जयपुर, शिमला तक जींद के युवा पासपोर्ट के लिए जाते हैं।