ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 20 अक्तूबर
कांग्रेस अभी भी चुनाव आयोग के जवाब का इंतजार कर रही है। हरियाणा के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस शिष्टमंडल की ओर से चुनाव आयोग को ईवीएम को लेकर शिकायत की गई थीं। दो दर्जन के करीब हलकों के कांग्रेस उम्मीदवारों की ओर से की गई शिकायत में ईवीएम का मुद्दा उठाया गया। उनका कहना था कि ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिशत तक चार्ज रही। इस वजह से नतीजों पर असर पड़ा।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल की ओर से की गई शिकायत में यह भी कहा गया है कि जिन हलकों में ईवीएम की बैटरी कम चार्ज थी, वहां कांग्रेस ने जीत हासिल की है। वहीं जिन हलकों में बैटरी आखिर तक 99 प्रतिशत तक रही, उन हलकों में कांग्रेस चुनाव हार गई।
कांग्रेस के कई केंद्रीय नेताओं के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान भी ईवीएम की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं।
कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी द्वारा उम्मीदवारों से की जा रही बातचीत में भी उन उम्मीदवारों ने यह मुद्दा उठाया है, जो ईवीएम को लेकर शिकायत कर चुके हैं। कांग्रेस शिष्टमंडल की ओर से नतीजों के अगले ही दिन यानी 9 अक्तूबर को भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखित में शिकायत की गई थी। इस पर किसी तरह का जवाब नहीं आने के बाद कांग्रेस की ओर से 11 अक्तूबर को भी चुनाव आयोग को रिमाइंडर भेजा गया।
हालांकि पिछले दिनों महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा के आमचुनावों की घोषणा के दौरान चुनाव आयोग स्पष्ट तौर पर कह चुका है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इनमें किसी तरह की धांधली संभव नहीं है।
वहीं दूसरी ओर, कई कांग्रेस उम्मीदवारों ने चुनाव में हार के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा को भी जिम्मेदार ठहराया है। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों से बातचीत में कई उम्मीदवारों ने कहा कि सैलजा द्वारा प्रचार से दूरी बनाने के अलावा उनके द्वारा लगातार मीडिया में दिए गए बयानों की वजह से पार्टी को नुकसान हुआ।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी चुनाव हारने वाले कांग्रेस के सभी 52 उम्मीदवारों के साथ वन-टू-वन फीडबैक ले चुकी है।
कुमारी सैलजा पर लगा रहे आरोप
सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्होंने खुलकर कमेटी को कहा है कि अगर सांसद कुमारी सैलजा की बयानबाजी नहीं होती तो कांग्रेस का प्रचंड बहुमत के साथ सरकार में आना तय था। हालांकि सैलजा समर्थकों की ओर से यह कहा गया है कि उनकी (सैलजा) की अनदेखी की वजह से नुकसान हुआ है।